फिल्म रिव्यू: नशा (1 स्टार)
कब इन फिल्मकारों के दिमाग पर लगा ताला खुलेगा और कब कोई अलीबाबा आकर चालीस चोरों को ले जाने की बजाय इनकी समझ को अपने साथ ले जाएगा। पूनम पांडे की नशा जैसा कि जग जाहिर है किन वजह से सुर्खियों में
मुंबई, (दुर्गेश सिंह)
प्रमुख कलाकार : पूनम पांडे और शिवम
निर्देशक : अमित सक्सेना
संगीत : सचिन कुलकर्णी
स्टार : 1
कब इन फिल्मकारों के दिमाग पर लगा ताला खुलेगा और कब कोई अलीबाबा आकर चालीस चोरों को ले जाने की बजाय इनकी समझ को अपने साथ ले जाएगा। पूनम पांडे की नशा जैसा कि जग जाहिर है किन वजह से सुर्खियों में हैं, ठीक उसी वजह को एनकैश कराने के लिए बनाई गई फिल्म है। फिल्म पंचगनी में शूट की गई है और एक स्कूल टीचर और उसके स्टूडेंट के बीच फैंटेसी को कहानी में तब्दील करने की कोशिश में कहीं की नहीं रही है।
गर्मी की छुट्टियां गर्मी की छुट्टी नहीं लगती और पंचगनी के उस स्कूल में पढ़ने वाले स्टूडेंट इस दुनिया के नहीं लगते। निर्देशक अमित सक्सेना की जिस्म इससे कई गुना अच्छी फिल्म थी। यहीं अनुभव का फर्क भी दिखता है। विशेष फिल्म्स की पेशकश जिस्म में कहानी से लेकर संगीत के हर पक्ष में कुछ कहा या कहने की कोशिश की गई है लेकिन इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं होता है। फिल्म में पूनम पांडे लीड में है और पूरी फिल्म उन्हीं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। लेकिन सब कुछ कहीं न कहीं सॉफ्ट पॉर्न जैसा लगता है।
पूनम पांडे के अभिनय की तो बात ही न की जाए बेहतर है। लेकिन उन्हें साम, दाम, दंड, और भेद चाहे जैसे बॉलीवुड में तो एंट्री मिल गई लेकिन अभिनेता शिवम को आने वाले दिनों में अपने करियर पर और भी फोकस करना होगा। फिल्म का एक भी गाना ऐसा नहीं है जो आपकी जुबान पर चढ़ सके। कुल मिलाकर नशा एक औसत फिल्म है जो बॉलीवुड की सालों से चली आ रही बासी और सड़ चुकी देहगाथा को एक कदम आगे बढ़ाने का काम करती है।
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