फिल्म रिव्यू: कमजोर और लचर 'मशीन' (आधा स्टार)
अब्बास-मस्तान अपनी शैली के अनुरूप चुस्ती और गति बनाए रखते हैं,लेकिन इस बार दोनों गुण फिल्म से विरक्त करने में मदद करते हैं।
- अजय ब्रह्मात्मज
कलाकार: मुस्तफ़ा (डेब्यूटेंट), कियारा आडवाणी, ईशान शंकर आदि।
निर्देशक: अब्बास-मस्तान
निर्माता: जयंतीलाल गाडा
स्टार: 1/2 (आधा स्टार)
उम्मीद नहीं थी कभी अपनी फिल्मों से एक्टर को स्टार बना देने का कौशल रखने वाले निर्देशक बंधु अपनी कला में इतने भोथरे हो जाएंगे कि घर के सितारे की संभावना को पहली फिल्म से इस कदर धूमिल कर देंगे। ‘मशीन’ अब्बास-मस्तान की सबसे कमजोर फिल्म के रूप में याद की जाएगी,जिसमें एक लोकेशन के अलावा सब कुछ फिसड्डी रहा। अतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है?
अब्बास-मस्तान में से अब्बास के बेटे मुस्तफा की लांचिंग फिल्म है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में लांचिंग फिल्म में किसी नए सितारे को पेश करते समय निर्देशक की कोशिश रहती है कि वह उसे मसाला फिल्मों के लिए जरूरी गुणों से संपन्न दिखाए। अब्बास-मस्तान ने भी कोशिश की। उन्होंने 1993 की अपनी फिल्म ‘बाजीगर’ की कहानी को तोड़ा-मरोड़ा और लगभग शाह रुख खान की तरह मुस्तफा को पेश किया। अफसोस,एक तो मुस्तफा न तो शाह रुख खान की तरह टैलेंटेड निकले और न उन्हें काजोल और शिल्पा शेट्टी सरीखी अभिनेत्रियों का साथ मिला। यों लगता है कि मुस्तफा को हुनरमंद दिखाने के लिए सहयोगी और सहायक भूमिकाओं में उन्होंने और भी कमजोर एक्टर चुने। इससे फिल्म लचर होने के कारण देखने लायक भी नहीं रह गई।
‘बाजीगर’ के दिलीप ताहिल और जानी लीवर इस फिल्म में थोड़ी भिन्न भूमिकाओं में हैं। उन्हें और ज्यादा लाउड अंदाज में पेश किया गया है। अब्बास-मस्तान अपनी शैली के अनुरूप चुस्ती और गति बनाए रखते हैं,लेकिन इस बार दोनों गुण फिल्म से विरक्त करने में मदद करते हैं। दृश्य कमजोर हैं और अभिनेताओं का प्रदर्शन और भी कमजोर है। रोमांटिक और नाटकीय संवादों में हंसी छूटती है।
अवधि: 139 मिनट