Dolly Kitty Aur Woh Chamakte Sitare Review: डॉली, किट्टी की मिडिल क्लास दुनिया और अधूरी ख्वाहिशों का बोझ... पढ़ें पूरा रिव्यू
Dolly Kitty Aur Woh Chamakte Sitare Review डॉली अपनी शादीशुदा ज़िंदगी से संतुष्ट नहीं है। इसके लिए वो ख़ुद को ही ज़िम्मेदार समझती रहती है जब तक कि डिलीवरी ब्वॉय उस्मान से उसका प्
नई दिल्ली, मनोज वशिष्ठ। 'लिपस्टिक अंडर माय बुर्का' के बाद अलंकृता श्रीवास्तव 'डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे' लेकर आयी हैं। फ़िल्म 18 सितम्बर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो गयी। लिपस्टिक अंडर माय बुर्का के ज़रिए अलंकृता ने महिला सशक्तिकरण का एक मजबूत संदेश दिया था। फ़िल्म कुछ दृश्यों के लिए विवादों में भी रही थी। डॉली किट्टी ऐसे ही संदेशों का विस्तारीकरण है, मगर कहानी कहने का अंदाज़ इस बार हल्का-फुल्का रहा है। मुद्दा वही है। जो पुरुषों के लिए सही हो सकता है, वो महिलाओं के लिए क्यों नहीं? अधूरी हसरतों को बोझ औरत पर ही क्यों रहे?
'डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे' दो चचेरी बहनों डॉली और किट्टी की कहानी है। मध्यम वर्गीय परिवेश और मान्यताओं में पली-बढ़ी दोनों बहनें अपनी-अपनी ज़िंदगी जी रही हैं। डॉली नोएडा में अपनी फैमिली के साथ रहती है। पति और दो बच्चे हैं। वो ख़ुद जॉब करती है।
डॉली अपनी शादीशुदा ज़िंदगी से संतुष्ट नहीं है। इसके लिए वो ख़ुद को ही ज़िम्मेदार समझती रहती है, जब तक कि डिलीवरी ब्वॉय उस्मान से उसका प्रेम-प्रसंग शुरू नहीं होता। उस्मान के साथ वक़्त बिताने से उसे एहसास होता है कि दोष उसमें नहीं है।
उधर, कम पढ़ी-लिखी किट्टी पीजी में रहती है। एक डेटिंग ऐप में काम करती है और फोन पर लोगों से रोमांटिक बातें करके उन्हें संतुष्ट करती है। किट्टी जिस परिवेश से आती है, उसमें इस तरह के कामों को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। लिहाज़ा, उसने अपनी जॉब के बारे में किसी को नहीं बताया। अलबत्ता, अपनी सामाजिक हैसियत साबित करने के लिए झूठ बोलकर डींगें ज़रूर मारती है। किट्टी एक ग्राहक प्रदीप को वो पसंद करने लगती है। बाद में पता चलता है कि प्रदीप धोखा दे रहा है।
डॉली का पति अपनी संतुष्टि के लिए डेटिंग ऐप में कॉल करता है। इत्तेफाक से उसकी बात किट्टी से होती है। किट्टी यह बात डॉली को बताती है और इस तरह दोनों की पोल खुल जाती है, शारीरिक संबंधों को लेकर पति की मानसिक अवस्था और किट्टी के काम की। हालांकि, किट्टी को अपने काम को लेकर कोई शर्मिंदगी नहीं है।
किट्टी के खुलासे की वजह से डॉली का परिवार टूटने की नौबत आ जाती है। इस बीच ऐसा घटनाक्रम होता है कि डॉली का प्रेमी मारा जाता है। डॉली के अफ़सोस करने से उसके पति पर संबंधों का राज़ खुल जाता है। डॉली अपने पति से अलग होने का फ़ैसला करती है। डॉली जिस बात को लेकर अपनी मां से नफ़रत करती थी, वही कहानी अब उसकी ज़िदगी में लौट आयी है।
अलंकृता ने कथ्य को जितना सम्भव हो, सीधा और सादा रखा है। इसकी वजह से संदेश में एक गंभीरता की कमी महसूस होती है, लेकिन इससे बोरियत नहीं होती। एक वक़्त के बाद कहानी केंद्रीय किरदारों की यौन कुंठाओं और ख्वाहिशों पर आकर केंद्रित हो जाता है और उसी लिहाज़ से फ़िल्म के दृश्य बोल्ड होते जाते हैं। नेफ्लिक्स ने इसीलिए इसे 18+ रेटिंग दी है।
कोंकणा सेन शर्मा बेहतरीन एक्ट्रेस हैं और मिडिल क्लास फैमिली की मान्यताओं की वाहक डॉली की ख़्वाहिशों और अधूरेपन को कामयाबी के साथ पेश किया है। भूमि पेडनेकर ने किट्टी के किरदार को बड़ी तरलता के साथ निभाया है। भूमि को ऐसे किरदार निभाने में अब महारत हासिल हो चुकी है। दम लगा के हईशा, शुभ मंगल सावधान, पति पत्नी और वो जैसी फ़िल्मों के ज़रिए भूमि ऐसे किरदार निभाने की आदी हो गयी हैं।
डॉली के पति के रोल में आमिर बशीर, उनके प्रेमी के रोल में अमोल पाराशर और किट्टी के प्रेमी के रोल में विक्रांत मैसी ने अच्छा काम किया है। हालांकि, विक्रांत के किरदार को अधिक समय नहीं मिला, जो थोड़ा अखरता है। इन सहयोगी किरदारों ने मुख्य किरदारों को उभारने में काफ़ी मदद की है।
ग्रेटर नोएडा के डीजे आर्टिस्ट के रोल में करण कुंद्रा और उनकी गर्लफ्रेंड के शाज़िया किरदार में कुब्रा सैत शाज़िया ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। डॉली के मां के किरदार में नीलिमा अज़ीम का कैमियो सरप्राइज़िंग है। 'डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे' चाहतों और ख़्वाहिशों को पूरा करने के लिए किये गये समझौतों को लेकर अपराधबोध से मुक्त होने का सीधा संदेश देती है।
निर्देशक- अलंकृता श्रीवास्तव
कलाकार- कोंकणा सेन शर्मा, भूमि पेडनेकर, आमिर बशीर, विक्रांत मेसी, अमोल पाराशर, करण कुंद्रा, कुब्रा सैत आदि।
निर्माता- एकता कपूर, शोभा कपूर।
प्लेटफॉर्म- नेटफ्लिक्स
स्टार- *** (तीन स्टार)
अवधि- 2 घंटा