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Come Play Movie Review: कोई नई बात नहीं! लेकिन फिर भी डराती है एज़ी रॉबर्टसन की 'कम प्ले', पढ़ें क्या है कहानी

कोरोना काल में लंबे अरसे बाद खुले सिनेमाघरों में हिंदी फिल्मों के साथ अब हॉलीवुड की फिल्में भी रिलीज होने लगी हैं। हॉरर थ्रिलर फिल्म ‘कम प्ले’ उन्हीं में शामिल है। फिल्म की कहानी शुरू होती है ओलीवर (एजी रॉबर्टसन/ Azhy Robertson) के साथ जो ऑटिज्म से पीड़ित है।

By Nazneen AhmedEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 12:58 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 01:02 PM (IST)
Come Play Movie Review: कोई नई बात नहीं! लेकिन फिर भी डराती है एज़ी रॉबर्टसन की 'कम प्ले', पढ़ें क्या है कहानी
Photo Credit - COME PLAY - Official Trailer Screenshot

प्रियंका सिंह, जेएनएन। कोरोना काल में लंबे अरसे बाद खुले सिनेमाघरों में हिंदी फिल्मों के साथ अब हॉलीवुड की फिल्में भी रिलीज होने लगी हैं। हॉरर थ्रिलर फिल्म ‘कम प्ले’ उन्हीं में शामिल है। फिल्म की कहानी शुरू होती है ओलीवर (एजी रॉबर्टसन/ Azhy Robertson) के साथ, जो ऑटिज्म से पीड़ित है। वह बोल नहीं पाता है। बात करने के लिए मोबाइल एप का इस्तेमाल करता है, जिसमें बटन दबाकर ऑडियो के जरिये अपनी बात कहता है। ओलीवर के माता-पिता सारा और मार्टी का रिश्ता बुरे वक्त से गुजर रहा है, लेकिन दोनों का बेटे से रिश्ता मजबूत है।

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स्कूल में ओलीवर का कोई दोस्त नहीं है। एक दिन ओलीवर के फोन पर एक एप ऑन हो जाता है। ओलीवर जैसे ही उसके पेज को स्वाइप करता है, उस पर एक हड्डियों के ढांचे वाले बड़े से क्रीएचर (जीव) की तस्वीर दिखती है, जिसका नाम लैरी है। आगे जाने पर ओलीवर को पता चलता है कि लैरी का भी कोई दोस्त नहीं है, वह दोस्त बनाना चाहता है। दोस्त न बनने पर वह नुकसान पहुंचा सकता है। लैरी को सिर्फ कैमरे के जरिये ही देखा जा सकता है। कहानी इसी पर आगे बढ़ती है।

हॉलीवुड और बॉलीवुड में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के जरिये हॉरर कहानी गढ़ना कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है। भारतीय दर्शकों ने ‘2.0’, ‘अनलॉक’ जैसी फिल्में देखी हैं, जिसमें गैजेट का इस्तेमाल एक किरदार की तरह किया गया है। फिल्म को हॉरर और थ्रिलर जोन में रखा गया है, लेकिन निर्देशक और लेखक जेकब चेज ने हॉरर से ज्यादा तवज्जो किरदारों पर दी है। हालांकि बैकग्राउंड साउंड की वजह से कुछ जगहों पर फिल्म डराती है, लेकिन उसका असर तुरंत खत्म हो जाता है।

जेकब कहानी के जरिये उस जीव की गहराई में नहीं गए हैं, उसके अकेलेपन की क्या वजह है, वह क्यों गैजेट के जरिये दोस्ती करना चाहता है? जैसे कई सवालों के फिल्म में जवाब नहीं दिए गए हैं। लैरी की दुनिया को समझने के लिए जेकब की निर्देशित शॉर्ट फिल्म ‘लैरी’ देखनी होगी, जो साल 2017 में रिलीज हुई थी। क्रीएचर द्वारा इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल कर शक्तिशाली बनने वाला दृश्य डरावना लगता है। मॉल में ओलीवर के खेलते वक्त वहां मौजूद सभी मोबाइल्स के ऑन हो जाने वाला दृश्य दिलचस्प है। सारा और ओलीवर का वह सीन भावुक कर देता है, जिसमें सारा अपने बेटे को बचाने के लिए अपना हाथ लैरी के हाथों में देकर उसकी दोस्त बन जाती है।

ओलीवर के किरदार में एजी रॉबर्टसन मासूम लगे हैं। बिना कुछ बोले उन्होंने किरदार की मनोभावना को बखूबी दर्शाया है। गिलियन जेकब्स ने मां के किरदार को प्रभावशाली तरीके से दर्शाया है। अगर आप डर का भाव जगाने वाली इस फिल्म में कोई नई बात तलाशने निकलेंगे तो शायद आपको निराशा हाथ लगे, लेकिन इसे सिर्फ एक और हॉरर फिल्म समझकर देखेंगे तो यह अच्छा टाइमपास होगा।

प्रमुख कलाकार : गिलियन जेकब्स, एजी रॉबर्टसन, जॉन गेलागर जूनियर

निर्देशक : जेकब चेज

टाइण : 1 घंटे 45 मिनट

कितने स्टार्स : 2.5 (ढाई)


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