Cirkus Review: रणवीर सिंह को डबल रोल में देखने के बावजूद नहीं आयी लोगों को हंसी, बेमजा है यह सर्कस
Cirkus Review सिंबा और सूर्यवंशी के बाद रणवीर सिंह और रोहित शेट्टी की जोड़ी सर्कस के साथ एक बार दर्शकों को फिर से बड़े पर्दे पर देखने को मिली। क्रिसमस के मौके पर जाकर आप अगर इस फिल्म को देखने का मन बना रहे हैं तो पहले पढ़े ये रिव्यू।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। साल 1982 में प्रदर्शित हुई गुलजार निर्देशित संजीव कुमार और देवेन वर्मा अभिनीत फिल्म अंगूर ने काफी गुदगुदाया था। महान नाटककार शेक्सपियर के नाटक कॉमेडी आफ एरर्स से प्रेरित इस फिल्म में संजीव और देवेन वर्मा, दोनों डबल रोल में थे। अब करीब चालीस साल बाद रोहित शेट्टी ने अंगूर के अधिकार लेकर सर्कस बनाई है। उन्होंने परिवेश बदला है, लेकिन कहानी की मूल आत्मा वही है।
हालांकि, गोलमाल सीरीज, सिंघम, सिंबा जैसी मनोरंजक फिल्में देने वाले रोहित शेट्टी सर्कस को एंटरटेनिंग नहीं बना पाए हैं। सर्कस को उन्होंने गोलमाल सीरीज से जोड़ने की कोशिश की है, जिसकी झलक वह ट्रेलर में पहले ही दे चुके हैं।
क्या है सर्कस की कहानी
कहानी साल 1942 में आरंभ होती है। जमनादास आश्रम में पले बढ़े डा. राय जमनादास (मुरली शर्मा) और जाय जमनादास (उदय तिककेर) आश्रम में पलने वाले बच्चों की देखरेख करते हैं। आश्रम में दो जोड़ी जुड़वा बच्चों को दो अलग-अलग परिवार गोद लेते हैं। डा. राय साबित करना चाहते हैं कि रिश्तों के मायने खून के नहीं परवरिश के होते हैं। इसलिए सगे बच्चों को अदल बदल कर उन्हें जुड़वा बताकर गोद दे देते हैं।
एक जोड़ी को बेंगलुरु में मशहूर उद्योगपति शिनाय परिवार गोद लेता है। दूसरे को ऊटी में सर्कस चलाने वाला परिवार। खास बात यह है कि राय और जाय के नाम पर दोनों परिवार अपने बेटों के नाम राय (रणवीर सिंह) और जाय (वरूण शर्मा) रखते हैं। बेंगलुरु में पला बढ़ा एक जोड़ा परिवार का बिजनेस संभाल रहा है। उसमें राय को बिंदु (जैकलीन फर्नांडिज) से प्यार है। वहीं, पिता के निधन के बाद दूसरा जोड़ा उनका सर्कस संभालता है। सर्कस में काम करने वाला राय इलेक्ट्रिक मैन के तौर पर विख्यात है।
फिल्म की कहानी है बेहद कमजोर
दरअसल, उस पर इलेक्ट्रिक करंट का असर नहीं होता, जबकि उसी वक्त दूसरे राय के शरीर में जबरदस्त करंट दौड़ जाता है। उसे छूने वाले शख्स को जबरदस्त करंट लगता है। सर्कस चलाने वाला राय की पत्नी माला (पूजा हेगड़े) नाम बदलकर उपन्यास लिखती है। दोनों जोड़ियों पर डा. राय की नजर लगातार रहती है। गड़बड़ होनी तब शुरू होती है, जब बेंगलुरु वाला जोड़ा ऊटी जाता है। डबल रोल वाले किरदारों में परिस्थितिवश अदला बदली होने पर सिचुएशल कॉमेडी होती है, पर कमजोर पटकथा यहां कहानी का मजा किरकिरा कर देती है।
मध्यांतर से पहले तक किरदारों को स्थापित करने में लेखक फरहाद सामजी, विधि धोड़गांवकर और संचित बेंद्री ने काफी वक्त ले लिया है। उसमें हंसी के पल नदाराद मिलते हैं। मध्यांतर के बाद जब किरदारों की अदला बदली होती है, तब भी वह हंसाने में नाकामयाब रहते हैं।
रणवीर सिंह डबल रोल के बाद भी नहीं कर पाए कमाल
हास्य पैदा करने के लिए उर्दू, अंग्रेजी भाषा को तोड-मरोड़कर पेश करने की कोशिश विफल रहती है। करंट लगने पर 'आओ ट्विस्ट करें' जैसा गाना कहीं से भी लुभावना नहीं लगता। कहानी पिछली सदी के छठे दशक के आसपास है, लेकिन वो दौर स्क्रीन पर कहीं महसूस नहीं होता। फिल्म में उस दौरान के कुछ हिट फिल्मी गानों का बैकग्राउंड में प्रयोग किया गया है, जो कहानी के साथ सुसंगत नहीं लगता।
फिल्म का वीएफएक्स भी बहुत खराब है। डबल रोल के बावजूद रणवीर सिंह प्रभावित करने में नाकाम रहते हैं। अलग माहौल और परिवेश में रहने के बावजूद उनके किरदारों में अंतर कर पाने में लेखक और निर्देशक नाकाम रहे हैं। उनके किरदार जब आपस में मिलते हैं तो वह सीन रोमांचक होना चाहिए था। वह काफी नीरस रहा।
कमजोर है 'सर्कस' की पटकथा
बच्चा गोद लेने को व्याकुल इलेक्ट्रिकमैन राय की पत्नी माला (पूजा हेगड़े) का किरदार भी रोचक नहीं बन पाया है। जैकलीन फर्नांडिज महज सजावटी गुड़िया की तरह फिल्म में दिखी हैं। फिल्म का आकर्षण संजय मिश्रा और सिद्धार्थ जाधव रहे हैं। उन्होंने कमजोर पटकथा के बावजूद अपने अभिनय से दर्शकों को साधने की कोशिश की है। सर्कस में अश्विनी कलसेकर, बृजेंद काला, सिद्धार्थ जाधव, जानी लिवर, टिकू तलसानिया, मुकेश तिवारी, अनिल चिरंजीत जैसे कामेडी के दिग्गज कलाकारों की जमात होने के बावजूद फिल्म मनोरंजन करने में असफल रहती है। आइटम सांग करंट लगा कर्णप्रिय है। बहरहाल, यह सर्कस बेमजा है। यह रोहित के करियर की अब तक की सबसे कमजोर फिल्म है।
प्रमुख कलाकार : रणवीर सिंह, वरूण शर्मा , पूजा हेगड़े, जैक्लिन फर्नांडीज, संजय मिश्रा, मुरली शर्मा, बृजेंद काला, सिद्धार्थ जाधव, जानी लिवर, मुकेश तिवारी
निर्देशक: रोहित शेट्टी
अवधि: 138 मिनट
स्टार: डेढ़ स्टार