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Brahmastra Review: शाह रुख खान के कैमियो ने 'ब्रह्मास्त्र' में डाली जान, ईशा-शिवा की लव स्टोरी रही बेअसर

Brahmastra Review ब्रह्मास्त्र में शाह रुख खान ने कैमियो रोल प्ले किया है लेकिन पूरी फिल्म में सबसे प्रभावशाली उनके ही सीन रहे हैं। आलिया-रणबीर की लव स्टोरी ने तो स्क्रीन पर निराश किया और मौनी रॉय हॉलीवुड फिल्मों के किरदार जैसी लगीं।

By Ruchi VajpayeeEdited By: Published: Fri, 09 Sep 2022 12:50 PM (IST)Updated: Fri, 09 Sep 2022 12:50 PM (IST)
Brahmastra Review: शाह रुख खान के कैमियो ने 'ब्रह्मास्त्र' में डाली जान, ईशा-शिवा की लव स्टोरी रही बेअसर
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स्मिता श्रीवास्‍तव, मुंबई। तमाम बाधाओं से गुजरते हुए अयान मुखर्जी द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्‍म ब्रह्मास्त्र पार्ट 1 : शिवा सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। करीब दस साल से इस फिल्‍म पर काम कर रहे अयान ने इसे तीन हिस्‍सों में बनाने की बात कही है। इसका पहला पार्ट नाम के अनुरुप शिवा की कहानी है। अयान ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि यह फिल्‍म भारतीय पौराणिक कहानियों से प्रेरित है जिसे आधुनिक दुनिया में आधुनिक किरदारों के साथ सेट किया गया है। यह प्राचीन शास्‍त्रों में वर्णित अस्‍त्रों की काल्‍पनिक कहानी पर आधारित है।

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कुछ ऐसी है कहानी...

कहानी यूं है कि हिमालय में घोर तपस्‍या करने वाले ऋषि मुनियों को वरदान स्‍वरुप ब्रह्म शक्ति अर्जित होती है, जब यह धरती से टकराई तो बाकी अस्त्रों का जन्‍म हुआ। यह अस्‍त्र है अग्नि अस्‍त्र, जल अस्‍त्र, वानर अस्‍त्र। इसमें महाअस्‍त्र ब्रह्मास्त्र होता है। उसकी रक्षा करने वाले ब्रह्मांश कहलाए। कहानी का आरंभ में मुंबई में असुर सरीखी जुनून (मौनी राय) और उसके दो साथी प्रतिष्ठित वैज्ञानिक मोहन भार्गव (शाह रुख खान) को प्रताड़ित कर रहे हैं।

कैमियो में दिखे शाह रुख खान

दरअसल वे मोहन से तीन हिस्‍सों में टूट चुके ब्रह्मास्त्र का एक हिस्‍सा लेने आए हैं। असल में मोहन वानर अस्‍त्र है। यानी वानर की तरह कूद फांद कर सकता है। उधर दिल्‍ली में अस्‍त्रों की दुनिया से अनजान अनाथ शिवा (रणबीर कपूर) सपने में इस घटना को घटित होते देख रहा है। उसे अहसास नहीं कि वह खुद में अग्नि अस्‍त्र है। दशहरे आयोजन के दौरान वह पहली नजर में ही लंदन से आई ईशा (आलिया भट्ट ) को अपना दिल दे बैठता है। घटनाक्रम मोड़ लेते हैं दोनों में प्रेम हो जाता है।

ईशा-शिवा की केमिस्ट्री

वह ईशा को बताता है कि मोहन ने आत्‍महत्‍या नहीं की उनकी हत्‍या हुई है। यह सब उसने देखा है। अब जुनून और उसके साथियों की नजर वाराणसी के आर्टिस्‍ट अनीश शेट्टी (नागार्जुन अक्किनेनी) पर है। शिवा उन्‍हें बचाने के लिए वाराणसी जाता है। ईशा भी उसके साथ आती है। वहां जाकर उन्‍हें पता चलता है कि शेट्टी नंदी अस्‍त्र है। क्‍या जुनून ब्रह्मास्त्र के तीनों हिस्‍सों को हासिल कर पाएगी? उन अस्‍त्रों को हासिल करने के पीछे असल वजह क्‍या है ? इन पहलुओं के ईदगिर्द फिल्‍म की कहानी आगे बढ़ती है।

ब्रह्मास्त्र पर हावी है हॉलीवुड

वेक अप सिड और ये जवानी है दीवानी फिल्‍म के बाद से अयान अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट ब्रह्मास्त्र पर काम कर रहे हैं। उन्‍होंने पौराणिकता के साथ आधुनिकता को जोड़ कर ब्रह्मास्त्र की दुनिया गढ़ी है। हालांकि उन पर हॉलीवुड की सुपर पावर आधारित फिल्‍मों का प्रभाव फिल्‍म में साफ झलकता है। यही वजह है कि फिल्‍म का एक्‍शन कहीं-कहीं हॉलीवुड फिल्‍म एवेंजर्स की याद दिलाता है जिसमें किरदारों के पास सुपरपावर होती है और एकदूसरे की रक्षा के लिए उन शक्तियों का इस्‍तेमाल करते हैं।

बेअसर हैं VFX

अस्‍त्रों की ताकतों को दर्शाने के लिए फिल्‍म में विजुअल इफेक्ट्स का काफी उपयोग किया गया है। हालांकि वह बहुत प्रभावी नहीं बन पाए हैं। फिल्‍म का अहम पहलू शिवा और ईशा की प्रेम कहानी है। प्रेम कहानी में रूठना, मनाना, हंसी ठिठोली, छेड़खानी, एकदूसरे को पाने की तड़प होती है। पिछले कुछ समय से हिंदी फिल्‍मों में प्रेम कहानी होती है, लेकिन प्रेम अगन नहीं होती। यहां भी ईशा और शिवा की प्रेम कहानी है, लेकिन स्‍क्रीन पर देखते हुए रोमांस और प्रेम की अनुभूति नहीं होती। इसकी वजह कमजोर स्‍क्रीन प्‍ले है।

कमजोर है स्क्रीन प्ले

संवाद भी बहुत प्रभावी नहीं बन पाए हैं। शुरुआत में कहानी धीमी गति से आगे बढ़ती है फिर शेट्टी का प्रसंग आने के बाद उसमें गति आती है। हालांकि शेट्टी के किरदार को विस्‍तार देने की जरुरत थी। फिल्‍म के चेजिंग सीन (पीछा करने) रोमांचक हैं। फिल्‍म में जुनून के साथी रिवाल्वर लेकर चलते हैं यह बात भी हजम नहीं होती। अयान ने भारतीय सिनेमा में पहली बार अस्‍त्रवर्स यानी अस्‍त्रों की दुनिया बनाने की बात कही है, लेकिन फिल्‍म का कोई सिग्‍नेचर ट्यून नहीं बनाया है जो ब्रह्मास्त्र की पहचान बने। फिल्‍म का क्‍लाइमेक्‍स भी बहुत प्रभावी नहीं बन पाया है। यह फिल्‍म बाहुबली के क्‍लाइमेक्‍स की तरह कटप्पा ने बाहुबली को क्‍यों मारा ? की तरह दूसरे पार्ट के लिए कोई जिज्ञासा छोड़ने में कामयाब नहीं रहती है।

अमिताभ के किरदार में है अधूरापन

असल जिंदगी में पति पत्‍नी रणबीर कपूर और आलिया भट्ट ने इस फिल्‍म के साथ अपनी असल प्रेम कहानी की शुरुआत होने की बात कही थी। हालांकि स्‍क्रीन पर उनकी केमिस्‍ट्री रंग नहीं जमा पाई है। फिल्‍म में शिवा का अपनी शक्तियों को जागृत करने वाला सीन लंबा हो गया है। मेहमान भूमिका में शाह रुख जंचते हैं। गुरु जी के किरदार में अमिताभ बच्‍चन को समुचित स्‍क्रीन टाइम मिला है, लेकिन उनके किरदार में अधूरापन है।

मार्वल फिल्‍म के किरदार जैसी लगीं मौनी रॉय

मेहमान भूमिका में आई डिंपल कपाड़िया का किरदार भी अविकसित है। ऐसा शायद इसलिए भी है कि तीन हिस्‍सों में बनने के कारण इनके किरदारों को अगले पार्ट में विस्‍तार मिले। मौनी रॉय का किरदार मार्वल फिल्‍म के किरदार स्‍कारलेट विच जैसा लगाता है। बस यहां पर उसे काले कपड़े पहनाकर लाल रंग की आंखें दे दी गई हैं। खलनायिका के इस किरदार के लिए सशक्‍त कलाकार की जरूरत थी। मैनू चढ़ गया डांस का भूत और केसरिया गाना पहले ही काफी पसंद किया जा चुका है।

फिल्‍म रिव्‍यू : ब्रह्मास्त्र पार्ट 1 : शिवा

प्रमुख कलाकार : रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्‍चन, नागार्जुन अक्किनेनी, मौनी राय

निर्देशक : अयान मुखर्जी

अवधि : 166 मिनट

स्‍टार : ढाई


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