Move to Jagran APP

फ़िल्म समीक्षा: निराश करता है ये बादशाहो (दो स्टार)

कुल मिलाकर 'बादशाहो' एक औसत फ़िल्म है।

By Hirendra JEdited By: Published: Fri, 01 Sep 2017 01:10 PM (IST)Updated: Sat, 02 Sep 2017 07:42 AM (IST)
फ़िल्म समीक्षा: निराश करता है ये बादशाहो (दो स्टार)
फ़िल्म समीक्षा: निराश करता है ये बादशाहो (दो स्टार)

- पराग छापेकर

loksabha election banner

मुख्य कलाकार: अजय देवगन, इमरान हाशमी, इलियाना डिक्रूज, ईशा गुप्ता, संजय मिश्रा, विद्युत् जामवाल आदि।

निर्देशक: मिलन लूथरिया

निर्माता: टी सीरिज़

'वंस अपॉन ए टाइम' और 'डर्टी पिक्चर' जैसी फ़िल्में बनाने वाले मिलन लुथरिया की फ़िल्म 'बादशाहो' का काफी समय से इंतजार था। मधुर भंडारकर की 'इंदु सरकार' के आने के बाद से यही चर्चा हो रही थी कि दोनों ही फ़िल्में इमरजेंसी पर हैं। लेकिन, निर्देशक मिलन लूथरिया की फ़िल्म 'बादशाहो' बिल्कुल अलग है। इसकी पृष्ठभूमि जरूर इमरजेंसी रखी गई है लेकिन, कहानी का सरोकार इमरजेंसी से कतई नहीं है।

यह कहानी है राजकुमारी गीतांजलि (इलियाना डी क्रूज) की जिस पर इमरजेंसी के दौरान एक पॉलिटिशियन संजीव की नजर पड़ती है और राजकुमारी उसे बिल्कुल पसंद नहीं करती। ऐसे में संजीव इमरजेंसी के चलते राजकुमारी को फंसाने के लिए उसका खजाना लूटना चाहता है। इसके लिए वह आर्मी का इस्तेमाल करता है। इस मुसीबत में सामने आता है भवानी (अजय देवगन) जो राजकुमारी का बॉडीगार्ड है और राजकुमारी से प्यार भी करता है। राजकुमारी भी उसे प्यार करती है।

खजाना जब सरकारी ट्रक में दिल्ली की ओर रवाना होता है उसे लूटने का प्लान बनाया जाता है और इस काम में उसका साथ देते हैं दलिया (इमरान हाशमी) गुरु जी (संजय मिश्रा) और संजना (ईशा गुप्ता)। क्या यह चारों खजाना लूट पाएंगे? क्या राजकुमारी के पास वह खजाना वापस पहुंचेगा? इसी ताने-बाने पर बुनी गई है फ़िल्म 'बादशाहो'। 'बादशाहो' एक साधारण फ़िल्म है। फ़िल्म शुरू होते ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और इमरजेंसी के दौर के दृश्य सामने आते हैं जिसे देखकर लगता है कि शायद आप एक समझदार फ़िल्म देखने जा रहे हैं! मगर जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है एक रेग्यूलर मसाला फ़िल्म की तरह ही नज़र आती है 'बादशाहो'।

बावजूद इसके इंटरवल तक फ़िल्म आपको बांधे रखती है। लेकिन, इसके बाद शुरू होता है सारा गड़बड़झाला! यानी फ़िल्म कहीं के कहीं निकल जाती है ! क्लाइमेक्स पर आकर आप खुद को ठगा सा महसूस करते हैं! इतनी बड़ी समस्या का ऐसा समाधान लेखन विभाग की असफलता दिखाती है!

अजय देवगन ने शानदार परफॉर्मेंस दिया। इमरान हाशमी एक अलग ही अंदाज में नजर आते हैं! इलियाना डिक्रूज एक समर्थ अभिनेत्री हैं और उन्होंने दर्शकों को बांधे रखा है और इनके बीच ईशा गुप्ता भी एक अलग डायमेंशन दिखाती नजर आती है! हालांकि, विद्युत् जामवाल को इस तरह के किरदारों से बचना चाहिए! संजय मिश्रा का अभिनय सदाबहार है। मगर इन सभी एक्टर्स की मेहनत पर पानी फेर देता है स्क्रिप्ट डिपार्टमेंट। अगर स्क्रिप्ट पर मेहनत की जाती तो शायद 'बादशाहो' एक पूरी तरह से मनोरंजक फ़िल्म बन पाती। फ़िल्म के लेखक रजत अरोरा के साथ निर्देशक मिलन लूथरिया को थोड़ी और मेहनत की जरूरत थी।

बहरहाल, फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी सुनीता राडिया ने कमाल की की है! एडिटर आरिफ़ शेख को क्लाइमेक्स में और मेहनत करने की जरूरत थी। वह चाहते तो शायद फ़िल्म एक कंप्लीट फ़िल्म बन सकती थी। फ़िल्म के गाने ज़रूर कर्णप्रिय हैं। कुल मिलाकर 'बादशाहो' एक औसत फ़िल्म है। अगर आप अजय देवगन या इमरान हाशमी के बहुत बड़े फैन हैं तो यह फिल्म देखने आप जा सकते हैं!

जागरण डॉट कॉम रेटिंग: 5 में से 2 (दो) स्टार

अवधि: 2 घंटे 15 मिनट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.