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EXCLUSIVE INTERVIEW: शिल्पा शेट्टी को एक्टिंग से भी ज्‍यादा पसंद हैं ये दो चीजें

‘बाजीगर’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखने वाली शिल्पा शेट्टी इंडस्ट्री में ढाई दशक का सफर पूरा कर चुकी हैं। उन्हें फिटनेस फ्रीक कहा जाता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 11:30 AM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 11:22 PM (IST)
EXCLUSIVE INTERVIEW: शिल्पा शेट्टी को एक्टिंग से भी ज्‍यादा पसंद हैं ये दो चीजें
EXCLUSIVE INTERVIEW: शिल्पा शेट्टी को एक्टिंग से भी ज्‍यादा पसंद हैं ये दो चीजें

[स्मिता श्रीवास्तव]। ‘बाजीगर’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखने वाली शिल्पा शेट्टी इंडस्ट्री में ढाई दशक का सफर पूरा कर चुकी हैं। उन्हें फिटनेस फ्रीक कहा जाता है। उनकी हेल्थ और फिटनेस आधारित किताब ‘द ग्रेट इंडियन डाइट’ काफी लोकप्रिय हुई। अब उनकी दूसरी किताब ‘द डायरी ऑफ ए डोमेस्टिक दीवा’ आई है। उसमें उन्होंने झटपट बनने वाली स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक रेसिपीज दी हैं। अपनी किताब, भारतीय भोजन और फिल्मी सफर को लेकर शिल्पा शेट्टी ने साझा की दिल की बातें...

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‘बाजीगर’ को रिलीज हुए इस साल 25 वर्ष हो जाएंगे। कौन सी पुरानी यादें ताजा करेंगी?
समय का पता ही नहीं चला। मैं खुद को नवोदित ही मानती हूं। आज भी उसी एनर्जी और उत्साह के साथ घर से निकलती हूं। मैं शुक्रगुजार हूं सहनिर्माता रतन जैन जी की। उन्हें लगा कि मुझमें काबिलियत है। बिना स्क्रीन टेस्ट के ‘बाजीगर’ के लिए मेरा चयन किया। फिल्म के निर्देशक अब्बास-मस्तान ने मुझे बहुत झेला। मुझे हिंदी बिल्कुल नहीं आती थी। मैं उनके सामने चुपचाप खड़ी हो जाती थी। वह मुझे बच्चे की तरह डायलॉग सिखाते थे। मैंने सोचा नहीं था कि इतना लंबा सफर तय कर पाऊंगी। इस सफर में दर्शकों ने खूब प्यार दिया।

‘द डायरी ऑफ ए डोमेस्टिक दीवा’ के सफर को कैसे बयां करेंगी?
मैंने सोचा नहीं था कि लेखन में कदम रखूंगी। दरअसल, मैंने जिंदगी में कभी कुछ प्लान नहीं किया। ईश्वर ने ही मेरी जिंदगी के प्लान बहुत खूबसूरती से बनाए। हेल्थ और फिटनेस की जर्नी को लेकर मैंने सोचा नहीं था कि इतना आगे कदम बढ़ाऊंगी। अब मैं फिटनेस के मामले में पथप्रदर्शक बनना चाहती हूं। लोग एचआईवी, कैंसर जैसे सामाजिक मुद्दों से जुड़े हैं। मैं फिटनेस के साथ जुड़ी हूं। मुझे लगता है इससे बड़ा कर्म नहीं हो सकता। कहते हैं इलाज से बचाव अच्छा। उस नजरिए से मैंने सोचा। मैंने अस्वस्थ जीवनशैली जीने वाले लोगों में जागरूकता लाने की सोची। खासतौर पर बच्चों और नई पीढ़ी को स्वस्थ जीवनशैली देना बेहद जरूरी है। यह समझना जरूरी है कि सामान खरीदने से पहले लेबल पढ़ें।

किताब का शीर्षक ‘द डायरी ऑफ ए डोमेस्टिक दीवा’ कैसे चुना?
मुझे कुकिंग का बहुत शौक है। मैं रेसिपीज को अपनी डायरी में लिखती रहती हूं। मेरे पास चार डायरी हैं। फिटनेस का आरंभ आपके खानपान से होता है। मेरी पहली किताब को काफी सफलता मिली। फिर मुझे अपनी डायरी की याद आई। उसे मैं हमेशा साथ रखती हूं। उसमें मेरी ढेर सारी रेसिपीज हैं। साथ ही कुछ टिप्स हैं। जिन्हें मैं रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करती हूं। मैंने सोचा उसमें से कुछ बाहर लाते हैं। सबको लगता है कि वजन नियंत्रित रखना, घर चलाना मेरे लिए आसान है। वे मुझे दीवा की नजर से देखते हैं। मेरी जिंदगी भी आम लोगों की तरह है। मेरी परवरिश मध्यवर्गीय परिवार में हुई है। वो संस्कार, विचार और मूल्य अभी भी कायम हैं। मेरे घर पर लंच में एक दाल, एक सब्जी, चिकन और रोटी-चावल ही बनता है। कई सब्जियां नहीं बनतीं। वर्किंग वूमन के लिए घर-परिवार में संतुलन साधना आसान नहीं होता। ज्यादातर वर्किंग लोग रेडीमेड खाने को तरजीह देते हैं। यह किताब उन वर्किंग और अकेले रहने वाले लोगों के लिए है। चाहे वे महिला हों या पुरुष। उनके लिए घरेलू नुस्खे किताब में हैं। मैं दीवा हूं, लेकिन डोमेस्टिक भी हूं। इस तरह किताब का शीर्षक चुना। किताब से कमाई नहीं होती। यह समाज को लौटाने का मेरा अपना तरीका है।

डायरी कबसे मेनटेन कर रही हैं?
बहुत सालों से। अगर मुझे कहीं भी कोई रेसिपी पसंद आए तो लिख लेती हूं। घर आकर उसे भारतीय तरीके से पकाती हूं। कुछ रेसिपीज को मैंने अपने हिसाब से बदला। मसलन मंथाई करी। यह थाई करी का मंगलोरियन वर्जन है। यह मेरी ओरिजनल रेसिपी है। यह बहुत जल्दी और आसानी से बन जाती है। मेरी सब्जी में आपको तेल नहीं मिलेगा, पर मैं स्वाद से कभी समझौता नहीं करती। मेरी हर डिश में भारतीयता का तड़का होता है। मैं कालीमिर्च व जीरे को खाने में शामिल करना पसंद करती हूं।

व्यस्तता के बावजूद कुकिंग के शौक को कैसे बरकरार रखा?
मैंने 14 साल की उम्र में कुकिंग क्लास जॉएन की थी। तब से कुकिंग का शौक कायम है। हम लंदन जाते हैं। वहां घर पर कुक है। फिर भी सुबह का ब्रेकफास्ट मेरे पति बनाते हैं। रात का डिनर कभी-कभी मैं बना लेती हूं। वहां की जीवनशैली अलग है। वहां पर हम शॉपिंग करने जाते हैं। यहां पर शॉपिंग का मौका ज्यादा नहीं मिलता। मेरे बेटे को भी कुकिंग का बहुत शौक है। उसके साथ किचन में डिशेज को लेकर प्रयोग करती रहती हूं। उसे केक बनाना बेहद पसंद है। मैं उसे प्रोत्साहित भी करती हूं।

प्रेगनेंसी के बाद आपका वजन 32 किग्रा बढ़ गया था। उसे घटाना कितना चुनौतीपूर्ण था?
लक्ष्य रखना एक बात होती है। लक्ष्य की तरफ काम करना और बरकरार रखना दूसरी। लोग लक्ष्य से कई बार भटक जाते हैं। भले काम का मामला हो या फिटनेस, फोकस कायम रहना चाहिए। अनुशासन होना बेहद जरूरी होता है। मैंने उसे ही कायम रखा। अनुशासन का अर्थ डाइटिंग से नहीं है। मैं खाने में फाइबर, प्रोटीन युक्त चीजें शामिल करती हूं। योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करती हूं।

हाउसवाइफ के लिए कोई संदेश?
हमारे देश में महिलाएं परिवार के लिए पहले सोचती हैं। खुद के लिए आखिर में। यह हमारा कल्चर है। यह अच्छी बात है, मगर घर-परिवार की व्यस्तताओं के बीच व्यायाम और अपनी हेल्थ पर ध्यान दें। अगर वे हेल्दी और खुश रहेंगी तो परिवार का भी बेहतर ख्याल रख सकेंगी।

अपने कॅरियर पर कोई किताब लिखना चाहेंगी?
फिलहाल मैं एक उम्दा विषय पर किताब लिख रही हूं। उसके बारे में जल्द ही आधिकारिक घोषणा करूंगी। 


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