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विलेन बन कर मजा आया: वीर दास

मुंबई। तिग्मांशु धूलिया की फिल्म 'रिवॉल्वर रानी' में पहली बार क्रूर, मतलबी और मौकापरस्त विलेन की भूमिका में नजर आएंगे 'देल्ही बेली' फेम कॉमेडियन वीर दास। देही बेली फेम वीर दास ने स्टैंड अप कॉमेडी से लेकर फिल्मों का सफर तय किया है। अब तक उनकी इमेज अच्छे कॉमेडियन की रह

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 12:07 PM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 12:07 PM (IST)
विलेन बन कर मजा आया: वीर दास

मुंबई। तिग्मांशु धूलिया की फिल्म 'रिवॉल्वर रानी' में पहली बार क्रूर, मतलबी और मौकापरस्त विलेन की भूमिका में नजर आएंगे 'देल्ही बेली' फेम कॉमेडियन वीर दास। देही बेली फेम वीर दास ने स्टैंड अप कॉमेडी से लेकर फिल्मों का सफर तय किया है। अब तक उनकी इमेज अच्छे कॉमेडियन की रही है, मगर अब वह इस इमेज से ऊपर उठना चाहते हैं। वह विविधतापूर्ण रोल करना चाहते हैं। तिग्मांशु धूलिया व उनकी टीम ने उनकी वह हसरत पूरी कर दी है। 'रिवॉल्वर रानी' में वह दिखाई देंगे नकारात्मक अंदाज में। उनसे बातचीत के अंश:

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यह फिल्म आपको किस प्रकार मिली?

फिल्म के निर्देशक साई कबीर और निर्माता तिग्मांशु धूलिया ने जब मुझे फिल्म की नैरेशन दी तो मैं हैरान था। मैंने उनसे पूछा कि मैं कहीं रोहन कपूर के इस रोल के लिए मिसफिट तो नहीं, क्योंकि मैं अब तक बड़ा ही हंसमुख किस्म के इंसान का किरदार निभाता रहा हूं। यह तो बड़ा ही चालाक किस्म का इंसान है। जो किसी का खून भी बहा सकता है। उन्होंने कहा कि वह इरादतन मुझे इस भूमिका में देखना चाहते हैं। मेरा यह अंदाज दर्शकों को हैरान कर देगा।

रोहन कपूर के बारे में विस्तार से बताएं?

वह संघर्षरत कलाकार है। तीन सालों से फिल्म जगत में काम पाने को हाथ-पैर मार रहा है। उसे पैसे का लालच है। अपने कॅरियर को बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इस क्रम में वह कंगना के किरदार अलका सिंह को यूज करने की कोशिश करता है और अलका उसे यूज करना चाहती है। दोनों में से कोई भी पॉजिटिव शेड का नहीं है। सब के सब डार्क हैं।

रोहन कपूर के अवतार में आपको दर्शक स्वीकारेंगे ही, उसको लेकर कितने आश्वस्त या फिर नर्वस हैं?

मेरे ख्याल से लोगों ने अब तक मुझे स्टैंड अप कॉमेडियन के साथ-साथ एक अदाकार के तौर पर भी स्वीकारा है। ऐसे में मेरी दर्शकों के प्रति जिम्मेदारी बढ़ गई थी कि मैं उन्हें थोड़ा वैरायटी दूं। मैं उन्हें लगातार कॉमेडी प्रदान करता रहूं तो वे भी बोर हो जाएंगे। 'रंग दे बसंती' ने दरअसल मुझमें यह आत्मविश्वास पैदा किया कि एक आम चेहरे-मोहरे वाले इंसान के लिए भी हिंदी फिल्म जगत में अलग स्पेस है।

आप जिस किस्म की कॉमेडी करते हैं, दर्शक इन दिनों उसके विपरीत जॉनर की कॉमेडी पसंद कर रहे हैं।

सटल, ब्लैक या फिर परिस्थितिजन्य कॉमेडी कम बनती हैं। क्या दर्शक उसे पचाने को तैयार नहीं हैं?

ऐसा नहीं है। दर्शक पूरी तरह मैच्योर हैं। सिर्फ लाउड और फो‌र्स्ड कॉमेडी से फिल्म का भला नहीं होने वाला। हमारे यहां हर किस्म की फिल्मों के लिए स्पेस है। दर्शकों को मनोरंजन से सिर्फ मतलब है। वह एलिमेंट उन्हें सट्ल कॉमेडी से आए या फिर लाउड से, वह अलग मसला है।

(अमित कर्ण)

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