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ग्रे शेड का अलग मजा है - ताहिर राज भसीन

यशराज फिल्म्स के तेवर और कलेवर में तो तब्दीलियां हुई ही हैं। वे अपनी छत्रछाया में आउटसाइडर प्रतिभाओं को भी बढ़ावा दे रहे हैं। मिसाल के तौर पर रणवीर सिंह, सुशांत सिंह राजपूत, आयुष्मान खुराना और अब नया नाम ताहिर राज भसीन का है। ‘मर्दानी’ में वे बॉय नेक्स्ट डोर

By Monika SharmaEdited By: Published: Sun, 13 Sep 2015 12:13 PM (IST)Updated: Sun, 13 Sep 2015 12:31 PM (IST)
ग्रे शेड का अलग मजा है - ताहिर राज भसीन

यशराज फिल्म्स के तेवर और कलेवर में तो तब्दीलियां हुई ही हैं। वे अपनी छत्रछाया में आउटसाइडर प्रतिभाओं को भी बढ़ावा दे रहे हैं। मिसाल के तौर पर रणवीर सिंह, सुशांत सिंह राजपूत, आयुष्मान खुराना और अब नया नाम ताहिर राज भसीन का है। ‘मर्दानी’ में वे बॉय नेक्स्ट डोर से लगने वाले खूंखार विलेन की भूमिका में थे। अब उनका चयन जॉन अब्राहम की ‘फोर्स 2’ में मेन विलेन के तौर पर हुआ है।

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टिपिकल विलेन का दौर नहीं
पुराने दौर के विलेन की तरह नहीं, बल्कि ग्रे शेड में अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं ताहिर। वे बताते हैं, ‘मर्दानी’ के बाद मुझे लगातार नेगेटिव रोल ऑफर हो रहे थे। कुछ रोमांटिक रोल भी थे। मैं दोनों का मिश्रण चाहता था। फिल्म ‘फोर्स 2’ में उसी किस्म की भूमिका में हूं। इसकी कहानी हंगरी से शुरू होती है और मिडिल ईस्ट होते हुए मुंबई का रुख करती है। मेरा किरदार जिस्मानी से ज्यादा दिमागी एक्शन करता दिखेगा। अपने किरदार के लिए मैं बल्की हो रहा हूं। मिक्स मार्शल आर्ट भी सीख रहा हूं। फिल्म में हाई स्पीड एक्शन होगा। जॉन से मेरी मुलाकात हुई है। वे बड़े अच्छे इंसान हैं। मुझे पल भर में सहज कर दिया। अब टिपिकल विलेन का दौर नहीं रहा। ग्रे शेड किरदार उफान पर हैं। ‘मर्दानी’ में मेरा किरदार लड़कियों को वेश्यावृत्ति में धकेलता है, पर वह खुद कभी उनका नाजायज फायदा नहीं उठाता। कोशिश है कि फिल्में कम भले ही करूं लेकिन जितना भी काम हो, दर्शकों को याद रह जाए। वैरायटी रोल मेरी प्राथमिकता है।’

हर स्टेप पर सीख रहा हूं
लगातार काम सीखते रहने की चाहत रखते हैं ताहिर। वे कहते हैं, ‘एक्टिंग मेरा बचपन का प्यार है। छोटी सी उम्र में ही स्टेज पर परफॉर्म करने लगा था। मुझे परफॉर्म करने की आदत हो गई थी। इसने मुझे फैसले लेने में मदद की। दिल्ली में बैरी जॉन स्टूडियो से छह महीने का कोर्स किया। तीन साल थिएटर किया। कई कॉलेज फेस्टिवल में हिस्सा लिया। वहां से दुनिया को देखने का अंदाज बदला। मुंबई आने के बाद नसरुद्दीन शाह के साथ वर्कशॉप किए। उनसे मैैंने बहुत सीखा। सीखने की मेरी हमेशा से जिज्ञासा रही है। ‘मर्दानी’ के दौरान रानी मुखर्जी से काफी सीखा। शूटिंग के समय कई लोग मौजूद रहते हैं। ऐसे में उन्होंने किरदार पर फोकस करना सिखाया। वे किरदार में बड़ी जल्दी शिफ्ट हो जाती हैं।’

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तैयारी से आया हूं
अपने बैकग्राउंड के बारे में वे बताते हैं, ‘मैं मूल रूप से दिल्ली से हूं। हिंदू कॉलेज से पढ़ाई की। मेरे पिता इंडियन एयर फोर्स में रहे हैं। स्कूल में डांस, डिबेट और म्यूजिक में मेरी दिलचस्पी रही है। इन सब चीजों ने मेरी एक्टिंग को निखारने में काफी मदद की है। मैंने अपनी पहली एक्टिंग तेरह साल की उम्र में बैरी जॉन के साथ की थी। कोई शिक्षक आपके काम की तारीफ कर दे तो हौसला मिलता है। कम उम्र में ही उन्होंने मेरे काम की सराहना की थी। मैंने स्कूल और कॉलेज में एक्टिंग जारी रखी। मैैं फिल्म पृष्ठभूमि से नहीं था तो पढ़ाई भी जरूरी थी। पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया, फिर यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया से फिल्म स्टडीज में मास्टर डिग्री हासिल की।’

आमिर खान ने की तारीफ
आमिर खान द्वारा तारीफ मिलने से उत्साहित ताहिर कहते हैं, ‘मैं साल 2008 में मुंबई आया। मुझे लगा कि एक-दो बडे़ बैनर की फिल्में साइन करूंगा। मेरा काम बन जाएगा। ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। पहले ऑडिशन ने मुझे काफी निराश किया। चार घंटे लाइन लगाकर ऑडिशन दिया। फिर मुझे मना कर दिया गया। मुंबई की सबसे बड़ी सीख यही है कि गिर के उठने वाले को ही रास्ता मिलता है। ‘मर्दानी’ मिलने में चार साल लग गए। यह फिल्म मेरे दिल के करीब है। फिल्म का पहला शॉट दिल्ली के कनॉट प्लेस में शूट हुआ। सुबह के पांच बजे से तैयारी शुरू हुई। होली का दिन था। एक कमरे में शॉट फिल्माया गया। सौ से ज्यादा एक्स्ट्रा मौजूद थे। मैं घबराया हुआ था। शूटिंग शुरू होने के एक रात पहले मैं ठीक से सोया भी नहीं था। शॉट को लेकर परेशान था। फिल्म के बाद सबसे बड़ी तारीफ आमिर खान ने की। ट्विटर पर उन्होंने मेरे काम की तारीफ की। मेरे लिए यह बड़ी बात है। फिल्म के बाद हमारी मुलाकात भी हुई। आमिर खान के तारीफ करने के बाद लोगों की मुझमें दिलचस्पी बढ़ी।’

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