जब पिता की मौत के बाद रुक गई थी सुप्रिया पाठक की ज़िंदगी, उस वक्त ऐसे संभाल था ख़ुद को
अभिनेत्री सुप्रिया पाठक इन दिनों स्क्रीन पर मां की भूमिकाओं का आनंद ले रही हैं। 15 अक्टूबर से जी 5 पर रिलीज हो रही फिल्म ‘रश्मि रॉकेट’ में वह तापसी पन्नू की सशक्त और प्रेरक मां के किरदार में नजर आएंगी।
दीपेश पांडेये, जेएनएन। अभिनेत्री सुप्रिया पाठक इन दिनों स्क्रीन पर मां की भूमिकाओं का आनंद ले रही हैं। 15 अक्टूबर से जी 5 पर रिलीज हो रही फिल्म ‘रश्मि रॉकेट’ में वह तापसी पन्नू की सशक्त और प्रेरक मां के किरदार में नजर आएंगी। उनसे इस फिल्म और हिंदी सिनेमा में महिलाओं की बदलती भूमिका पर बातचीत:
सवाल : इस कहानी में आपको किस चीज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया?
जवाब : इस फिल्म में रश्मि के सफर की तरह हम सभी को अपने जीवन में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, कहीं न कहीं अंदरूनी लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं। ऐसी कहानियों को देखकर हमें एहसास होता है कि हम सही हैं और अपनी मंजिल पर जरूर पहुंचेंगे। मुझे इस कहानी की यही सकारात्मक सोच सबसे प्रभावी लगी।
सवाल : आपकी जिंदगी में ऐसी विपरीत परिस्थितियां कब आईं और उन पर किस तरह जीत हासिल की?
जवाब : 17 साल की उम्र में मैं बहुत सीधी सादी और सहमी हुई लड़की हुआ करती थी। उसी समय मेरे पिता की मौत हो गई, वह मेरे लिए बड़ा झटका था। मुझे समझ में ही नहीं आ रहा था कि अब जीवन आगे कैसे बढ़ेगा, लेकिन ईश्वर ने ऐसी हिम्मत दी कि हम उन परिस्थितियों से भी गुजरते हुए इस मुकाम पर पहुंचे। उस समय मैं विभिन्न प्रेरक व्यक्तित्वों की आटोबायोग्राफी पढ़ती थी। उन्हीं से मुझे प्रेरणा मिलती थी। उसके बाद जीवन के उतार मुझे छोटे लगने लगे और चढ़ावों के बारे में मैं ज्यादा सोचती नहीं हूं।
सवाल : फिल्म में आप रश्मि को विपरीत परिस्थितियों में प्रेरणा देती हैं। किसी अपने से ऐसी प्रेरणा कितनी मायने रखती है?
जवाब : जिंदगी में ऐसे कई मौके आते हैं, जब ढेर सारे लोग आपको नीचे की तरफ खींचते हैं, लेकिन कोई न कोई एक शख्स होता है जो आपकी हिम्मत बढ़ाता है। ऐसे लोग हर किसी के जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं। मेरा बेटा रुहान और बेटी सना मुझे निराशा या विपरीत परिस्थितियों से लड़ने में मदद करते हैं। हम तीनों एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हैं।
सवाल : सिनेमा में महिलाओं की भूमिका में क्या बदलाव देखती हैं?
जवाब : आजकल हमारी फिल्मों में महिलाओं के सशक्त किरदार लिखे जा रहे हैं। समाज में हो रहे बदलावों का असर सिनेमा में दिखता है। अब हीरो या हीरोइन से ज्यादा अहम कहानियां होती हैं। कहानियों में बदलाव के साथ महिलाओं की भूमिका भी बदली है। मेरी वेब सीरीज ‘कॉर्टेल’ में कई किरदार हैं, लेकिन मेरा किरदार रानी माई ही सभी को हैंडल करती है।
सवाल : लगातार मां के किरदार निभाना कैसे देखती हैं?
जवाब : मेरे पास जो भी ऑफर आ रहे हैं, वो मेरे पहले किए गए कामों से अलग होते हैं। मैं अपनी उम्र और शारीरिक बनावट से वाकिफ हूं। जानती हूं कि मां, दादी या भाभी जैसे ही किरदार मिलेंगे। उनमें जो विविधता निकलकर सामने आ रही है, उसमें बहुत मजा आ रहा है। मांओं के व्यक्तित्व में भी विविधता होती है। मां का किरदार निभाते वक्त एक चीज जो मैं अपने सभी किरदारों में रखती हूं वह है कि चाहें कुछ भी हो जाए, मां अपने बच्चों पर आंच नहीं आने देगी। फिलहाल मैं अपने करियर के सबसे बेहतरीन दौर में हूं।