युवाओं की स्वंतत्र सोच पर आधारित है 'शुद्ध देसी रोमांस'
फिल्म में अपने किरदार गायत्री के बारे में कुछ बताएं? गानों से यह लगता है कि वह बेहद एनर्जेटिक फन लविंग लड़की है, लेकिन असल में वह ऐसी बिल्कुल नहीं है। वह खामोश और उलझी लड़की है, जिसने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। अनेक रिलेशनशिप में रही है। वह सुशांत को पसंद करत
फिल्म में अपने किरदार गायत्री के बारे में कुछ बताएं?
गानों से यह लगता है कि वह बेहद एनर्जेटिक फन लविंग लड़की है, लेकिन असल में वह ऐसी बिल्कुल नहीं है। वह खामोश और उलझी लड़की है, जिसने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। अनेक रिलेशनशिप में रही है। वह सुशांत को पसंद करती है और किसी की परवाह किए बगैर उसके साथ रहने लगती है। यह कहानी है जयपुर की। हाल के दिनों में जयपुर जैसे शहरों के लोगों की सोच में भी बदलाव आया है। सही-गलत सोचने के बजाय, लोग वह करते हैं जो उनके दिल में आता है। गायत्री जैसी लड़कियां भरी पड़ी हैं इंडिया में। वह लूज कैरेक्टर नहीं है। वह इंडेपेंडेट स्वभाव की है। उसे पता है कि वह कुछ गलत नहीं कर रही।
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क्या सचमुच इस उम्र की लड़कियां इतने आजाद तबियत की हैं?
बिल्कुल हैं। हम ये नहीं सोचते हैं कि परिवारवाले या लोग क्या सोचेंगे। अगर मैं दिन में लंच के समय अपने बॉय फ्रेंड से मिल रही हूं तो सही है। अगर रात में मिल रही हूं तो गलत कैसे हो गया? सही-गलत लोगों का नजरिया होता है। अगर लोग यह कहते हैं कि लड़की यदि रात में निकल रही है, तो वह मुश्किलों को खुद दावत दे रही है, तो गलत वे हैं, जिनकी ऐसी सोच है। मैं अगर कहीं जा रही हूं तो मैं इसमें इनवाइट क्या कर रही हूं। क्या मैं घर में बैठी रहूं? मुझे लगता है कि ऐसे कृत्य करने वाले आदमियों में खोट है। उन्हें जरूरत है इलाज की।
इस फिल्म को आपने चुना था या यह किरदार आपको मिला था?
दोनों कह सकते हैं। जयदीप साहनी की स्क्रिप्ट करने का मेरा हमेशा से मन था। वैसे ही मनीष के साथ दोबारा काम करना चाहती थी। वे दोनों मुझे एक ही पिक्चर में मिल गए। जयदीप की स्क्रिप्ट की खूबी है रियलिज्म। उनकी फिल्मों में डायलॉग नहीं, बल्कि नार्मल बातचीत होती है। वहीं मनीष भी अपनी फिल्मों में रियल मूवमेंट्स निकालते हैं।
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यशराज की फिल्में हमलोग देखते रहे हैं। विदेशी रोमांस से 'शुद्ध देसी रोमांस' की शिफ्ट क्या वजह हो सकती है?
सिर्फ एक ही वजह है कि ऑडिएंस बदल गई है। वह ऐसी कहानियां देखना चाहती है, जिनसे खुद रिलेट करती है। इसीलिए 'इशकजादे', 'कहानी' और 'विक्की डोनर' जैसी फिल्में चल रही हैं।
न्यूकमर्स के बीच परफार्मर के तौर पर पहचान मिली है आपको..
मुझे लगता है कि मैं लकी हूं कि मुझे जो रोल मिले, उनसे लोगों ने रिलेट किया। मुझे डायरेक्टर भी अच्छे मिले। मेरी एक स्ट्रांग परफारमेंस तो हो ही गई। मैं कभी एक्ट्रेस नहीं बनना चाहती थी। अब बन गई हूं तो सोचती हूं कि एक्टिंग का यह सिलसिला चलता रहे। लोग पसंद करें, क्योंकि मुझे एक्टिंग पसंद है।
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