क्वालिटी वर्क करना है-साकिब सलीम
नए दौर के प्रॉमिसिंग कलाकारों में से एक हैं साकिब सलीम। पिछले साल उनकी 'मेरे डैड की मारुति' बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी, जबकि हिंदी सिनेमा के सौ साल को समर्पित 'बॉम्बे टॉकीज' में उनके काम की काफी सराहना हुई। वह लीक से हटकर बनी फिल्मों के जरिए अपना स्ि
मुंबई। नए दौर के प्रॉमिसिंग कलाकारों में से एक हैं साकिब सलीम। पिछले साल उनकी 'मेरे डैड की मारुति' बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थी, जबकि हिंदी सिनेमा के सौ साल को समर्पित 'बॉम्बे टॉकीज' में उनके काम की काफी सराहना हुई। वह लीक से हटकर बनी फिल्मों के जरिए अपना सिग्नेचर स्टाइल बनाना चाहते हैं। अब रिलीज होने जा रही है उनकी फिल्म 'हवा हवाई'। साकिब से बातचीत के अंश:
आपका आगाज उल्लेखनीय रहा है। फिर भी काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं?
जी हां। मैं क्वांटिटी से ज्यादा क्वॉलिटी में यकीन रखता हूं। फिल्मों की रैट रेस का हिस्सेदार नहीं होना चाहता। तभी मैं फिलहाल दो ही फिल्मों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। पहली 'हवा हवाई' है। दूसरी 'मेरे डैड की मारुति' की सीक्वल पर। 'हवा हवाई' की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है, जबकि 'मेरे डैड की मारुति' की सीक्वल पर जल्द काम शुरू होने वाला है। बाकी विज्ञापन फिल्में कर रहा हूं।
'हवा हवाई' में आपका क्या किरदार है?
पहली मर्तबा मैं अपनी उम्र के शख्स का किरदार निभा रहा हूं। मैं स्केटिंग कोच लकी की भूमिका में हूं। वह बच्चों को स्केटिंग सिखाता है। वह खेल के प्रति काफी जुनूनी है। उस क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम कमाना चाहता था, पर वैसा कर नहीं सका। उसके पीछे क्या वजह है, वह आप फिल्म में देखेंगे। लकी बच्चों में खुद को तलाशता है। पार्थो नाम के बच्चे से वह काफी प्रभावित है। वह उसे स्केटिंग की दुनिया में ऊंचाई पर ले जाना चाहता है।
कुछ हद तक ऐसी ही कहानी 'काय पो छे' में थी..
'काय पो छे' का बेसिक प्रेमाइस दोस्ती है। यह सपना देखने की कुव्वत रखने वालों की फिल्म है। वह अच्छी फिल्म है, पर 'हवा हवाई' के जरिए हम कुछ और कहना चाहते हैं। इसका स्पोर्ट्स अलग है। यह अपने ड्रीम का एहसास होने व उसे पूरा करने की कहानी है।
इस फिल्म का हिस्सा कैसे बने?
मैंने इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले 20 निर्देशकों की एक सूची बनाई थी, जिनके संग मैं काम करने को इच्छुक था। अमोल सर उस फेहरिस्त के टॉप फाइव में आते हैं। लिहाजा जब इस फिल्म के कास्टिंग डायरेक्टर ने यह फिल्म ऑफर की तो मना करने की कोई वजह नहीं थी। दूसरा जरिया अमोल सर की पत्नी दीपा भाटिया बनीं। वह 'बॉम्बे टॉकीज' एडिट कर रही थीं और उन्हें उस फिल्म में मेरा काम पसंद आया तो उन्होंने भी मेरे नाम की सिफारिश अमोल सर से की। मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा हूं।