बसना है लोगों के दिल में
हाल में सम्पन्न हुए रियलिटी शो बिग बॉस सीजन-5 की विजेता जूही परमार के पति सचिन श्रॉफ भी छोटे पर्दे के चर्चित चेहरा हैं। वे सबसे पहले धारावाहिक थोड़ा है थोड़े की जरूरत है में दिखे थे।
हाल में सम्पन्न हुए रियलिटी शो बिग बॉस सीजन-5 की विजेता जूही परमार के पति सचिन श्रॉफ भी छोटे पर्दे के चर्चित चेहरा हैं। वे सबसे पहले धारावाहिक थोड़ा है थोड़े की जरूरत है में दिखे थे। खूबसूरत और आकर्षक सचिन को लोग बालिका वधु में श्याम के किरदार में भी देख रहे हैं। इसे संयोग कहेंगे कि एक तरफ उनकी पत्नी जूही परमार बिग बॉस- 5 की विनर बनीं और दूसरी तरफ सचिन को सहारा वन के धारावाहिक रिश्तों के भंवर में उलझी नियति में मुख्य भूमिका मिल गई। इसमें उनके किरदार का नाम अंबर है। इस भूमिका को लेकर सचिन से बातचीत..
धारावाहिक ..नियति के बारे में आप क्या कहेगें?
यह एक भावनात्मक कहानी है, जिसमें लोगों को ऐसी बातें देखने को मिलेंगी, जो आम जीवन से जुड़ी और सच्ची घटनाएं हैं। मेरी समझ से यह एक अच्छी कहानी पर बना दमदार धारावाहिक है। मैं अंबर का रोल पाकर खुश हूं।
यह भूमिका कैसे मिली?
एक समय था, जब निर्माता सोलह-सत्रह वर्ष के कलाकारों को मुख्य भूमिकाओं के लिए चुनते थे। अब समय आ गया है कि चर्चित कलाकारों और खासकर थोड़े उम्रदराज को फिर से लीड रोल मिलने शुरू हो गए हैं। मुझे अंबर के रोल से पहले कई रोल ऑफर हुए, लेकिन मुझे इंतजार था सही और लीड रोल का। मुझे यह भूमिका प्रोडक्शन टीम ने मेरे तजुर्बे को देखते हुए दी है। हालांकि मेरी इसमें लीड भूमिका है, पर थोड़ा ग्रे शेड भी है। यह वाकई अलग तरह का रोल है, जिसे मैं ईमानदारी से कर रहा हूं।
अंबर की भूमिका में ऐसा क्या खास लगा कि स्वीकार लिया?
सच पूछिए तो किसी भी धारावाहिक से जुड़ने की कोई खास वजह होती है। सभी कलाकार कहानी और अपनी भूमिका को सुनते हैं। अगर हमें कहानी अच्छी लगेगी और मन कहेगा कि यह भूमिका अच्छी है तो हम उसे स्वीकार कर लेते हैं। इसी सोच के तहत मैंने इस शो को स्वीकार किया।
इस सीरियल को लेकर आपकी क्या इच्छा है?
..नियति एक बढि़या पारिवारिक धारावाहिक है, जिसमें दर्शकों को एक अच्छा संदेश भी मिलता है कि लड़कियां अपने मां-बाप की सेवा तो करती हैं, साथ ही वे ससुराल जाकर भी वहां के परिवार की बखूबी सेवा करती हैं। मैं चाहता हूं इसे हर परिवार देखे।
निजी जिदंगी को जीना कितना मुश्किल होता है?
दूसरे धारावाहिकों की तरह यहां भी मैं स्कि्त्रप्ट को ही फॉलो करता हूं। फर्क यही है कि अलग तरह के रोल होने पर हम स्कि्त्रप्ट से ऊपर जाकर कुछ होम वर्क भी करते हैं ताकि किरदार को च्यादा रियलिस्टिक बना सकें। मेरी चाहत यही होती है कि रोल के जरिए दर्शकों के दिल में बसूं।
आप फिल्में भी करेंगे?
फिलहाल तो मैं टीवी पर ही व्यस्त हूं। मेरे पास विज्ञापन फिल्में भी काफी हैं। समय नहीं मिलता कि फिल्में करूं।
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