फिल्मी नहीं है मेरी जिंदगीः परिणीति चोपड़ा
बॉलीवुड में बहुत चर्चित है उनकी कामयाबी का किस्सा लेकिन खुद परिणीति चोपड़ा इसे मानती हैं जिंदगी का बस एक छोटा सा हिस्सा। रील और रियल लाइफ पर अपने बिंदास नजरिए को उन्होंने साझा किया स्मिता श्रीवास्तव के साथ... भले ही मैंने अब तक छह फिल्में कर ली हैं लेकिन
बॉलीवुड में बहुत चर्चित है उनकी कामयाबी का किस्सा लेकिन खुद परिणीति चोपड़ा इसे मानती हैं जिंदगी का बस एक छोटा सा हिस्सा। रील और रियल लाइफ पर अपने बिंदास नजरिए को उन्होंने साझा किया स्मिता श्रीवास्तव के साथ...
भले ही मैंने अब तक छह फिल्में कर ली हैं लेकिन लगता है कि अभी-अभी काम करना शुरू किया है। मेरी ख्वाहिश अलग-अलग किस्म के किरदार निभाने की है। मैं अकेली ऐसी कलाकार नहीं हूं, दिग्गज फिल्मी कलाकार भी परफेक्ट रोल की तलाश में रहते हैं। दरअसल, एक कलाकार की काम करने की भूख कभी खत्म नहीं होती। वो हर पल कुछ नया करने की तलाश में रहता है। मेरी ख्वाहिश हमेशा एक्टिंग से जुड़े रहने की है, पर बतौर इंसान मैं जैसी हूं, वैसी ही रहना चाहती हूं। मैं गायकी में भी हाथ आजमाना चाहती हूं।
हमेशा रहता है दबाव
हम कलाकारों पर हमेशा कुछ नया और अलग करने का दबाव रहता है। अगर हम लगातार एक सा किरदार निभाएंगे तो दर्शक बोर हो जाएंगे। आडियंस की रुचि को खुद में बनाए रखना जरूरी है। आखिर वे दो सौ रुपये खर्च करके आपसे मनोरंजन की उम्मीद लेकर आते हैं। उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरेंगे, उनका समय बर्बाद होगा और वे बोर होंगे तो नुकसान हमारा ही होगा।
क्रिएटिव फैमिली है हमारी
मैं हमेशा खुश रहती हूं। बचपन से ऐसी ही हूं। मैं घर में मम्मी-पापा को एक्टिंग करके दिखाती थी। उन्हें हंसाती थी, तो हमेशा बोला जाता था कि यह घर में रहेगी तो शोर मचेगा। अभिनेत्री बनने के बाद भी मुझमें ज्यादा बदलाव नहीं आया है। आज भी मेरी यह आदतें बरकरार हैं। सब जानते हैं कि प्रियंका चोपड़ा मेरी चचेरी बहन हैं। हमारी बुआ की बेटी मनारा हांडा भी फिल्म 'जिद' से अपने कॅरियर की शुरुआत कर रही हैं। हमारी क्रिएटिव फैमिली है तो सबकी हममें उत्सुकता रहती है। यह खुशी की बात है कि हम बहनें एक ही इंडस्ट्री में काम कर रही हैं। जब भी हमें वक्त मिलता है हम एक-दूसरे से जरूर मिलते हैं। शूटिंग के चलते रोजाना मुलाकात संभव नहीं है लेकिन घर में कुछ न कुछ चलता रहता है, जिसकी वजह से हम आपस में मिल तो लेते ही हैं।
खेलों से हुआ लगाव
बचपन में मुझे खेलों से कोई लगाव नहीं था। मैं पढ़ाकू लड़की थी और स्कूल में भी खेलों में भाग नहीं लेती थी। अब लगता है कि मुझे अलग-अलग चीजें करना चाहिए तो स्क्यूबा डाइविंग से मुझे बहुत प्यार हो गया है। किसी फिल्म के चलते इसमें रुचि नहीं जगी है। मैं शायद एकलौती अभिनेत्री हूं जिसकी जिंदगी फिल्म के इर्द-गिर्द नहीं है। मैं जिंदगी में संतुलन लेकर चलती हूं। फिल्मों में अपने किरदार के लिए बहुत मेहनत करती हूं लेकिन जब वो खत्म हो जाती है तो अपनी लाइफ जीती हूं। मैं फुटबाल के बारे में बहुत समय से जानना चाहती थी। इंडियन सुपरलीग में दिल्ली डाइनामोज टीम का समर्थन करने से धीरे-धीरे फुटबाल भी समझ में आ रहा है। मेरे दोस्त हैं जो फिल्मों से नहीं जुड़े हैं, उनसे मिलती हूं। बहुत ट्रैवल करती हूं। किताबें पढ़ती हूं। पहले सिर्फ फिक्शन पढ़ती थी, अब नान फिक्शन भी पसंद करने लगी हूं। ऑटोबायोग्राफी भी पढ़ रही हूं। म्यूजिक से जुड़ी हूं।
आलोचना नहीं अखरती
मीडिया में मेरे काम की आलोचना मुझे बुरी नहीं लगती। काम अच्छा हो तो तारीफ की जानी चाहिए। अगर काम अच्छा न हो तो आलोचना भी कड़ी होनी चाहिए लेकिन हमारी फिजिक या कपड़ों की ओर ध्यान देना बंद होना चाहिए। सोनाक्षी सिन्हा बेहद खूबसूरत हैं। वे अच्छी अभिनेत्री हैं। उनकी एक्टिंग पर ध्यान दिया जाना चाहिए, न कि वजन पर। हर अभिनेत्री अपने किरदार के मुताबिक दिखती है। अगर किरदार की मांग मोटी अभिनेत्री है तो उसे अपना वजन बढ़ाना होगा। वजन को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। मैं भी खाती पीती मस्त रहती हूं। भूखे रहकर अपना वजन कम नहीं कर सकती।
जरूरी है विश्वास
मुझे दो-तीन साल हो गए हैं यह कहते हुए कि मैं अपने लिए लड़का ढूंढ लूंगी पर अब तक कोई मिला नहीं है। मैं उन अभिनेत्रियों में से नहीं हूं, जो कहती हैं कि मैं अपने करियर पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं। मेरा मानना है कि एक व्यक्ति अपने करियर और पर्सनल लाइफ को साथ लेकर चल सकता है। इन दोनों के बिना जिदंगी अधूरी है। मुझे खुशी होगी अगर कोई मेरी जिंदगी से जुड़ेगा लेकिन लव रिलेशन में आने के लिए लव होना बहुत जरूरी है। संबंधों में स्थायित्व और विश्वास होना जरूरी है!
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