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पैसा ही सबकुछ नहीं

भट्ट कैंप की खोज विशाल म्हाडकर की पहली फिल्म ब्लड मनी है। यह आज के युवाओं की ख्वाहिशों और उसे पूरा करने के तरीकों की कहानी है।

By Edited By: Published: Tue, 03 Apr 2012 11:07 AM (IST)Updated: Tue, 03 Apr 2012 11:07 AM (IST)
पैसा ही सबकुछ नहीं

भट्ट कैंप की खोज विशाल म्हाडकर की पहली फिल्म ब्लड मनी है। यह आज के युवाओं की ख्वाहिशों और उसे पूरा करने के तरीकों की कहानी है। फिल्म को लेकर बातचीत विशाल से..

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फिल्म ब्लड मनी के जरिए आप क्या कहना चाहते हैं?

यही कि जिंदगी में सब कुछ पैसा ही नहीं होता। अगर आप रिश्तों के बजाए पैसे और सफलता को प्राथमिकता देंगे, तो अकेले पड़ जाएंगे। फिल्म में कुणाल खेमू का किरदार आज के युवाओं को रिप्रजेंट करता है। वह बीवी को लेकर साउथ अफ्रीका जाता है। एक डायमंड फर्म में जॉब करता है। जल्द सफलता हासिल करने के लिए गलत काम करने लग जाता है। उसे बाद में एहसास होता है कि वह सही नहीं है। इसके बाद सही ट्रैक पर आने की उसकी जद्दोजहद को फिल्म में दिखाया गया है।

पैसा और सफलता आज के जमाने में जरूरी है। इनके बिना जिंदगी की गाड़ी कैसे चलेगी?

इसी कॉन्सेप्ट को फिल्म में दिखाया गया है। हमने सफलता हासिल करने के लिए तरीके और नतीजे दोनों के बारे में कहने की कोशिश की है। मेरे ख्याल से इंसान को किसी सूरत में पैसे या सफलता हासिल करने के लिए गलत रास्ता नहीं अपनाना चाहिए।

फिल्म के लिए कुणाल और अमृता का ही चुनाव आपने क्यों किया?

कुणाल और मैं कलयुग से साथ हैं। वे इस फिल्म के मेन लीड थे। मैं असिस्टेंट डायरेक्टर था। अमृता पुरी के बारे में इमरान हाशमी की वाइफ ने सजेस्ट किया था। वे मुझे इस रोल के लिए सही लगीं।

भट्ट कैंप के दुलारे इमरान का नाम जेहन में नहीं आया या उनके पास इस फिल्म के लिए तारीखें नहीं थीं?

सच यही है कि उनका नाम कभी जेहन में आया ही नहीं। फिल्म में हमें ऐसे युवक की जरूरत थी, जिसके चेहरे पर आत्मविश्वास की कमी दिखे। इमरान काफी कॉन्फिडेंट नजर आते हैं। उन्हें देखने से लगता है कि वे हर प्रॉब्लम को बेहद आसानी से सुलझा लेंगे। उन्हें दुनिया के किसी कोने या किसी हालात में रख दो, कोई दिक्कत नहीं होगी।

अपने बारे में बताएंगे। इसी फील्ड में आना चाहते थे या कुछ और करने का सपना था?

मैं फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं हूं। मेरे पिताजी बिजनेसमैन हैं, पर मुझे रुटीन जॉब पंसद नहीं थी। डायरेक्टर मोहित सूरी और इमरान हाशमी मेरे बचपन के दोस्त हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर आप चाहें तो फिल्म निर्माण में आ सकते हैं। इस पर मैं उनसे मिलने कलयुग के सेट पर गया। वहां मुझे लगा कि निर्देशन ऐसी चीज है, जिसे करने में मुझे संतुष्टि मिलेगी।

महेश भट्ट से क्या सीखा?

फिल्म निर्माण के वे इनसाइक्लोपीडिया हैं। पिता की तरह चीजें सिखाते हैं। फिल्मों से इतर जिंदगी के बारे में भी उनसे काफी कुछ सीखा। उनके साथ रहकर जाना कि नकाब पहनकर नहीं जीना चाहिए। यह भी जाना कि सबके साथ अच्छे तरीके से पेश आना चाहिए।

फिल्म की पूरी शूटिंग केपटाउन में हुई है। कितनी मदद मिली वहां से?

फिल्म की पृष्ठभूमि डायमंड ट्रेडिंग पर है, लिहाजा केपटाउन ने जगह का स्वाभाविक एहसास दिया। वहां हॉलीवुड की भी काफी फिल्में शूट होती हैं। अच्छा संयोग यह रहा कि हमें फिल्म के लिए ऐक्शन डायरेक्टर भी वहां मिल गए। वे एमी अवार्ड विजेता हैं। उन्हें यह पुरस्कार जेनरेशन किल्ड के लिए मिली थी।

आगे और कौन-कौन से प्रोजेक्ट्स हैं?

आगे मैं विशेष फिल्म्स के लिए एक और फिल्म डायरेक्टर कर रहा हूं। जिस तरह मोहित सूरी ने इमरान हाशमी के साथ एक टीम बनाई है, उसी तरह कुणाल खेमू के साथ मैं टीम बना रहा हूं। मेरी अगली फिल्म में भी कुणाल ही हीरो हैं। उस फिल्म को मुंबई मेरी जान के राइटर उपेन्द्र सिधाये लिख रहे हैं। फिल्म की हीरोइन अभी तय नहीं हुई हैं। अगली फिल्म में अमृता पुरी नहीं हैं।

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