हंसाना है सबसे बड़ा पुण्य
सब टीवी के शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा के जेठा लाल की कॉमेडी से हर उम्र के दर्शकों के चेहरे पर छा जाती है मुस्कराहट। इस शो के 900 एपिसोड पूरे होने के मौके पर जेठा लाल यानी दिलीप जोशी से बातचीत..
हंसाना है सबसे बड़ा पुण्य सब टीवी के शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा के जेठा लाल की कॉमेडी से हर उम्र के दर्शकों के चेहरे पर छा जाती है मुस्कराहट। इस शो के 900 एपिसोड पूरे होने के मौके पर जेठा लाल यानी दिलीप जोशी से बातचीत..
अदाकारी की विधा में हंसाना सबसे मुश्किल क्यों माना जाता है?
..क्योंकि असल जिंदगी में भी यह सबसे टेढ़ा काम है। किसी इंसान को आप डांट-डपट या हताश कर बड़ी आसानी से रुला सकते हैं, लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए हाजिरजवाब और बड़ा दिलवाला बनना पड़ता है। ये दोनों चीजें सिखाई नहीं जा सकती, ये व्यक्तित्व में अंतर्निहित होती हैं, इसलिए रील लाइफ में भी हंसाना सबसे मुश्किल काम है। कॉमिक सिचुएशन क्रिएट करने में काफी रिसर्च करनी पड़ती है, वरना वह लोगों को बेवकूफी भरा कदम लगेगा।
इंडस्ट्री के बाकी हास्य कलाकार स्टैंड अप कॉमेडी शोज में नजर आते हैं। आप ऐसे शो में क्यों नहीं दिखते?
मैं चीप हरकतों, द्विअर्थी संवाद या लाउड कॉमेडी के जरिए लोगों को नहीं हंसा सकता। ये सब पश्चिमी देशों के कार्यक्रमों की नकल है। मैं वैसे कार्यक्रम ही करूंगा, जिसे अपनी पूरी फैमिली के साथ देख सकूं। कॉमेडी सर्कस जैसे स्टैंड अप कॉमेडी शो करने के लिए मुझे बुलाया गया था। दो दिन रिहर्सल भी की, पर पूरी रात सो नहीं सका। आइने में अपना चेहरा देखता, तो खुद से पूछता कि ये मैं क्या कर रहा हूं? बाद में शो के प्रोड्यूसर से आग्रह कर मैंने अपना नाम वापस कर लिया।
यह शो और कितने एपिसोड पूरा करेगा?
प्रकृति का नियम है, जो चीज इस संसार में है, उसका अंत निश्चित है। ऊपर वाले ने इसकी उम्र क्या तय की है, यह तो उसे ही पता होगा। तारक मेहता का उल्टा चश्मा का हिस्सा होने के नाते यही इच्छा है कि ज्यादा से ज्यादा समय तक यह लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाता रहे। जिंदगी में हंसाने से बड़ा पुण्य और क्या हो सकता है।
असल जिंदगी में आप जेठा लाल के किरदार के कितने करीब हैं?
वैसा बिल्कुल नहीं हूं। जेठा लाल का किरदार मेरे रियल व्यक्तित्व से काफी अलग है। जेठा लाल मुसीबत का मारा है। वह चैन से जीना चाहता है, पर उसे वैसे कोई रहने नहीं देता। असल जिंदगी में भगवान न करे ऐसा किसी के साथ हो। शरारत करने के लिए उसके पास बबीता जी है, मेरे पास ऐसी कोई महिला नहीं है। यह जरूर है कि उसकी तरह मुझे भी जलेबी-फाफड़ा से बहुत प्रेम है। उसकी तरह पैसा भी खूब कमाना चाहता हूं। उसके पास दया है, तो मेरे पास जयमाला यानी जया है।
अगर पैसे से हर चीज खरीदी जा सकती, तो आप सबसे पहले क्या खरीदते? ..तो मैं अपने देश के लिए अमन, चैन, अमीरी और खुशियां खरीदता।
अमित कर्ण
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