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दया जैसे भोली नहीं बनना चाहती

सब टीवी पर आने वाले कार्यक्रम तारक मेहता का उलटा चश्मा में दया का किरदार निभाने वाली दिशा वाकानी का कहना है कि उस किरदार को दर्शकों ने खूब पसंद किया और उन्हें नई पहचान दी। वास्तविक जिंदगी में दिशा दया के बिल्कुल विपरीत है।

By Edited By: Published: Thu, 29 Mar 2012 10:51 AM (IST)Updated: Thu, 29 Mar 2012 10:51 AM (IST)
दया जैसे भोली नहीं बनना चाहती

सब टीवी पर आने वाले कार्यक्रम तारक मेहता का उलटा चश्मा में दया का किरदार निभाने वाली दिशा वाकानी का कहना है कि उस किरदार को दर्शकों ने खूब पसंद किया और उन्हें नई पहचान दी। वास्तविक जिंदगी में दिशा दया के बिल्कुल विपरीत है। उनसे बातचीत के कुछ अंश..

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. रियल लाइफ में दया बेन जितनी भोली बनकर जिया जा सकता है?

दया बेन जितनी भोली महिला बनकर आज के दौर में गुजारा मुमकिन नहीं है। दया जरूरत से ज्यादा भोली है। बहुत जल्दी किसी पर यकीन कर लेती है। यह व्यावहारिक नहीं है। असल जिंदगी में मेरा व्यक्तित्व दया बेन के बिल्कुल विपरीत है। मैं आसानी से किसी पर यकीन नहीं करती।

पर्दे पर तो दया बेन को दर्शक बहुत चाहते हैं?

रील और रियल लाइफ में यही तो अंतर है। पर्दे पर हम सब कुछ अच्छा और अनोखा देखना चाहते हैं। हकीकत से जुड़ी कहानियां छोटे या बड़े पर्दे पर पेश करो, तो दर्शक उसे नकार देते हैं। दया बेन को लोग सैद्धांतिक तौर पर तो खूब पसंद करते हैं, पर असल जिंदगी में वे ऐसा बनना शायद ही स्वीकार करें।

दया बेन के किरदार से इतनी लोकप्रियता मिलने की उम्मीद थी?

बिल्कुल नहीं, बल्कि मैं तो ऑडिएंस का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी कि उन्होंने मुझे इस लायक समझा। शो बढ़ने के साथ-साथ दया बेन भी पॉपुलर होती गई। शुरुआत में तो इस कैरेक्टर को सीरियल से जुड़े कुछ लोग पसंद भी नहीं करते थे, पर शो के निर्माता असित मोदी ने मुझ पर भरोसा बनाए रखा। वह कहा करते थे कि मैं तुम्हारे साथ हूं। उनका भरोसा सही साबित हुआ। आज दया बेन घर-घर में मशहूर है।

दया की संवाद अदायगी अनोखी है। यह आइडिया किसका था? आइडिया मेरा ही था। दया का कैरेक्टर निभाने से पहले मैं जानती थी कि वह डफर है। बहुत भोली है। बहुत कुछ ऐसा ही कैरेक्टर सीरियल खिचड़ी में हंसा का था। मैं हंसा की बड़ी फैन हूं, इसलिए नहीं चाहती थी कि हंसा की नकल करूं। मैंने सोचना शुरू किया कि किस तरह दया के कैरेक्टर में कुछ नयापन ला सकती हूं। मुझे लगा कि दया के बोलने के स्टाइल से किरदार का आकर्षण बढ़ाया जा सकता है।

ग्लैमर इंडस्ट्री का हिस्सा बनने की ख्वाहिश कब जगी मन में?

मैं बचपन से ही एक्ट्रेस बनना चाहती थी। कॉलेज के दिनों में खूब नाटक खेला करती थी। अहमदाबाद से ग्रेजुएशन करने के बाद एक्टिंग में हाथ आजमाने मुंबई आ गई।

मुंबई में कॅरियर की राह आसान रही या मुश्किलों का सामना करना पड़ा?

बहुत संघर्ष करना पड़ा। मैं मुंबई 13 साल पहले आई थी। यहां पांच साल थिएटर करने के बाद मुझे पहला ब्रेक मिला। मेरा पहला सीरियल इतिहास था। यह एकता कपूर का प्रोजेक्ट था। इसमें मैं वरुण वडोला की भाभी बनी थी।

दया बेन का रोल कैसे मिला?

मैं लगातार थिएटर किया करती थी। एक प्ले लाली लीला के दौरान मुझे दिलीप जोशी ने देखा। उन्होंने मेरा नाम तारक मेहता का उल्टा चश्मा के प्रोड्यूसर असित मोदी को सुझाया। मैंने ऑडिशन दिया और चुन ली गई। इस सीरियल में दिलीप मेरे अपोजिट जेठा लाल गडा की भूमिका में हैं।

शादी कब करने का इरादा है?

मिस्टर राइट की तलाश जारी है। मेरे मम्मी-पापा जब चाहेंगे, तब शादी हो जाएगी। इससे ज्यादा मैं नहीं बता सकती।

अमित कर्ण

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