हालात से जूझना बंद कर दिया है - मनोज बाजपेयी
मनोज बाजपेयी अभी बहुत स्थिर और शांतचित्त हैं। उनकी पांच फिल्में पूरी हो चुकी हैं। वो पोस्ट प्रोडक्शन और रिलीज की कतार में हैं। मनोज को इन फिल्मों पर दर्शकों और इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया का इंतजार है। इनमें से एक फिल्म ‘मिसिंग’ के वह प्रोड्यूसर भी हैं। मनोज कहते हैं,
मनोज बाजपेयी ने दमदार अदाकारी से फिल्म इंडस्ट्री में अपना खास मुकाम बनाया है। इस साल अलग-अलग जॉनर की उनकी पांच फिल्में पर्दे पर आएंगी...
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मनोज बाजपेयी अभी बहुत स्थिर और शांतचित्त हैं। उनकी पांच फिल्में पूरी हो चुकी हैं। वो पोस्ट प्रोडक्शन और रिलीज की कतार में हैं। मनोज को इन फिल्मों पर दर्शकों और इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया का इंतजार है। इनमें से एक फिल्म ‘मिसिंग’ के वह प्रोड्यूसर भी हैं। मनोज कहते हैं, ‘मैंने सारी फिल्में देखी हैं। मैं संतुष्ट हूं।’परिवार को समय
मनोज बाजपेयी सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं। उसके महत्व और प्रासंगिकता को समझते हुए वो मूवीज.कॉम के साथ जुड़े हैं। वो इस साइट के ब्रांड एंबेसडर होने के साथ सहभागी भी हैं। उनकी कोशिश है कि कल्ट, क्लासिक और नीश फिल्मों का एक प्लेटफॉर्म उभरे। उनमें एक तब्दीली आई है। वो परिवार को ज्यादा समय दे रहे हैं। मनोज बताते हैं, ‘पत्नी की शिकायत रहती थी कि मैं घर-परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पा रहा हूं। आवा बड़ी हो रही है। जरूरी है कि उसके बचपन की यादों में मैं भी रहूं। मैं एक्टर पिता मात्र ही न रहूं। परिवार के साथ बीत रहे समय में मजा आ रहा है। नई बातें सीख रहा हूं। पिछले एक महीने से काम नहीं कर रहा हूं। इरादा है कि अगले एक महीने भी काम न करूं।’ मनोज बाजपेयी की अगली फिल्म की प्लानिंग हो चुकी है। ‘आदाब, मैं दाऊद इब्राहिम बोल रहा हूं’ एक कॉमिकल फिल्म है। दो महीनों के बाद इसकी शूटिंग शुरू होगी।
जूझना बंद कर दिया
मनोज से बातें करते हुए महसूस होता है कि वो स्थितिप्रज्ञ अवस्था में आ गए हैं। पूछने पर वो ठहाका लगाते हैं। मुस्कराते हुए समझाते हैं, ‘आप फिल्म इंडस्ट्री में 22 साल बिताने के बाद इस पोजीशन में आ जाते हैं। एक समय के बाद हिट और फ्लॉप के बाहर की जिंदगी ज्यादा आकर्षक लगने लगती है। मैंने यहां जूझना बंद कर दिया है। मैंने यहां संघर्ष, उत्थान और पतन देखा है। मैंने महसूस किया कि हर मोड़ और पड़ाव पर ये मेरी निजी यात्रा है। लोग निष्कर्ष निकालते और भविष्यवाणियां करते रहेंगे इसलिए जरूरी है कि अपनी क्षमता के अनुसार गति निश्चित करूं। मानसिक रूप से संतुष्ट रहूं। और कोई चारा नहीं है। अभी अतिरिक्त उत्साह नहीं रहता और न घनघोर निराशा होती है। ये एहसास है कि यहां की महफिलों में आप अकेले होते हैं।’
हर जॉनर की फिल्में
मनोज की रिलीज होने वाली फिल्मों में राजेश पिल्लई की ‘ट्रैफिक’ पहली फिल्म होगी। फॉक्स स्टार ने इस साल की फिल्मों में उसे शामिल किया है। उन्होंने पोस्ट प्रोडक्शन में भी दिलचस्पी दिखाई है। उसके बाद मुकुल अभ्यंकर के निर्देशन में बनी ‘मिसिंग’ है। मनोज और नीरज पाण्डेय इसमें सहनिर्माता हैं। दोनों एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। इस फिल्म में तब्बू भी हैं। फिर ‘सात उचक्के’ का नंबर आएगा। यह चांदनी चौक के किरदारों की कहानी है, जिसकी शूटिंग निर्देशक संजीव शर्मा ने उसी इलाके में की है। ‘दुरंतो’ फिल्म बुधिया सिंह और उसके कोच विरंची दास की कहानी है। विरंची दास विवादास्पद कोच रहे हैं। गजराज राव ने उसका निर्माण किया है। सोमेंद्र वाठी इसके निर्देशक हैं। पांचवीं फिल्म ‘अलीगढ़’ है। इससे सभी वाकिफ हैं। इसके निर्देशक हंसल मेहता हैं। इसमें मनोज के साथ राजकुमार राव भी हैं। मनोज ने इसमें समलैंगिक किरदार को निभाया है।
लंबी है यह लड़ाई
मनोज बाजपेयी ने पिछले दिनों नकारात्मक भूमिकाओं में तारीफ और शोहरत हासिल की। फिर एक दिन तय किया कि अब निगेटिव रोल नहीं करेंगे। कारण पूछने पर मनोज बेहिचक बताते हैं, ‘ये लंबी लड़ाई है। बाहर से आए एक्टर को इंडस्ट्री किसी न किसी स्लॉट में डाल देती है। हम एक्टरों को विलेन के काबिल समझा जाता है। दरअसल इंडस्ट्री हीरो, हीरोइन और विलेन के रूप में ही सभी एक्टरों को देखती और आंकती है। मैंने अपने किरदारों को कभी इस रूप में नहीं निभाया। मैं यहां विलेन बनने नहीं आया था।’
अजय ब्रह्मात्मज