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सिर्फ धौनी पर लगा रहा हूं ध्यान - सुशांत राजपूत

‘ब्योमकेश बख्शी’ की सफलता से खुश सुशांत सिंह राजपूत अब सिर्फ अपनी नई बायोपिक पर ध्यान लगा रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अमित कर्ण से बात की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंशः

By Monika SharmaEdited By: Published: Sun, 19 Apr 2015 12:13 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 12:42 PM (IST)
सिर्फ धौनी पर लगा रहा हूं ध्यान - सुशांत राजपूत

‘ब्योमकेश बख्शी’ की सफलता से खुश सुशांत सिंह राजपूत अब सिर्फ अपनी नई बायोपिक पर ध्यान लगा रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अमित कर्ण से बात की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंशः

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धौनी के किरदार के लिए कुछ खास तैयारी चल रही हैं?
फिल्म ‘एमएस धौनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ के लिए मैं जिम में अपने डोले-शोले बढ़ाने पर घंटों खर्च कर रहा हूं। मेरी कद-काठी उनसे काफी हद तक मैच करे, उस पर बहुत काम कर रहा हूं। मिक्स मार्शल आर्ट पर काफी वक्त दे रहा हूं। बॉडी लैंग्वेज से लेकर उनके विकेटकीपिंग करने का अंदाज, खिलाड़ियों को निर्देश देने का तरीका व चेहरे पर स्थिरता के भाव लाने पर काफी मेहनत कर रहा हूं। एक इंडियन क्रिकेटर से भी काफी कुछ सीख रहा हूं। इस फिल्म के चलते मुझ पर काफी बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। उनके लाखों-करोड़ों प्रशंसक हैं। उस किरदार को आत्मसात करना आसान नहीं है। ब्योमकेश वाले केस में कोई विजुअल रेफ्रेंस नहीं थे, धौनी के मामले में है। ऐसे में लिविंग लेजेंड को निभाने में कोई भूल न हो जाए, उसका मैं काफी ध्यान रख रहा हूं।

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फिक्शनल किरदार के मुकाबले रियल लाइफ कैरेक्टर प्ले करना ज्यादा आसान होता है?
ऐसा नहीं है। दोनों ही मामलों में चाहे जितनी रिसर्च कर लें, कैमरे के सामने हम रिसर्च को प्ले नहीं कर सकते। शोध हमें महज इस काबिल बनाता है कि अब हमें किरदार विशेष को निभाने का अधिकार है। धौनी के मामले में लोगों के पास विजुअल रेफ्रेंस हैं तो मुझे एक हद तक उनकी तरह ही बिहेव करना होगा। वह उन्हें नकल करने सरीखा है लेकिन वह जरूरी है ताकि मैं खुद को आश्वस्त कर सकूं कि मैं धौनी ही हूं।

‘ब्योमकेश बख्शी’ की सफलता पर क्या कहेंगे?
ब्योमकेश बख्शी के बाद अब तक जितने भी लोगों से मिला हूं, सबने तारीफ ही की है। किसी से यह सुनने को नहीं मिला कि मैं बंगाली ब्योमकेश के खाके में फिट नहीं बैठ सका। इसके बावजूद कि दिबाकर बनर्जी मुझे पंजाब, हरियाणा का जाट छोरा कहकर पुकारते रहते हैं। उनके रिश्तेदारों को तो कतई नहीं लगा था कि मैं ब्योमकेश जैसे किवदंती बन चुके किरदार के संग न्याय कर सकूंगा। अब रिलीज के बाद आलम यह है कि उनके बंगाली रिश्तेदार इस फिल्म को तीन-तीन बार देख चुके हैं।

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फिल्म ‘पानी’ को लेकर क्या चल रहा है?
‘पानी’ बहुत अहम प्रोजेक्ट है। इत्तेफाकन उसमें भी ‘ब्योमकेश बख्शी’ की तरह ही कहानी एक पर्सनल इश्यू से बढ़कर ग्लोबल होती है। उसकी शूटिंग व शेड्यूल के बारे में अगले महीने के आखिरी हफ्ते में पता चल सकेगा। यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की फिल्म है, इसलिए इसकी तैयारी में वक्त लग रहा है। यह फिल्म पूरी दुनिया की आंखें खोल देगी। आने वाले कुछ सालों में पानी का क्या महत्व होगा और उसकी कितनी कीमत होगी, यह फिल्म आगाह करेगी।

ऐसा लगता है कि आप विशुद्ध व्यावसायिक फिल्मों से दूरी बनाए हुए हैं?
मुझे जैसी फिल्में ऑफर हुईं, वैसी ही फिल्मों में काम किया। सच यह है कि मैं हर तरह की फिल्में करना चाहता हूं। ‘काय पो छे’, ‘शुद्ध देसी रोमांस’ और ‘पीके’ तीनों ही लीक से थोड़ी अलग फिल्में थीं लेकिन उनके व्यावसायिक होने से भला कौन इंकार कर सकता है! ‘पीके’ तो सबसे कमाऊ फिल्म का रिकॉर्ड बना चुकी है। गौर करने पर पाएंगे कि अब सिनेमा बदल रहा है। पुराने ढर्रे की फिल्में ज्यादा पसंद नहीं की जा रही हैं।

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