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बदलाव के लिए अहम है नजरिया: इमरान हाशमी

मुंबई। इमरान हाशमी की पिछली फिल्म 'राजा नटवरलाल' कुछ खास नहीं कर पाई। इससे वह विचलित नहीं हैं। उनका मानना है कि कॅरियर में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। उनकी अगली फिल्म है 'उंगली'। इमरान से बातचीत के अंश:

By deepali groverEdited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 12:22 PM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 01:19 PM (IST)
बदलाव के लिए अहम है नजरिया: इमरान हाशमी

मुंबई। इमरान हाशमी की पिछली फिल्म 'राजा नटवरलाल' कुछ खास नहीं कर पाई। इससे वह विचलित नहीं हैं। उनका मानना है कि कॅरियर में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। उनकी अगली फिल्म है 'उंगली'। इमरान से बातचीत के अंश:

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'उंगली' कैसी फिल्म है?

यह सामाजिक विषय पर आधारित है। यह एक उंगली गैंग के बारे में है। कह सकते हैं कि यह हमारे देश में व्याप्त भ्रष्टाचार पर आधारित है। जब भी ऐसा विषय लोग सुनते हैं तो सोचते हैं कि यह डार्क या बोरिंग फिल्म होगी। हालांकि इसे हमने काफी एंटरटेनिंग बनाया है। यह उंगली गैंग किस प्रकार आम आदमी की दिक्कतों को हल करता है उस बारे में है। चंद लोग हर इंडस्ट्री में भ्रष्ट होते हैं। उनके कारण पूरी इंडस्ट्री बदनाम होती है। उन लोगों को सबक सिखाने के लिए क्या करता है उंगली गैंग फिल्म उस बारे में है।

'उंगली' शीर्षक की कोई खास वजह?

फिल्म में डायलाग है कि सीधी या टेढ़ी उंगली से घी न निकले तो बीच का रास्ता अख्तियार करना चाहिए। हम हमेशा से सोच रहे हैं कि सिस्टम में इतना भ्रष्टाचार है कि अगर हम उसमें सुधार नहीं ला सकते, तो एक असामान्य तरीके का इस्तेमाल जरूरी है। यह तरीका फिल्म में दिखेगा, पर इसे असल जिंदगी में न इस्तेमाल करें।

देश में भी भ्रष्टाचार है उसे दूर करने के क्या सुझाव देंगे?

भ्रष्टाचार समाप्त करने का कोई फार्मूला नहीं है। बदलाव के लिए आपका नजरिया भी अहमियत रखता है। अगर आप ठान लें तो बहुत कुछ कर सकते हैं। अगर आपकी बात सुनी नहीं जा रही है तो आपके पास कैमरा है। अपनी समस्याओं को शूट करके सोशल साइट पर अपलोड कर सकते हैं। अपनी बात को दुनिया तक पहुंचा सकते हैं। बदलाव लाने की शुरुआत आसपास की छोटी-छोटी चीजों से होगी। जैसे आप अपने घर को साफ रखते हैं, अपने शहर को भी साफ रखें। यह बात सही है कि बदलाव आने में समय लगता है।

आपको सबसे ज्यादा क्या नापसंद है।

फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे लोग हैं जो वक्त कासम्मान नहीं करते, मैं उन लोगों का सम्मान नहीं करता। मैं हमेशा टाइम पर सेट पर आता हूं। दूसरों से भी यही उम्मीद करता हूं। मैं ऐसे निर्देशकों या एक्टर के साथ काम नहीं कर सकता जो लंच टाइम के बाद आते हैं।

संजय दत्त के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

हमने दस दिन एकसाथ शूटिंग की। मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। उनके साथ स्क्रीन शेयर करना बहुत अच्छा लगा। उन्होंने जेल जाने के दो दिन पहले शूटिंग की। उन्हें पता था कि उनके बिना क्लाइमेक्स शूट नहीं होगा। अगर उन्होंने शूटिंग नहीं की तो हमें फिल्म बंद करनी पड़ेगी। उस समय सेट पर काफी इमोशनल माहौल था। उनके चेहरे से परेशानी झलक रही थी, वह उसे दबाने की कोशिश कर रहे थे। वह काफी डरे हुए थे।

पूर्व क्रिकेटर मुहम्मद अजहरुद्दीन की बायोपिक में भी काम कर रहे हैं?

इस फिल्म की शूटिंग अगले साल शुरू होगी। यह ऐसे शख्स के बारे में जिसके बारे में सब जानते है। इसे करना मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण है।

(स्मिता श्रीवास्तव)


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