फैशन मेरा पैशन है
सांवरिया से हिंदी फिल्मों में आईं सोनम कपूर में नूतन और वहीदा रहमान की छवि देखी जाती है। लोकप्रियता के लिहाज से उनकी फिल्में अगली कतार में नहीं हैं, लेकिन अपनी स्टाइल और इमेज के चलते सोनम सुर्खियों में रहती हैं।
सांवरिया से हिंदी फिल्मों में आईं सोनम कपूर में नूतन और वहीदा रहमान की छवि देखी जाती है। लोकप्रियता के लिहाज से उनकी फिल्में अगली कतार में नहीं हैं, लेकिन अपनी स्टाइल और इमेज के चलते सोनम सुर्खियों में रहती हैं।
स्टाइल क्या है? आप उसे कैसे देखती हैं?
स्टाइल आपकी अपनी पर्सनैलिटी होती है। आप कपड़ों और स्टाइल के साथ प्रयोग कर सकते हैं। देव आनंद की टोपी, राजकपूर की छोटी पैंट या मीना कुमारी के लहंगे, मधुबाला की टेढ़ी स्माइल, शाहरुख के स्वेटर, सलमान की जींस या बूट..। उनकी स्टाइल ही सिग्नेचर है। लोग मुझे देखते हैं तो कहते हैं कि मैं अजीबो-गरीब कपडे़ पहनती हूं। मैं फैशन करती हूं और बहुत अच्छी लगती हूं, अपने चुने कपड़ों में। मेरी नजर में स्टाइल अपनी पर्सनैलिटी का एक्सप्रेशन और एक्सपेरिमेंट है। इसी को कुछ लोग फैशन से जोड़ देते हैं।
पर्सनैलिटी के एक्सप्रेशन का शौक बचपन से था?
मैं लड़की हूं। बचपन से शौक है कि मुझे अच्छे कपडे़ पहनने हैं, खूबसूरत दिखना है। मेरी बॉडी ऐसी नहीं है कि मैं छोटे-छोटे टाइट कपडे़ पहनूं। मुझे अपनी स्टाइल ऐसी करनी होगी कि कंफर्ट, ग्लैमर और गुड लुक तीनों मेरी पर्सनैलिटी में दिखे। मैं अपने ढंग से कपडे़ पहनती हूं।
हर कपडे़ को कैरी कर पाना सबके बस की बात नहीं होती?
बिल्कुल सही बात। मुझे लगा कि मैं वेस्टर्न कैरी नहीं कर सकती। मुझे भारतीय परिधान के अलावा वेस्टर्न पहनना पड़ा तो उसके लिए राह निकालनी पड़ी। मैंने जिस तरह शरीर के अनुकूल कपड़ों का चुनाव किया वह बाद में ट्रेंड हो गया। अब लड़कियां मेरी तरह ड्रेस पहनने लगी हैं।
आपने किसी की मदद ली या ट्रायल एंड एरर से सीखा?
ट्रायल एंड एरर से ही सीखा है। किसी ने मेरी मदद नहीं की है। हर छह महीने में मेरे डिजाइनर बदल जाते हैं। वे मेरे साथ काम करते हैं और छह महीने कुछ नया करते हैं। फिर पता चलता है कि वे दूसरी हीरोइनों को वही कपडे़ पहना रहे हैं तो मैं बदल देती हूं।
क्या आज लड़कियां ज्यादा स्टाइल कॉन्शस हैं?
हां, अब तो हर वर्ग की लड़कियां फैशन के मामले में जागरूक हो चुकी हैं। यह अच्छी बात है। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
फैशन सिनेरियो आपकी मम्मी के जमाने से कितना बदला है?
हर पीढ़ी की अपनी स्टाइल होती है। आठवें दशक में प्लाजो पैंट्स और मैक्सी आए। उस समय हाई वेस्ट पैंट पहनते थे फिर नौवें दशक में सोल्जर पैंट आ गए और फिर डिस्को जैसे कपड़ों का चलन बढ़ा। पिछले दशक में मनीष मल्होत्रा के ट्रेंड बहुत चले। वे हाई स्ट्रीट कपडे़ लेकर आए। अब हम लोग जो पहनते हैं, वह ट्रेंड बन रहा है।
पहले फैशन फिल्मों से आता था। अब यह निर्भरता कम हुई है। क्या कारण है?
अभी एक्सपोजर बढ़ गया है। फिल्मों के साथ हम लोग फैशन शो, इवेंट और दूसरी जगहों पर दिखते रहते हैं। मीडिया एक्सपोजर बढ़ गया है। कहने का मतलब है कि अब दर्शकों को सिर्फ फिल्मों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
स्टाइल के लिए बॉडी और एटीट्यूड दोनों में क्या ज्यादा जरूरी है?
दोनों जरूरी हैं। अगर आप के पैर मोटे हैं तो छोटे कपडे़ ठीक नहीं लगेंगे, अगर बांह मोटी है तो स्लीवलेस अच्छा नहीं दिखेगा, लेकिन कॉन्फिडेंस हो तो आप सब कुछ पहन सकती हैं। यह पर्सन टु पर्सन बदल जाता है।
पांच ऐसी चीजें जिनके बिना आप नहीं रह सकतीं?
मेरा हैंड बैग, सेल फोन, फ्लैट जूते, सन ग्लासेस और शॉल।
अपनी मम्मी में क्या पसंद है?
वह बहुत ट्रेडिशनल इंडियन कपडे़ पहनती हैं। मुझे उनकी स्टाइल पसंद है। इंडियन कपड़ों में मैं कभी एक्सपेरिमेंट नहीं करती।
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आज सबसे फैशनेबल एक्ट्रेस और पहले की अभिनेत्रियों में?
अभी मैं हूं। पहले की अभिनेत्रियों में मीना कुमारी व नूतन। मीना कुमारी के मैंने किस्से सुने हैं कि वह बहुत ही सजग थीं अपने लुक्स व कपड़ों के बारे में। उनकी साडि़यां अलग होती थीं। उनकी एक लट हमेशा माथे पर रहती थी। इतनी स्टाइलिश थीं वह। मुझे किसी ने बताया था मीना कुमारी पाकीजा के सेट पर असली इतर की शीशियां रखवाती थीं। ऐसा कौन करता है आजकल..।
अगर आप लड़का होतीं तो?
बिल्कुल नहीं। मुझे लड़कियों के कपडे़ पसंद हैं। लड़की होने पर जिम्मेदारियां भी कम हो जाती हैं। आई एम हैपी फॉर बीइंग ए गर्ल।
क्या आपको लगता है कि लड़कियां इंडस्ट्री या बाकी जगहों पर पुरुषों के बराबर हैं?
अभी उन्हें समझौते करने पड़ते हैं। आजकल थोड़ा बेहतर सीन यह है कि लड़कियों को मौके मिलने लगे हैं।
अभी कौन सी फिल्में कर रही हैं?
एक तो भाग मिल्खा भाग है और दूसरी है रांझना। लाइफ बिजी है आजकल। लड़कियों को कोई संदेश देना चाहती हैं, खासकर उन्हें, जो पारिवारिक और सामाजिक दबाव में रहती हैं? अपनी जिंदगी स्वयं बनाएं, आगे बढ़ने का यही रास्ता है। दिल्ली 6 में मेरा किरदार इंडियन आइडल बनना चाहती है। उसे लगता है कि इसी से वह जिंदगी में आगे बढ़ सकती है। उस लड़की में दम था, इसलिए वह लोगों को पसंद आई। आजकल मौके हैं। साहस और आत्मविश्वास की जरूरत है। हिम्मत करें और नया करने की कोशिश करें।
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