'दृश्यम' में शरीर नहीं, दिमाग का होगा एक्शन - निशिकांत कामत
निर्देशक निशिकांत कामत एक्शन फिल्म की पटकथा में गजब का थ्रिलर घोलते हैं। उनका दावा है कि ‘दृश्यम’ में शरीर की जगह दिखेगा दिमाग का का तूफानी एक्शन। ज्यादातर हिंदुस्तानी फिल्मों में एक्शन का मतलब एक घूंसे में दसियों गुंडों को हवा में विलीन कर देना होता है। इत्तेफाकन ऐसा
निर्देशक निशिकांत कामत एक्शन फिल्म की पटकथा में गजब का थ्रिलर घोलते हैं। उनका दावा है कि ‘दृश्यम’ में शरीर की जगह दिखेगा दिमाग का का तूफानी एक्शन...
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ज्यादातर हिंदुस्तानी फिल्मों में एक्शन का मतलब एक घूंसे में दसियों गुंडों को हवा में विलीन कर देना होता है। इत्तेफाकन ऐसा एक्शन दशकों तक दर्शकों का मनोरंजन करता रहा, मगर ‘गजनी’ के बाद से इसमें भी रियलिज्म आया। ऐसे एक्शन की डिमांड आने लगी, जो विश्वसनीय लगे। यह डिमांड पूरी करने का बीड़ा निशिकांत कामत ने उठाया। उन्होंने ‘फोर्स’ बनाई, जिसमें हीरो-विलेन की फाइट गुरुत्वाकर्षण के नियमों के खिलाफ नहीं थी। वे रियल सीक्वेंस थे, जिन्होंने दर्शकों को रोमांचित किया। अब निशिकांत कामत, अजय देवगन स्टारर ‘दृश्यम’ लेकर आए हैं।
दिलचस्प होगी दिमागी जंग
निशिकांत कामत बताते हैं, ‘डील-डौल व डोले-शोले वाले नायकों की लड़ाई तो सबने काफी देखी है। पर, दिमागी जंग बड़ी रोचक होती है। खासकर तब जब लड़ाई डेविड वर्सेज गोलिएथ की हो। यानी नायक बेचारा सा लगे। वह जब अपने समक्ष हाथी सरीखे प्रतिद्वंद्वी को पटखनी दे तो जो रोमांच की अनुभूति होती है, उसकी तुलना किसी और चीज से नहीं हो सकती। हमारा नायक विजय (अजय देवगन) चौथी पास केबल ऑपरेटर है। उसकी फैमिली पर आंच आती है और गोवा की आईजी उसे अपना दुश्मन मान बैठती हैं। अब जब विजय का सामना आईजी रैंक के अफसरों से होता है तो क्या होता है? वह कैसे उन पर पार पाता है, ‘दृश्यम’ उन्हीं चीजों के बारे में है।’
दंग किया पटकथा ने
वह बताते हैं, ‘इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी कनेक्टिविटी है। इस बार फिल्म का नायक अपने हाथों से नही लड़ेगा। वह अपने दिमाग से लड़ेगा। यहां दिमाग ही असली दबंग है। वह पूरे सिस्टम को बेवकूफ बना देता है। वायकॉम 18 वाले इसकी हिंदी रीमेक बनाना चाहते थे। मैं उन दिनों ‘रॉकी हैंडसम’ शूट कर रहा था तो टालता रहा लेकिन वे पीछे लगे रहे। आखिरकार फिल्म देख ही डाली। उसकी पटकथा देख तो मैं दंग रह गया। मैंने हामी भर दी। वायकॉम वालों ने कहा कि उन्होंने अजय देवगन से भी बात कर रखी है और सौभाग्य से वे भी मान चुके हैं। बस फिर क्या था, मैं और अजय मिले और फिल्म पर काम शुरू कर दिया।’
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खूब मेहनत हुई लुक में
निशिकांत कामत ने इस फिल्म में अजय देवगन के लुक पर खूब मेहनत की है। वह बताते हैं, ‘अजय देवगन की छवि ‘सिंघम’ व ‘एक्शन-जैक्सन’ के चलते एक अलग किस्म की बनी हुई है। उसे तोड़ना मेरे लिए चैलेंज था। अजय बाजीराव सिंघम न लगें, उसके लिए मैंने शुरुआत उनके कपड़ों व चाल-ढाल से की। पहले तो उन्हें ढीली-ढाली पतलून-कमीज दी। उनके चलने में जो स्वैगर है, वह उनकी चाल को रौबीला बना देता है। वह भी कम करना पड़ा। पूरी फिल्म में वे चप्पल में हैं। मैं खुशकिस्मत रहा कि अजय ने मुझे पूरा सपोर्ट किया।’
सितारों का पूरा समर्थन
निशिकांत कामत खुद को लकी मानते हैं कि उनके संग काम करने वाले सितारे काफी सपोर्टिव रहे हैं। वह बताते हैं, ‘मेरे मिजाज के एक्शन को ‘फोर्स’ में जॉन अब्राहम का भी पूरा समर्थन मिला था। उन्हें भारी-भरकम बुलेट फेंकनी थी विलेन पर। वे 300 किलो वजनी बुलेट उठाने को राजी थे, मगर फिल्म जिंदगी से बड़ी नहीं हो सकती। हमने बुलेट का इंजन, सिलेंडर्स और दूसरे हैवी पार्ट्स निकाल दिए। तब उसका वजन 150 किलो पर आया, जिसे जॉन ने फेंका। ‘रॉकी हैंडसम’ में भी उन्होंने सारे एक्शन खुद ही किए। किसी बॉडी डबल का सहारा नहीं लिया गया।’
‘फोर्स’ के दुखांत पर भी काफी चर्चा रही थी। उसको लेकर क्या सहमति थी जॉन से? पूछने पर निशिकांत कामत बताते हैं, ‘बिल्कुल। मैं अड़ गया था कि फिल्म की ट्रैजिक एंडिंग ही करनी है, क्योंकि हीरोइन की मौत न होती तो जॉन के किरदार में उतना जुनून नहीं आता और फिर वह विलेन को कसाईघर में बकरे टांगे जाने वाली फांस पर नहीं टांगता। हमें इस चीज को भी जस्टिफाई करना था कि हीरोइन उसकी जिंदगी से तो चली गई, लेकिन यादों में वह आज भी जिंदा है। बहरहाल, ‘दृश्यम’ में पूर्णत: मेंटल एक्शन है। ऐसे में दर्शक भी मेंटली तैयार होकर आएंगे कि उन्हें फिल्म में क्या मिलने वाला है, ऑडियंस बड़ी दिलदार है। उन्हें आप बस एक स्पष्ट तस्वीर दो कि जो बात उन्हें प्रोमो में दिखाई गई है, फिल्म में उससे अलग कुछ नहीं होगा तो जाहिर तौर पर वे फिल्म को भरपूर प्यार देते हैं।’
अमित कर्ण