Move to Jagran APP

दिमाग का एक्शन है 'दृश्यम' - अजय देवगन

अपनी टिपिकल इमेज से अलग ‘दृश्यम’ में सामान्य नागरिक के अंदाज में दिखेंगे अजय देवगन। मुंबई के महबूब स्टूडियो में एक विज्ञापन की शूटिंग के दौरान उनसे मुलाकात की अजय ब्रह्मात्मज ने...

By Monika SharmaEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2015 01:15 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2015 01:57 PM (IST)
दिमाग का एक्शन है 'दृश्यम' - अजय देवगन

अपनी टिपिकल इमेज से अलग ‘दृश्यम’ में सामान्य नागरिक के अंदाज में दिखेंगे अजय देवगन। मुंबई के महबूब स्टूडियो में एक विज्ञापन की शूटिंग के दौरान उनसे मुलाकात की अजय ब्रह्मात्मज ने...

loksabha election banner

पाकिस्तानी एक्ट्रेस मीरा के खिलाफ गिरफ्तारी का वॉरंट

आप भी विज्ञापनों और एंडोर्समेंट में दिखने लगे हैं?

मैं ज्यादा विज्ञापन नहीं करता। इस कंपनी के प्रोडक्ट पर भरोसा हुआ तो हां कह दिया। यह मेरी पर्सनैलिटी के अनुकूल है।

‘दृश्यम’ के लिए हां करने की वजह क्या रही? ‘सिंघम’ से आपकी एक्शन हीरो की इमेज मजबूत हो गई है। क्या उस इमेज से निकलने की कोशिश है?

हम हमेशा एक जैसी फिल्में नहीं कर सकते। दर्शकों से पहले क्रिटिक उंगली उठाने लगते हैं। यह फिल्म मुझे अच्छी लगी। मैं ओरिजिनल फिल्म को क्रेडिट देना चाहूंगा। कमल हासन भी इसकी तमिल रीमेक बना रहे हैं। मैंने उनसे बात की और पूछा कि उन्होंने क्या तब्दीली की हैं? उन्होंने किसी भी चेंज से मना किया। उनका कहना था कि हाथ न लगाओ। ओरिजिनल जैसा ही बनाओ। हमारे निर्देशक निशिकांत कामथ का भी यही कहना है कि अगर ओरिजिनल का 80 प्रतिशत भी हासिल कर लिया तो काफी होगा।

क्या खास है फिल्म में, जो सभी भाषाओं में इसकी रीमेक बन रही है?

कनेक्टिविटी...यह फिल्म दर्शकों को जोड़ लेती है। कोई हाई फंडा नहीं है। चौथी फेल केबल ऑपरेटर है विजय सलगांवकर। फैमिली को प्रोटेक्ट करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। परिवार पर आफत आएगी तो हम सब ऐसा ही कुछ करेंगे। इस बार फिल्म का नायक अपने हाथों से नही लड़ेगा। वह अपने दिमाग से लड़ेगा। वह पूरे सिस्टम को अपनी चालाकी से बेवकूफ बना देता है।

नाम बदलने का खयाल नहीं आया?

हर रीमेक का यही नाम रखा गया है। हमें लगा कि दृश्यम तो संस्कृत का शब्द है। इसके साथ हमने टैग लाइन लगा दी है’ विजुअल्स कैन बी डिसेप्टिव’। हीरो जो दिखा और बता रहा है, वह किसी की समझ में नहीं आता। हमने ‘सिंघम’ का नाम भी नहीं बदला था।

कई बार आपकी पसंद और हां भी गलत हो जाती है। ‘एक्शन जैक्सन’ के हश्र के बारे में क्या कहेंगे?

हम लोग इमोशन से काम करते हैं। उम्र और अनुभव के बावजूद कई बार ऐसा हो जाता है। उसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता। आप कह सकते हैं कि मुझसे गलती हो गई।

माधुरी दीक्षित पर सालों से मरते हैं ये एक्टर!

अजय देवगन अभी किस तरह से फिल्में चुनते हैं? क्या काम करते रहने के लिए कोई न कोई फिल्म करनी है या चुनाव के पीछे कोई रणनीति है?

दुकान नहीं चलानी है। वह करना होता तो साल में चार फिल्में कर रहा होता। अभी अधिकतम दो फिल्में करता हूं। दर्शकों को एंटरटेनमेंट तो चाहिए। मैं हमेशा कहता हूं कि क्लास फिल्मों का बिजनेस एक हद तक जाकर रुक जाता है। अगर मास फिल्म है तो आप बिजनेस का अनुमान नहीं लगा सकते। अभी ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ का बिजनेस देख लें। एंटरटेनमेंट के दायरे में रहते हुए आप एक क्लास फिल्म लेकर कैसे आ सकते हैं? यह बड़ी चुनौती है। मेरी कोशिश है कि मास के साथ क्लास को भी टच करूं लेकिन एंटरटेनमेंट नहीं छोड़ूंगा। ‘दृश्यम’ में गाने नहीं हैं। हम लोगों ने उसे रियल तरीके से पेश किया है। अभी मैं असुरक्षित नहीं हूं। अच्छी फिल्मों की तलाश में हूं।

इस तलाश में ही ‘दृश्यम’ आई है क्या?

दर्शक बताएंगे। मैंने हर तरह की फिल्में की हैं। अभी पॉपुलर जॉनर की फिल्में आईं तो कुछ लोगों ने पूछना शुरू किया कि आप वैसी (आर्ट) फिल्में क्यों नहीं करते? दर्शकों ने मुझे दोनों रूपों में देखा है। दर्शकों को भी तैयार होना होगा कि वे अलग अजय देवगन को देखने जा रहे हैं। उनका समर्थन मिलेगा तभी हम ऐसी फिल्मों की कोशिश जारी रख सकते हैं। इसके बाद ‘शिवाय’ कर रहा हूं। वह मेरे डायरेक्शन में है। उसमें कोई आइटम सॉन्ग नहीं रहेगा। इमोशन रहेगा और एक ट्रैक एक्शन का भी रहेगा।

‘शिवाय’ की अग्रिम जानकारी दें?

अभी जल्दी होगी। उस फिल्म की अधिकांश शूटिंग विदेश में होगी। मुझे ठंडे इलाके में शूटिंग करनी है। वह डिफिकल्ट फिल्म है। मुझे माइनस 30 डिग्री में शूटिंग करनी है। वह मायथोलॉजिकल फिल्म नहीं है। शिवाय आज के एक कैरेक्टर का नाम है। मुझे लगता है कि भगवानों में केवल शिव आम आदमी की तरह हैं। वे हमारी तरह खुश और नाराज होते हैं। किसी ने कह दिया कि गलती की है तो पछताएंगे भी। उन्हें भोले भी कहते हैं। उनमें नार्मल ह्यूमन कैरेक्टर की सारी खूबियां और कमियां हैं। उनकी सारी विशेषताओं को लेकर मैंने यह चरित्र गढ़ा है। फिल्म में इमोशन, कहानी और कनेक्ट है। मैं कोई मास्टरपीस नहीं बना रहा हूं। अभी यही कहूंगा कि इस स्केल की फिल्म अब तक नहीं बनी है। जबरदस्त एक्शन रहेगा।

हिंदी सिनेमा में कथ्य का विस्तार हो रहा है। क्या आज का सिनेमा बदल गया है?

लोग जिसे आज का सिनेमा कह रहे हैं, वह वास्तव में कल का ही सिनेमा है। वह हमेशा से था। इन फिल्मों को हृषिदा से जोड़ा जा रहा है। हां, इधर दर्शकों का झुकाव बढ़ गया है। मुझे तो लगता है कि ‘जख्म’ और ‘रेनकोट’ आज रिलीज होतीं तो दस गुना ज्यादा बिजनेस करतीं। ‘राजू चाचा’ भी चलती।

इस साल के आखिर में आप इंडस्ट्री में 25 साल पूरे करेंगे। कितने संतुष्ट हैं?

मेरी जर्नी माइंड ब्लोइंग रही है। मैंने हमेशा अपनी टर्म और कंडीशन पर काम किया है। किसी के सामने नहीं झुका। कभी कोई ऐसा काम नहीं किया, जिसके लिए शर्मिंदा होना पड़े। अपने बच्चों और साथ के लोगों को भी यही कहता हूं कि जो भी करो अपने टर्म पर करो। इंडस्ट्री या बाहर का कोई आदमी आकर यह नहीं कह सकता कि मैंने किसी के साथ चीटिंग या फ्रॉड किया है। बाकी रहीं फिल्में तो उन्हें दर्शकों और क्रिटिक्स का पूरा समर्थन मिला है।

अंकित तिवारी ने पाकिस्तानी फिल्म के लिए गाया गाना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.