खुद से प्यार करना आना चाहिए- आयुष्मान खुराना
मुंबई। विकी डोनर फेम आयुष्मान खुराना अपनी अगली फिल्म में सोनम कपूर के अपोजिट अहम् किरदार में हैं। इसमें वह ऐसे युवक की भूमिका में हैं, जिसकी जॉब चली जाती है। फिर वह कैसे अपनी प्रेम कहानी की नइया पार लगाता है, फिल्म उस बारे में है। आयुष्मान खुराना से बातचीत के अंश:
मुंबई। विकी डोनर फेम आयुष्मान खुराना अपनी अगली फिल्म में सोनम कपूर के अपोजिट अहम् किरदार में हैं। इसमें वह ऐसे युवक की भूमिका में हैं, जिसकी जॉब चली जाती है। फिर वह कैसे अपनी प्रेम कहानी की नइया पार लगाता है, फिल्म उस बारे में है। आयुष्मान खुराना से बातचीत के अंश:
आपके अनुसार प्यार और शादी के लिए फायनेंशियल स्टोबिलिटी कितना जरूरी है?
यह बेहद जरूरी है। आर्थिक रूप से सुरक्षित होने पर ही शादी के बारे में सोचना चाहिए। यदि आपकी पार्टनर अच्छा कमा रही है तो युवकों को उसकी मदद लेकर अपने सपने सच करने से परहेज नहीं करना चाहिए। पति-पत्नी के संबंधों में ईगो आड़े नहींआना चाहिए। कुछ इन्हीं विषयों को हमारी फिल्म भी छूती है।
प्राइवेट जॉब में व्यक्ति बेहद व्यस्त हो जाता है। ऐसे में वह कैसे पेशेवर व निजी जीवन के साथ तालमेल बिठाए?
वैसी परिस्थिति दोनों जिंदगियों के बीच बड़ी महीन लाइन होती है। हमारी कार्यप्रणाली यह होनी चाहिए कि हम पेशेवर और रिश्तों की दुनिया के बीच संतुलन साधें। शुरुआत में हम काम पर फोकस कर उसमें महारथ हासिल करें। फिर दोनों को बराबर तरजीह दें। काम का दबाव तो होता है, पर रिश्तों को भी देना चाहिए पूरा अटेंशन। 'बेवकूफियां' नौकरी चले जाने की सूरत में भी काम, कूल और कंपोज्ड रहने की कहानी है।
भौगोलिक दूरी संबंधों पर कितना असर डालती है? लड़का-लड़की एक-दूसरे से दूर अलग शहरों में रह रहे हों, तो भी भटकाव से बचते कैसे कायम रखा जा सकता है रिश्ता?
ऐसी स्थिति में रिश्ता संभाले रखना बड़ा मुश्किल होता है, पर अगर आप अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार हैं तो भटकाव जैसी स्थिति नहीं बनेगी। साथ ही आपको सुविचारों व सुसंगति में रहने की जरूरत है, जो आपको सही राह दिखाते रहें। मेट्रो में सोशल गैदरिंग कम रहने के चलते आप पर भटकने या फिसलने के चांसेज ज्यादा होते हैं। वैसे में उसका समाधान यही है कि आपको खुद से प्यार करना आना चाहिए। आप अकेले भी खुश, संयमित और दृढ़ रहने की फितरत विकसित करें। खुद को जानने की इच्छा बहुत जरूरी है।
आगे किन प्रोजेक्ट्स पर व्यस्त हैं?
मेरी पिछली फिल्में 'विकी डोनर' और 'नौटंकी साला' थोड़ी पैरेलल सिनेमाई अंदाज की थी। यह मेरी पहली विशुद्ध कमर्शियल फिल्म है। इसके बाद यशराज की ही एक और फिल्म कर रहा हूं। उसकी शूटिंग हरिद्वार और ऋषिकेश में हुई है। फिर शुजीत सरकार और जॉन अब्राहम की फिल्म 1911 है। वह फुटबॉल पर बेस्ड है। एक बंबई फेयरीटेल्स कर रहा हूं। उसमें मैं मराठी वैज्ञानिक बना हूं, जिसने दुनिया का सबसे पहला हवाई जहाज बनाया था।
ऋषि कपूर के साथ आप पहली बार काम कर रहे हैं। उनके साथ काम का अनुभव कैसा रहा?
बतौर दर्शक उनसे गहरा नाता रहा है। टीवी व बड़े पर्दे पर उन्हें देख-सुन व समझ बड़ा हुआ हूं। उन्होंने लार्जर दैन लाइफ किरदार भी बड़ी खूबसूरती से निभाए हैं। इस फिल्म में वह एक पिता के किरदार में हैं, जो बेटी का हाथ आर्थिक रूप से संपन्न इंसान को देना चाहता है। मिडिल क्लास इंसान उसी मिजाज का होता है। उन्होंने उस किरदार को भी उतनी खूबसूरती से निभाया है कि उन्हें देख लगता ही नहीं कि ऋषि कपूर जैसी शख्सिसत उस रोल के चोगे में है।
(अमित कर्ण)