हसरतें हो रही हैं पूरी - अर्जुन कपूर
अपने होम प्रोडक्शन की पहली फिल्म तेवर को लेकर बेहद उत्साहित हैं अर्जुन कपूर। इसमें वह कबड्डी खिलाड़ी का किरदार निभा रहे हैं। 'तेवर' से जुड़ी बातें उन्होंने साझा की अमित कर्ण और स्मिता श्रीवास्तव से...फिल्म 'तेवर' तेलुगू फिल्म 'ओक्करू' की रीमेक है। यह आगरा और मथुरा पर बेस एक
अपने होम प्रोडक्शन की पहली फिल्म तेवर को लेकर बेहद उत्साहित हैं अर्जुन कपूर। इसमें वह कबड्डी खिलाड़ी का किरदार निभा रहे हैं। 'तेवर' से जुड़ी बातें उन्होंने साझा की अमित कर्ण और स्मिता श्रीवास्तव से...
फिल्म 'तेवर' तेलुगू फिल्म 'ओक्करू' की रीमेक है। यह आगरा और मथुरा पर बेस एक यंग लव स्टोरी है। फिल्म के विलेन से भाग रहे लड़के-लड़की के बीच प्यार पनपता है। दोनों मिलकर विलेन का मुकाबला करते हैं। 'तेवर' 'एक सेंसिबल कामर्शियल फिल्म है। इसका नायक पिंटू आम लड़का है। वह शरारती है लेकिन औरतों की बहुत इज्जत करता है। उसके परिवार में मां, बाप, बहन हैं। तीन दोस्त हैं। अगर गलत होते देखता है तो बर्दाश्त नहीं कर पाता। वह मुस्कुराते-मुस्कुराते सारे काम कर जाता है। यह फिल्म 'इश्कजादे' से बेहद अलग है। उसमें डार्क कैरेक्टर था। परमा में एरोगेंस था और पिंटू डीसेंट है।
जुदा हैं पिंटू और अर्जुन
पिंटू और अर्जुन में काफी असमानता है। दोनों की परवरिश अलग माहौल व अलग शहर की है। मैं मुंबई में पला-बढ़ा। पिंटू आगरा का है। वह स्पोट्र्समैन है। मैं बचपन में गोल-मटोल था तो खेल नहीं पाता था। खिलाड़ी का माइंडसेट ही अलग होता है। पिंटू स्टेट लेवल का खिलाड़ी है। वह 20-22 साल का लड़का है। उसे लगता है कि दुनिया को मुट्ठी में कर लेगा। मैं थोड़ा मैच्योर हो गया हूं। जानता हूं कि दुनिया मुट्ठी में आसानी से नहीं आती।
लाइव लोकेशन में शूटिंग
फिल्म की ज्यादातर शूटिंग लाइव लोकेशन पर हुई है। यह शूटिंग आगरा, मथुरा और महाराष्ट्र के सोलापुर समेत कुछ और जगहों पर की गई है। करीब 80 प्रतिशत शूटिंग लाइव लोकेशन पर हुई है। यह आइडिया निर्देशक अमित शर्मा का था। वह नॉर्थ इंडिया से हैं। उनका कहना था कि जब हम अलहदा फिल्म बना रहे हैं तो इसकी लोकेशन बनावटी नहीं लगनी चाहिए। दूसरी तरफ मेरे पिता इसके प्रोड्यूसर हैं। वह चाहते थे कि सेट लगाया जाए क्योंकि लाइव लोकेशन की उन्हें ज्यादा आदत नहीं है। अमित की दलीलों के आगे वह निरुत्तर हो गए। मैंने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। मैं एक्टर हूं, मेरा काम लोकेशन के मामलों में दखलअंदाजी करना नहीं हैं। हमने गलियों के हिस्से की शूटिंग दस से पंद्रह दिन सोलापुर के पास अकलूज में की। दरअसल, आगरा की तंग गलियों में भीड़ के कारण शूटिंग करना मुश्किल था। वहां पर्यटक भी आते हैं। ऐसे में गोलीबारी के दृश्यों की शूटिंग मुश्किल होती। दूसरा, लाइव लोकेशन से लोग जुड़ाव महसूस करते हैं। जब आप ताजमहल के सामने नायक और मथुरा के घाट पर सोनाक्षी को नाचते देखेंगे तो समझ जाएंगे कि कहानी का ताल्लुक इन क्षेत्रों से है।
दिक्कतें भी आईं
शूटिंग के दौरान गर्मी, बारिश और ठंड सभी कुछ झेलना पड़ा। होली के बाद आगरा में बहुत गर्मी थी। हम छतों पर शूट करते थे। सूरज की रोशनी सीधे चेहरे पर पड़ती थी। जब मुंबई में शूटिंग की, तब भी प्रचंड गर्मी थी। उत्तर प्रदेश का लड़का बनने के लिए वहां के लहजे पर मेहनत करनी पड़ी। बतौर एक्टर ऐसी कई चुनौतियां आईं हैं। यह फिल्म फिजिकली कठिन रही। सौ दिन की शूटिंग में करीब 70 दिन एक्शन सीन शूट किए। सुबह उठता था तो बॉडी कहती थी कि बेटा संभल कर। रीटेक पर रीटेक देने से छह आठ दिन बाद हाथ उठाना मुश्किल होता है। फिल्म में लगातार भाग रहे हैं। उसके लिए भी बहुत एनर्जी चाहिए। वहीं फिल्म के बहाने पहली बार आगरा गया। ताजमहल देखा।
प्रोफेशन की यह कीमत
'टू स्टे्टस' में काम के करने के दौरान आलिया और अब सोनाक्षी के साथ लिंकअप की खबरों से फर्क नहीं पड़ता। इस प्रोफेशन की यह कीमत तो चुकानी ही पड़ती है। हम और सोनाक्षी सात साल से पड़ोसी हैं। हमने सात महीने शूटिंग साथ की है तो अच्छी दोस्ती है। पहले भी हम पार्टी में मिलते रहे हैं। मनोज बाजपेई के साथ काम करने में बहुत मजा आया। कैमरे के सामने उनकी आंखें बातें करती है। गजब पर्सनालिटी है। वैसे जब से एक्टर बना हूं, दिग्गज कलाकारों के साथ काम करने की हसरत रही। 'गुंडे' में इरफान खान, 'फाइंडिंग फैनी' में पंकज कपूर, नसीर सर के साथ काम करने का मौका मिला और हसरतें पूरी हुईं। मुझे भविष्य में निर्देशन में आना है। एक्टर बना ही इसलिए हूं ताकि भविष्य में डायरेक्टर बन सकूं!
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