पूरी हो गयी अधूरी कहानी: अर्जन बाजवा
अर्जन बाजवा गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं। इसके बावजूद वह अपनी शर्तों व अपने दम पर काम करना चाहते हैं। उन्हें बाकी गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि
मुंबई। अर्जन बाजवा गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं। इसके बावजूद वह अपनी शर्तों व अपने दम पर काम करना चाहते हैं। उन्हें बाकी गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि कलाकारों की तरह किसी कैंप का हिस्सा बनना भी मंजूर नहीं हैं। जल्द ही वह विद्या बालन स्टारर 'बॉबी जासूस में नकारात्मक किरदार में नजर आएंगे।
फिल्म में अपने किरदार के बारे में बताएं?
विशुद्ध रूप से विलेन वाला किरदार तो नहीं है। वह ग्रे शेड लिए हुए है। उसका नाम लाला है। दबंग किस्म का इंसान है। विद्या के किरदार के काम में अड़चनें डालता रहता है। वह भी तब जब विद्या का किरदार जाने-अनजाने में लाला के रास्ते में आता है। फिल्म में ट्विस्ट लाने में वह अहम भूमिका अदा करता है।
फिल्म हैदराबाद में सेट है। क्या लाला का लहजा भी हैदराबादी है?
जी हां। लाला पुराने हैदराबाद सिटी से ताल्लुक रखने वाला किरदार है। पठानी सूट पहनता है। आखों में सूरमा लगाता है और वहां के लोगों का एट्टियूड कैरी करता है। अपने एरिया का दादा है। उसे रॉबिनहुड जैसा भी कह सकते हैं। मेरे लिए भी वह किरदार जरा हटके है। 'क्रूक' और 'गुरु' के बाद पहली बार जरा सा एग्रेसिव किस्म का इंसान बनने का मौका मिला है। मैंने इरादतन लाला का किरदार स्वीकारा ताकि लोगों को लगे कि मैं भी वर्सटाइल एक्टर हूं।
शायद इसलिए भी कि आज के दौर में सिद्धार्थ मल्होत्रा से लेकर रितेश देशमुख तक बैड बॉयज बन रहे हैं...
जी हां। नाइस इंसान बनकर तो आप बस हीरोइन को हासिल करने वाला और पेड़ों के इर्द-गिर्द नाचने वाला शख्स बनकर रह जाते हैं। यह अच्छा भी है। इससे हीरो और विलेन का फर्क खत्म हो रहा है। आजकल कहानियां किरदार केंद्रित हो रही हैं। वह किरदार अच्छे काम भी कर सकता है और बुरे काम भी।
इस फिल्म के मिलने की क्या कहानी रही?
पिछले साल साउथ अफ्रीका में मेरी मुलाकात इस फिल्म की निर्माता दीया मिर्जा से हुई। उस वक्त मेरे लंबे बाल थे। दाढ़ी भी घनी थी। उन्हें मेरा नया लुक पसंद आया। उन्होंने तभी मन बना लिया कि उनका लाला तो ऐसा ही होगा। दीया मेरी अच्छी दोस्त हैं और 'गुरु' में विद्या के संग काम करने की जो कहानी अधूरी रह गई थी, उसे पूरा करने का भी मौका भी मिल गया।
इसके बाद और कौन सी फिल्में कर रहे हैं?
एक लव स्टोरी है, जिसकी शूटिंग कनाडा और इटली में शुरु होगी। उसके निर्देशक बलजीत सिंह कनाडा के हैं। उनके निर्देशन में मैंने एक पंजाबी फिल्म 'हिम्मत सिंह' भी की है।
गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से होने पर लोग इंडस्ट्री में किसी कैंप के साथ जुड़ जाते हैं। आपने ऐसा क्यों नहीं किया?
कैंप से बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिलता। आज ऐसे ढेरों नाम हैं, जो खास कैंप से जुड़े हुए हैं, मगर काम के नाम पर गिनती की फिल्में उनके पास हैं। मजबूरन वे साउथ के संग-संग बी व सी ग्रेड की फिल्में भी कर रहे हैं। उनसे वे दाम तो कमा लेते हैं, पर नाम नहीं। मैं उस रैट रेस का हिस्सा नहीं बनना चाहता।
(अमित कर्ण)