फिल्म ‘लाइगर साला क्रासब्रीड’ में नजर आईं अनन्या पांडेय , अपने किरदार को लेकर कही ये बात
डैड हमेशा अनन्या पांडेय से कहते हैं कि जहां तक संभव हो तुम्हें बड़ी आडियंस तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। इसलिए भी मैं इस फिल्म का पार्ट बनना चाहती थी और विजय के साथ काम करना शानदार अनुभव रहा।
इस शुक्रवार को अनन्या पांडेय की फिल्म ‘लाइगर साला क्रासब्रीड’ रिलीज हुई । इस फिल्म में उनके साथ विजय देवरकोंडा हैं। करियर, आगामी फिल्म व जीवन के अन्य पहलुओं पर अनन्या से स्मिता श्रीवास्तव की बातचीत के अंश...
कई नवोदित कलाकारों का कहना है कि कोरोना की वजह से उनके दो साल बर्बाद चले गए। आप क्या कहना चाहेंगी?
मैं यह तो नहीं कहूंगी कि वो समय बर्बाद गया। हमने ज्यादा जोश के साथ वापसी की है कि अब हमें ज्यादा काम करना है, जल्दी काम करना है।
आपकी पिछली दो फिल्मेंं डिजिटल प्लेटफार्म पर रिलीज हुईं। कलाकार के तौर पर बाक्स आफिस कितना अहम लगता है?
मैं कोशिश करती हूं कि उसके बारे में ज्यादा न सोचूं, क्योंकि मैं अभी बहुत नई हूं इस इंडस्ट्री में। मुझे लगता है कि अब समय बदल गया है। अब ओटीटी के साथ सिनेमाघर में भी फिल्में आ रही हैं। मुझे लगता है कि आखिर में राइट आडियंस तक फिल्म पहुंचना सबसे बड़ी बात है।
‘लाइगर साला क्रासब्रीड’ आपकी पहली पैन इंडिया फिल्म है। इससे कैसे जुड़ना हुआ?
वर्ष 2020 के पहले दिन निर्माता चार्मी कौर ने मुझे इसकी स्क्रिप्ट सुनाई। मुझे लव एट फस्र्ट साइट (पहली नजर में प्यार होना) जैसा हो गया स्क्रिप्ट के साथ, क्योंकि जब पुरी सर (निर्देशक पुरी जगननाथ) स्क्रिप्ट नैरेट कर रहे थे तो मुझे एक्चुअली पूरी पिक्चर आंखों के सामने दिख गई थी। मैं उनके सिनेमा की बहुत बड़ी फैन हूं।
इस इंडस्ट्री में बने रहने के लिए हार न मानने को लेकर आपके प्रेरणास्रोत कौन रहे हैं?
मेरे माता-पिता दोनों। डैड (चंकी पांडेय) के करियर में भी बहुत अप्स एंड डाउंस हुए हैं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह लगातार काम करते रहे। ओटीटी का बूम आने से पहले ही उन्होंने उस पर भी काम किया। वो अभिनय को लेकर प्रयोग करते रहे। उन्होंने अपने करियर में बहुत सारी चीजें की हैं। तो वहीं मेरी माम ने होम लाइफ को बैलेंस और ग्राउंडेड बनाकर रखा। उसमें उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
आपने कहा था कि बहुत लोग आपको ट्रोल करते हैं और कहते हैं कि आप स्टार किड नहीं हैं...
मुझे उनका मुंह बंद नहीं करना, क्योंकि मैंं उस तरह की इंसान हूं कि आपसे मिलूं या किसी और से तो अच्छी यादें साथ लेकर जाना पसंद करती हूं। मेरे लिए बहुत अहम है कि मुझे आडियंस का प्यार मिले। उम्मीद है कि ‘लाइगर’ बड़ी संख्या में आडियंस तक पहुंचेगी।
इंटरनेट मीडिया पर होने वाली निगेटिविटी का असर होता है?
सबको होता है। मुझे तो निश्चित रूप से होता है। कुछ दिन होते हैं जब मैं स्ट्रांग फील करती हूं, जहां कुछ प्रभाव नहीं पड़ता। कुछ ऐसे दिन भी बीतते हैं जब मैं बहुत प्रभावित हो जाती हूं, पर मुझे लगता है कि समय के साथ मैंने सीखा है कि सबसे जरूरी चीज है आपका काम। आप अपने काम में लगातार बेहतर करने की कोशिश करें। आप बेहतर परफार्म करें और खुद को एक्टर के तौर पर लगातार प्रूव करते रहें।
‘लाइगर’ में विजय ने काफी एक्शन किया है। आपकी एक्शन फिल्मों में कितनी दिलचस्पी रही है?
(हंसते हुए) स्कूल के दौरान मैं ताइक्वांडो में ग्रीन बेल्ट थी। ‘लाइगर’ में एक्शन करने का मौका नहीं मिला, लेकिन उम्मीद है कि आगे जरूर मिलेगा।
विजय देवरकोंडा से क्या सीखने को मिला?
विजय का आनस्क्रीन जैसा पर्सोना (व्यक्तित्व) है उससे रियल लाइफ में वह काफी अलग हैं। वह बहुत दयालु, ग्राउंडेड और हंबल (विनम्र) हैं। वह खुद को बिल्कुल सीरियसली नहीं लेते हैं। अपने काम को लेकर बहुत मेहनती और बहुत जुनूनी हैं।
अगली फिल्म की क्या तैयारी है?
मैंने हाल ही में अपनी फिल्म ‘खो गए हम कहां’ की शूटिंग पूरी की है। जोया अख्तर और एक्सेल एंटरटेनमेंट ने इसे प्रोड्यूस किया है। मैंने एक बार फिर सिद्धांत चतुर्वेदी और आदर्श गौरव के साथ काम किया है। यह फिल्म इंटरनेट मीडिया से जुड़ी कहानी पर है। हम सब डिजिटल वल्र्ड में खो रहे हैं। यह फिल्म उस बारे में है। इसके बाद तीन और फिल्मों की घोषणा जल्द ही होगी।