कोरोना काल में इतनी जल्दी क्यों रिलीज़ कर दी गई 'बेल बॉटम'? अक्षय कुमार ने बताया किसने लिया था फैसला
Akshay Kumar On Bell Bottom Released On OTT इन दिनों कई फिल्में सिनेमाघर में रिलीज होने के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी आ रही हैं। अक्षय कुमार अभिनीत ‘बेल बॉटम’ भी सिनेमाघर में रिलीज होने के बाद अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई है।
प्रियंका सिंह, जेएनएन। इन दिनों कई फिल्में सिनेमाघर में रिलीज होने के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी आ रही हैं। अक्षय कुमार अभिनीत ‘बेल बॉटम’ भी सिनेमाघर में रिलीज होने के बाद अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई है। इस ट्रेंड, व्यस्त जीवनशैली में काम और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखने और अन्य मुद्दों पर अक्षय कुमार से प्रियंका सिंह की बातचीत...
सवाल : सिनेमाघरों के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जिस तरह से फिल्में रिलीज हो रही हैं, इस ट्रेंड को आप कैसे देख रहे हैं?
जवाब : कई राज्यों में सिनेमाघर बंद हैं। कोई एक प्लेटफॉर्म तो होना चाहिए, जहां आप अपना काम दर्शकों को दिखा सकें। अच्छी बात है कि ‘बेल बॉटम’ अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई। मुझे कई सारे फैंस के मैसेज आए कि वह फिल्म देखना चाहते हैं, लेकिन कोविड गाइडलाइन के कारण सिनेमाघर बंद हैं, जिससे वे फिल्म देख नहीं पाए। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आने की वजह से वे भी फिल्म का आनंद उठा सकते हैं।
सवाल : कोरोना काल की वजह से ‘बेल बॉटम’ फिल्म को जो ओपनिंग मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल सकी। क्या अब आप अपनी आगामी फिल्मों को लेकर कोई रणनीति बना रहे हैं?
जवाब : जब हमने ‘बेल बॉटम’ को सिनेमाघर में रिलीज करने का निर्णय लिया था, तब भी कोई रणनीति नहीं बनाई थी। तब मकसद सिर्फ एक था कि जिन सिनेमाघरों से लोगों की आमदनी जुड़ी हुई है, उनको दोबारा शुरू किया जाए, ताकि लोगों को काम मिल जाए। अब भी कोई रणनीति नहीं है। फिल्म से जुड़े निर्णय निर्माता लेते हैं, क्योंकि उनके पैसे लगे होते हैं। सही यही होगा कि आगे भी फिल्मों से जुड़े निर्णय वही लें।
सवाल : आप एक साथ कई फिल्मों पर काम कर रहे हैं। इतनी फिल्मों के लिए कैसे वक्त निकाल पाते हैं? टाइम मैनेजमेंट कैसे हो पाता है?
जवाब : टाइम की क्या बात है। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अगर आप कुछ करना चाहते हैं, तो आप उसके लिए वक्त निकाल ही लेंगे। फिर चाहें वह आपकी कोई हॉबी हो या पैशन। फिल्में तो मेरी लाइफ हैं। उनके लिए वक्त कैसे नहीं होगा!
सवाल : आप मुद्दापरक या संदेश देने वाली फिल्मों का हिस्सा बनते हैं। अब तो अगर कोई बड़ी घटना होती है, तो लोग मीम बनाने लग जाते हैं कि आप इस पर भी फिल्म बनाएंगे। लोगों के इस रवैये को कैसे देखते हैं?
जवाब : मुझे खुशी होती है, क्योंकि एक कलाकार के लिए सबसे खराब चीज़ है दर्शकों की याद्दाश्त से दूर होना, लेकिन अच्छी बात यह है कि चाहें कोई खेल से जुड़ा इवेंट हो या देश से जुड़ी कोई बात, लोग मुझे याद करते हैं, भले ही मज़ाक में। मैं खुश हूं, अगर मैं उनका मनोरंजन कर सकता हूं।
सवाल : मौजूदा दौर में यह कहा जाता है कि देश से जुड़े विषयों पर बनी फिल्में सफलता का फॉर्मूला बन गई हैं। क्या आप भी ऐसा मनाते हैं?
जवाब : मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अगर कहानी अच्छी है, कहानी में दम है, फिर चाहें वो रियल हो या फिक्शन, वह सफलता का फॉर्मूला है। हालांकि मैं यह भी मानता हूं कि सफलता का कोई निश्चित फार्मूला नहीं होता है।
सवाल : आपने कई सामाजिक मुद्दों को अपनी फिल्मों में दर्शाया है। क्या कोई और मुद्दा है, जिस पर फिल्म बनाने की योजना है?
जवाब : दरअसल, मैंने कभी कोई प्रॉब्लम चुनकर फिर उस पर फिल्म नहीं बनाई है। आइडिया हमेशा यही रहा है कि एक मनोरंजक फिल्म बनाई जाए। अगर एक मनोरंजक फिल्म के साथ कोई संदेश भी दे सकते हैं, तो उससे अच्छा और क्या होगा!
सवाल : मुद्दापरक और कामर्शियल फिल्मों के बीच संतुलन कैसे बना पाते हैं?
जवाब : मैं दर्शकों की तरह सोचने की कोशिश करता हूं। इसलिए कभी कॉमेडी, कभी रोमांटिक फिल्म कर लेता हूं। इन फिल्मों के बाद सामाजिक संदेश देने वाली फिल्मों के साथ एक्शन फिल्में भी कर लेता हूं। मैं खुद भी एक जैसी फिल्में करके बोर हो जाता हूं। अलग-अलग फिल्में करने से मुझे भी कुछ नया करने का मौका मिल जाता है और दर्शकों को भी वैरायटी मिल जाती है।