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‘गुनाहों का देवता’ का चंदर न बन पाने का बिग बी को है अफसोस

बॉलीवुड के महानायक ने ये खुलासा करते हुए कहा कि उनकी इच्छा रूपहले पर्दे पर गुनाहों के देवता चंदर बनने की थी। जिसका उन्हें आज भी अफसोस है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 10:03 PM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2016 10:30 PM (IST)
‘गुनाहों का देवता’ का चंदर न बन पाने का बिग बी को है अफसोस

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। सिने जगत में बिग बी के नाम से जाने जानेवाले अमिताभ बच्चन ने यूं तो हिंदी फिल्मों में कई यादगार भूमिकाएं निभाई हैं। लेकिन धर्मवीर भारती के उपन्यास गुनाहों का देवता के चंदर की भूमिका में परदे पर न दिख पाने का अफसोस उन्हें आज भी है।

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यह खुलासा आज अमिताभ बच्चन ने मुंबई में डॉ. धर्मवीर भारती चौक का उद्घाटन करते हुए किया। बिग बी के अनुसार उनकी शुरू से इच्छा रही कि भारती के इस चर्चित उपन्यास पर फिल्म बने और वे उसमें चंदर की भूमिका निभाएं। यह फिल्म बनने की शुरुआत भी हुई। बिग बी को चंदर की और जया भादुड़ी (तब अविवाहित) को सुधा की भूमिका भी मिली। लेकिन कुछ दिन इलाहाबाद में इस फिल्म की शूटिंग होने के बाद फिल्म का काम रुक गया और यह आगे नहीं बढ़ सकी।

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बच्चन ने कहा कि वह अपने पिता डॉ.हरिवंशराय बच्चन एवं डॉ.धर्मवीर भारती को परिमल की गोष्ठियों में साथ-साथ काव्यपाठ करते देखते रहे हैं। बाद में उनके घर भी आना-जाना रहता था। आज उनकी पुण्य स्मृति को इस रूप में संरक्षित होते देख अच्छा लग रहा है। डॉ. भारती चर्चित साहित्यिक पत्रिका धर्मयुग के संपादक के विख्यात हुए और उनकी लिखी कई साहित्यिक रचनाएं आज भी साहित्य जगत में मील का पत्थर मानी जाती हैं।

बता दें कि बांद्रा की साहित्य सहवास नामक जिस सोसायटी में भारती रहते थे, उसके निकट स्थित तिराहे को ही डॉ. धर्मवीर भारती चौक नाम दिया गया है। इस चौक के सामने ही स्वर्गीय बालासाहब ठाकरे का निवास मातोश्री भी है। फिलहाल मुंबई भाजपा के महासचिव की जिम्मेदारी निभा रहे अमरजीत मिश्र ने 1998 में डॉ. भारती के निधन के बाद ही इस चौक का नामकरण डॉ.भारती के नाम करने का प्रस्ताव मुंबई महानगरपालिका को दिया था। सन् 2000 में यह प्रस्ताव पास भी हो गया था। लेकिन इसका औपचारिक उद्घाटन आज हो सका।

इस अवसर पर बोलते हुए स्वर्गीय भारती की पत्नी डॉ.पुष्पा भारती ने कहा कि वह चाहती थीं कि इस चौक का उद्घाटन डॉ.हरिवंशराय बच्चन एवं अमिताभ की मां तेजी बच्चन के हाथों से हो, क्योंकि डॉ. बच्चन भारती जी को छोटे भाई की तरह ही मानते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। आज अमिताभ बच्चन के हाथों ऐसा होते देखकर संतोष हो रहा है। क्योंकि मुझे अमिताभ में भी डॉ. हरिवंशराय बच्चन का ही अंश दिखाई देता है।


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