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'महिलाओं के साथ ऐसा होता है यहां...', ज़ोया अख़्तर ने दिखाई बॉलीवुड की स्याह तस्वीर

ज़ोया ने बताया कि परवरिश के दौरान उन्हें कॉलेज जाने से पहले तक सेक्सिज़्म के बारे में पता नहीं था, क्योंकि उनका माता-पिता ने इस बात का एहसास ही नहीं होने दिया।

By मनोज वशिष्ठEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 12:57 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 02:19 PM (IST)
'महिलाओं के साथ ऐसा होता है यहां...', ज़ोया अख़्तर ने दिखाई बॉलीवुड की स्याह तस्वीर
'महिलाओं के साथ ऐसा होता है यहां...', ज़ोया अख़्तर ने दिखाई बॉलीवुड की स्याह तस्वीर

मुंबई। ज़ोया अख़्तर बॉलीवुड की सेंसिबिल और टेलेंटेड वुमन डायरेक्टर्स में शामिल हैं। अपनी फ़िल्मों के ज़रिए ज़िंदगी की उजली तस्वीर दिखाती रहीं ज़ोया ने बॉलीवुड की ऐसी स्याह तस्वीर का खुलासा किया है, जिसे जानकर आपके मुंह से निकलेगा, क्या-क्या होता है बॉलीवुड में। 

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एक्टर-फ़िल्ममेकर राहुल बोस ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे कम उम्र की पर्वतारोही पूर्णा मालावथ पर फ़िल्म बनाई है, जिसके प्रमोशन के लिए उन्होंने लड़िकयां कुछ भी कर सकती हैं विषय पर एक पैनल डिस्कशन आयोजित किया। इस पैनल डिस्कशन में ज़ोया अख़्तर ने बॉलीवुड में महिलाओं और पुरुषों को लेकर प्रचलित नज़रिए पर अपनी बात रखी। ज़ोया ने कहा- "जब हम सेक्सिज़्म की बात करते हैं, तो महिलाओं को हमेशा जज किया जाता है, ख़ासकर जब वो कंट्रोल करने की स्थिति में होती हैं। उन्हें बॉसी कहा जाता है।''

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ज़ोया ने मेल और फ़ीमेल बॉस के लिए नज़रिए के फ़र्क को रेखांकित करते हुए कहा कि मर्द बॉस जब किसी काम के लिए कहते हैं, तो कुछ इस तरह नज़रिया रहता है, 'वो अपने काम में काफी अच्छा है, उसे पता है कि उसे क्या चाहिए', मगर जब महिला बॉस किसी काम को कहती है, तो कहा जाता है, 'वो बॉसी है'। इसी दौरान ज़ोया ने खुलासा किया, कि बॉलीवुड में कुछ मेल डायरेक्टर्स ऐसे हैं जो अपने असिस्टेंट्स को पीटते भी हैं, मगर लोगों को लगता है कि काम पाने का शायद यही तरीक़ा है।

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ज़ोया ने कहा- "मैं ऐसे डायरेक्टर्स को जानती हूं, जो अपने असिस्टेंट्स को मारते हैं, उन्हें घुटनों के बल झुकने को मजबूर करते हैं, सज़ा दी जाती है और मेंटल की तरह व्यवहार करते हैं। लोग इसे जिस तरह देखते, बस उसका अंतर हो जाता है। मुझे सेट पर लड़कों की तरह होने के लिए कहा जाता था। मैं पूछती थी, इसका क्या मतलब है, तो वे कहते थे कि इसका मतलब है कि आपको पता होना चाहिए कि आपको क्या चाहिए। यहां ऐसा सेक्सिज़्म होता है।"

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ज़ोया ने बताया कि परवरिश के दौरान उन्हें कॉलेज जाने से पहले तक सेक्सिज़्म के बारे में पता नहीं था, क्योंकि उनका माता-पिता ने इस बात का एहसास ही नहीं होने दिया कि वो फ़रहान से किसी तरह अलग हैं। 


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