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स्क्रीन अवॉर्ड में स्त्री के संवाद लेखक सुमित को मिला बेस्ट अवार्ड, कहा स्त्री को फार्मूला न बनाएं

सुमित कहते हैं कि यह एक फार्मूला फिल्म नहीं थी. लेकिन अब आप इसको फार्मूला बना देंगे तो सुमित कहते हैं कि ये कहना मुश्किल है कि वह फार्मूला चलेगा कि नहीं. चूंकि इस फिल्म से यह फार्मूला फिल्म थी नहीं.

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 01:25 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 01:25 PM (IST)
स्क्रीन अवॉर्ड में स्त्री के संवाद लेखक सुमित को मिला बेस्ट अवार्ड, कहा स्त्री को फार्मूला न बनाएं
स्क्रीन अवॉर्ड में स्त्री के संवाद लेखक सुमित को मिला बेस्ट अवार्ड, कहा स्त्री को फार्मूला न बनाएं

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई. वर्ष 2018 की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक रही फिल्म स्त्री ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल की कमाई की है और दर्शकों को यह फिल्म खूब पसंद आयी है. यही वजह है कि इस साल स्टार स्क्रीन अवार्ड में भी स्त्री फिल्म छाई रही, फिल्म को कई श्रेणियों में अवार्ड्स मिले, जहां पंकज त्रिपाठी को फिल्म में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का ख़िताब मिला है. वहीं निर्देशक अमर कौशिक को बेस्ट डेब्यू निर्देशक का अवार्ड मिला. इसी फिल्म के लिए राजकुमार राव को पॉपुलर कैटेगरी में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला. लेखक सुमित अरोरा को बेस्ट डायलोग का अवॉर्ड मिला है. सुमित अरोरा ने इस बारे में जागरण डॉट कॉम से बातचीत के दौरान सुमित ने कहा कि वह इस पुरस्कार से बेहद खुश हैं कि स्त्री को दर्शकों का इतना प्यार मिला है.

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स्त्री अहम् विषय पर बनी फिल्म, एक बड़ा सटायर था

सुमित कहते हैं कि स्त्री एक महत्वपूर्ण विषय पर बनी मनोरंजक फिल्म थी. उन्हें इस बात की भी ख़ुशी है कि फिल्म में जिस तरह से कहानी के माध्यम से स्त्री के सम्मान की बात बिना किसी लाग-लपेट के प्रस्तुत की जानी थी और दर्शकों ने उसे उसी रूप में लिया है. यह बेहद जरूरी था. यही फिल्म के लिए संवाद लिखते वक़्त भी यही एक बड़ा चैलेंज था. सुमित कहते हैं कि राज और डीके ने पूरा प्रीमाईस दिया था कि इसमें जो चुड़ैल आती है तो और पीछे से आवाज़ देती है. तो वहां हमारे दिमाग में बात आती है कि ये चुड़ैल भी जो आती है वह भी पूछना जरूरी समझती है.लेकिन मर्द कभी ऐसा नहीं करते.

सुमित कहते हैं कि यह एक बड़ा सटायर था, हमारी सामाजिक स्थिति पर. सुमित कहते हैं कि इस बात का भी हमने ध्यान रखा कि लोगों तक बात पहुंचे. सुमित ने फिल्म की ओपन एंडिंग एक बारे में कहा है कि हमारी सोच यह थी कि हम चुड़ैल को इसलिए भी नहीं मारते, उसकी रक्षा की बात करते हैं. चूंकि वो जो स्त्री है किसी कारण से मरती है. हम यह भी चाहते थे कि दर्शक अब अगली बार के लिए उत्साहित रहें.

स्त्री को फार्मूला न बनाएं

स्त्री को बॉलीवुड में इन दिनों एक ट्रेंड सेटर के रूप में देखा जा रहा है. इस बारे में सुमित कहते हैं कि ये फिल्म की कामयाबी और जो अवार्ड फिल्म को मिल रहा है, वह इस बात की निशानी है कि अगर आप एक अच्छा कांसेप्ट लेकर बनाएं तो फिल्म ईमानदारी से बनाएं तो दर्शक पसंद करते हैं. सुमित कहते हैं कि अमर, राज डीके, दिनेश सभी चाहते थे कि ये फिल्म में सच्चाई से अपनी बात रखी जाये.

सुमित कहते हैं कि यह एक फार्मूला फिल्म नहीं थी. लेकिन अब आप इसको फार्मूला बना देंगे तो सुमित कहते हैं कि ये कहना मुश्किल है कि वह फार्मूला चलेगा कि नहीं. चूंकि इस फिल्म से यह फार्मूला फिल्म थी नहीं. सुमित का कहना है कि अच्छी फिल्मों की जरूरत है और हर बार दर्शकों को कुछ नया देना होगा.इसमें कोई फार्मूला नहीं था और सुमित कहते हैं कि इसे ही फार्मूला बना देना सही नहीं होगा.

स्त्री के यादगार संवाद

यह पूछे जाने पर कि आमतौर पर दर्शक इन दिनों फिल्मों को याद नहीं रख पाते. लेकिन स्त्री के संवाद लोगों को याद रहे हैं. सुमित कहते हैं कि मुझे जब यह फिल्म की कहानी सौंपी गई थी तो कहा गया था कि इसे अपना बना कर लिखिए. तुमने जो अबतक की जिंदगी जी है, उसे सोच कर लिखो. तो मैंने सोचा कि गाँव में मेरी जो परवरिश हुई है, जो मैं चार पांच साल रहा हूं, मैंने वहां के किरदार देखे हैं और वहां के परिवेश को समझा है तो मुझे लगा कि फिल्मों में उत्तर प्रदेश की भाषा बहुत हो चुकी है तो हमने थोड़ा मध्य प्रदेश की भाषा रखते हैं. साथ ही हमने यह तय किया था कि हिंदी का अधिक इस्तेमाल करेंगे. खासकर पंकज त्रिपाठी का जो कैरेक्टर है, उनके किरदार के डायलोग फिल्म में एक के बाद एक आने थे ही. दुर्गा भईया का किरदार ही था कि वह लोगों को नए इनसाईट देते हैं. सुमित ने यह भी बताया कि राजकुमार के पिता और राजकुमार के बीच के संवाद लिखते वक़्त भी खास ध्यान दिया था कि आमतौर पर जैसे फिल्मों में नायकों का पिताओं से संबंध रहा है, उसे अलग कैसे दिखा सकते. प्रयास यही था कि शब्दावली का प्रयोग करें. कोशिश थी कि स्मॉल टाउन के किरदार लगें. सुमित ने बताया कि वह बचपन से हिंदी परिवेश में रहे हैं. वह शरत जोशी, श्री लाल शुक्ल ज्ञान चतुर्वेदी जैसे लेखकों से प्रभावित रहा हूं. मोहन प्रकाश जैसे लोगों को पसंद करता हूं, वह चाहते हैं कि अपनी फिल्म लिखें तो ऐसी लेखनी कर पाऊं. सुमित कहते हैं कि वह निर्देशन के फील्ड में आना चाहते हैं.

लेखकों को लॉ की हो पूरी जानकारी, अपनी कहानी की करें ऐसे रक्षा

सुमित ने अपने शुरुआती दौर के बारे में बात करते हुए बताया कि वह शुरू में टीवी के साथ शुरुआत की, जिससे कि उस वक़्त जीविकोपार्जन चला. फिर टीवी से लिखने का अभ्यास भी हो जाता है. फिल्म के निर्देशक अमर के साथ आमिर फिल्म पर काम किया था. फिर ओनिर के साथ काम करते हुए हम दोनों साथ में काम कर रहे थे. सुमित कहते हैं कि इससे पहले भी कई फिल्में लिखी, लेकिन खास बात नहीं बनी. स्त्री से काफी पहचान मिली. सुमित स्त्री के सीक्वल से जुड़े रहेंगे. वहीं वह नेट फिल्क्स के लिए भी प्रोजेक्ट कर रहे हैं. अनिल कपूर प्रोडक्शन का ये प्रोजेक्ट है. इसके अलावा वह राज और डीके के साथ अमजोन पर काम कर रहे हैं. मनोज बाजपेई हैं उसमें. इसके अलावा करण जौहर के धर्मा प्रोड्कशन के लिए फिल्म भी लिख रहे हैं. सुमित ने लेखकों के क्रेडिट को लेकर और नए लेखकों को लेकर अपनी बात रखते कहते हैं कि नए लोग जब भी कहानी लेकर आयें उसके साथ-साथ अपने पेपर वर्क को भी स्ट्रांग रखें. असोसिएशन काफी सपोर्टिव हुई है. वहां से मदद लेनी चाहिए और अपने कंट्राक्ट को इतना वाटर टाईट करना चाहिए कि आगे कभी दिक्कत आ ही न पाए. सुमित का मानना है कि राइटर को थोड़ा सैवी बनना होगा लॉ को लेकर. फिर उनको परेशानी नहीं होगी.

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