Move to Jagran APP

World Environment Day : कड़वी हवा के डायरेक्टर बोले- 'अगर अब भी ध्यान नहीं दिया तो हम चुनौतियों का सामना करेंगे'

कड़वी हवा और कौन कितने पानी में फेम फिल्मकार नीला माधब पांडा पर्यावरण संरक्षण के लिए जनचेतना जगाने में सिनेमा को बेहद कारगर मानते हैं।

By Nazneen AhmedEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 08:49 AM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 08:49 AM (IST)
World Environment Day : कड़वी हवा के डायरेक्टर बोले- 'अगर अब भी ध्यान नहीं दिया तो हम चुनौतियों का सामना करेंगे'
World Environment Day : कड़वी हवा के डायरेक्टर बोले- 'अगर अब भी ध्यान नहीं दिया तो हम चुनौतियों का सामना करेंगे'

नई दिल्ली, जेएनएन। 'कड़वी हवा' और 'कौन कितने पानी में' फेम फिल्मकार नीला माधब पांडा पर्यावरण संरक्षण के लिए जनचेतना जगाने में सिनेमा को बेहद कारगर मानते हैं। पर्यावरण से लगाव के संबंध में नीला बताते हैं, 'बचपन से मेरा प्रकृति से लगाव रहा है। 15 साल की उम्र तक हमें डीजल की गंध की जानकारी नहीं थी। बाद में मेरा सफर छोटे से बड़े शहर और फिर दुनिया तक हुआ। मुझे अहसास हुआ कि

loksabha election banner

पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। जंगल काटे जा रहे हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप ज्यादा बरसात होने लगती है या सूखा पड़ जाता है। अगर इसे नहीं संभाला गया तो दुनिया को आने वाले दिनों में और भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। मैं वर्ष 2003 से जल सरंक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता को लेकर काम कर रहा हूं। मेरी डॉक्यूमेंट्री 'क्लाइमेट्स फस्र्ट ऑर्फन्स' समुद्र का जलस्तर बढऩे पर आधारित थी।

नदी का जलस्तर बढऩे पर गांव के गांव उसमें डूब जाते हैं। मेरी फिल्म 'कौन कितने पानी में' जल की समस्या पर थी। 'कड़वी हवा' में जलवायु परिवर्तन का मुद्दा था। लोग कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन पर फिल्म बनाना बहुत मुश्किल है, कैसे बनाओगे। मैंने सोचा कि कहानी दिखाने के लिए मौसम दिखाना जरूरी नहीं है। मौसम में बदलाव हम महसूस कर रहे हैं।

फिल्म में दो तरह से जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में आए बड़े बदलाव को दर्शाया गया। एक जगह पानी समुचित मात्रा में है। दूसरी जगह उसका संकट है। उसकी वजह से वहां रहने वाले इंसानों के जीवन में क्या फर्क पड़ता है, वह दिखाने की कोशिश 'कड़वी हवा' में की थी। मिसाल के तौर पर फिल्म के एक दृश्य में संजय मिश्रा कहते हैं अब तो सीजन का भी पता नहीं चलता है। यह डायलॉग जलवायु परिवर्तन के प्रति सचेत कर रहा है। मेरी अगली फिल्म भी जलवायु परिवर्तन पर है। फिलहाल वह पोस्ट प्रोडक्शन में है। हमारे देश में लोग सिनेमा से बेइंतहा प्यार करते है। अगर आप कहानी के जरिए पर्यावरण की बात करेंगे तो लोगों को बेहतर तरीके से समझ आएगी।' 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.