जब आया मनोज कुमार का फैशन
पिछली बातचीत में चर्चा हुई थी कि मैं आशा भोसले से जरूर गीत गवाता था और कुछ उन गीतों का भी जिक्र किया था, जो चर्चा में रहे। अब बात आगे के काम के बारे में.., तो सत्येन बोस की फिल्म 'बंदी' के बाद आई कालिदास निर्देशित और वैयंतीमाला, प्रदीप कुमार, राजेंद्र कुमार
नई दिल्ली। पिछली बातचीत में चर्चा हुई थी कि मैं आशा भोसले से जरूर गीत गवाता था और कुछ उन गीतों का भी जिक्र किया था, जो चर्चा में रहे।
अब बात आगे के काम के बारे में.., तो सत्येन बोस की फिल्म 'बंदी' के बाद आई कालिदास निर्देशित और वैयंतीमाला, प्रदीप कुमार, राजेंद्र कुमार, प्राण, अनीता गुहा, ललिता पवार, ओमप्रकाश अभिनीत 'एक झलक'। इसके चर्चित गीत थे 'आजा जरा मेरे दिल के सहारे..', 'चल बादलों से आगे कुछ और ही समां है..', 'गोरी चोरी चोरी जाना बुरी बात है..' और 'ये हंसता हुआ कारवां जिंदगी का..'। बता दूं कि गीत 'आजा जरा मेरे दिल के..' में आवाज थी गीता दत्त के साथ हेमंत दा की और इसे लिखा था राजेंद्र कृष्ण ने। बाकी तीनों गीत लिखे थे एस एच बिहारी ने। 'चल बादलों से आगे..' और 'ये हंसता हुआ कारवां जिंदगी का..' में आवाज आशा भोसले के साथ हेमंत दा की थी और 'गोरी चोरी चोरी जाना बुरी बात है..' को गाया था हेमंत दा ने। तब यह गीत भी खूब बजा।
फिर आई लेखराज भाखड़ी की फिल्म 'फैशन'। यह फिल्म मुझे इसलिए भी अच्छी तरह याद है क्योंकि इसके जरिए एक नया अभिनेता अभिनय की दुनिया में आया था, जो दिलीप कुमार की नकल करके खुश होता था। उनका नाम है मनोज कुमार। बाद में उन्होंने अपनी अलग छाप बनाई, लेकिन पहले वे दिलीप कुमार की स्टाइल को ही अपनाते थे। यहां तक की कपड़े भी वैसे ही पहनते थे। खैर, इस फिल्म में वे छोटी भूमिका में थे और अन्य मुख्य कलाकारों में थे प्रदीप कुमार, माला सिन्हा, चंद्रशेखर, लीला मिश्रा, कम्मो, सुंदर, जगदीश सेठी आदि। 'फैशन' के सभी गीत लिखे थे भरत व्यास ने। भरत जी मूल रूप से कवि थे और उनके गीत लिखने का अंदाज भी अलग था।
इसमें जो गीत थे, उनके बोल 'बड़े बड़े तूफानों के आगे कभी नहीं जो हारा है..', 'बहारों से पूछो नजारों से पूछो..', 'धरती की गोद में आसमां कीछांव में..', 'होठों पर तेरा नाम तू ही तो है मेरा श्याम..' और 'तुम और हम भूल गए गम..' आदि थे। सभी गीतों में हेमंत दा की आवाज थी और उनके साथ गीत 'बड़े बड़े तूफानों के आगे..' में बेला मुखर्जी, 'होठों पर तेरा नाम तू ही तो है मेरा श्याम..' में लता मंगेशकर और 'तुम और हम भूल गए गम..' में गीता दत्त की आवाज थी।
शक्ति सामंत अच्छी-अच्छी फिल्मों के लिए खूब चर्चित हुए। उनकी फिल्म 'हिल स्टेशन' के गीत भी खूब सुने गए। खासकर लता मंगेशकर और हेमंत दा की आवाज वाला 'नई मंजिल नई राहें नया है मरहबा अपना..', हेमंत दा की आवाज वाला 'वे खुशनसीब हैं जिनको यहां करार मिला..' और गीता दत्त का गाया 'ये मारा वो मारा कोई जीता कोई हारा..' को लोगों ने खूब गाया। इस फिल्म के गीत लिखे थे एस एच बिहारी ने और कलाकार थे बीना राय, प्रदीप कुमार, श्यामा, के एन सिंह, प्रतिमा देवी और मारुति। अगली फिल्म 'कितना बदल गया इंसान' में भी बिहारी साहब के ही गीत थे और इसका एक गीत, जिसे गीता दत्त ने गाया था 'जब तुम ही नहीं तो चांद सितारे मैं क्या करूं..' को दिल के मारे लोगों ने खूब गाया। तब जो भी प्यार में दुखी होता, यही गीत गाता था। 'कितना बदल गया इंसान' आई एस जौहर की फिल्म थी और इसमें काम किया था जौहर साहब के अलावा अजीत, नलिनी जयवंत, कमलजीत, शांति, उदयलक्ष्मी आदि कलाकारों ने।
इस फिल्म के बाद आई मद्रास टाकीज की फिल्म 'पायल', जिसका निर्देशन किया था जोसफ ने। दरअसल, जोसफ ने कुछ साउथ की फिल्में की थीं। हिंदी में यह उनकी पहली फिल्म थी। इसमें सुनील दत्त के साथ पद्मिनी, बेबी नाज, रागिनी, आगा, डेविड, अचला सचदेव, मीनू मुमताज आदि थे। इस फिल्म के दो गीतों को ही और सच कहूं तो बस एक गीत 'चलो चलें रे साजन धीरे धीरे..', जिसे लता मंगेशकर और हेमंत दा ने गाया था, को ही अच्छी सफलता मिली। गीत लिखवाने के लिए जोसफ को मैंने ही राजेंद्र कृष्ण का नाम सुझाया था, लेकिन कहानी कुछ ऐसी थी कि गीत के लिए बढि़या सिचुएशन नहीं मिला। दूसरा गीत, जो थोड़ा चला था, वह था 'मां ओ देवी मां..'। इस फिल्म के बाद आई एस डी नारंग साहब की फिल्म 'यहूदी की लड़की'। इसमें सात गीत थे और सभी को लिखा था एस एच बिहारी ने। 'दुनिया से दिल लगाके..', 'आ हमसे प्यार कर ले..', 'कर ले दिल का सौदा..' और 'न हो दिल जिसके दिल में..' में आवाज थी गीता दत्त की। 'ऐ चांद बता तूने कभी प्यार किया है..' को गाया था आशा भोसले ने और 'दिल बेकरार मेरा करे इंतजार तेरा..' में आवाज थी आशा भोसले के साथ हेमंत दा की। एक गीत इसमें और था, जिसके बोल थे 'ऐ खुदा तेरे बंदों के दिल..'। इसमें आवाज हेमंत दा के साथ मैंने भी दी थी। यह हेमंत दा के साथ गाया मेरा पहला गीत था। इस फिल्म के कलाकार थे प्रदीप कुमार, गजानन जागिरदार, हीरालाल, कृष्णा कुमारी, हेलन और प्रेमलता।
'चंपाकली' भी फिल्मिस्तान की फिल्म थी और इसके निर्देशक थे 'नागिन' वाले नंदलाल-जसवंतलाल। भारतभूषण, सुचित्रा सेन, प्राण, मुबारक और शुभा खोटे अभिनीत इस फिल्म के गीत लिखे थे राजेंद्र कृष्ण ने ही, जो खूब पसंद किए गए। इसी फिल्म में पहली बार साई भगवान पर एक गीत रखा गया था, जो भोजपुरी बोल वाला था। 'जिनगी भर जपब तोहार नाम हे मोर साईबाबा..' को गाया था हेमंत दा ने। 'ओ जी ओ जी छोड़ो ना दुपट्टा..' में आवाज थी हेमंत दा के साथ लता मंगेशकर की। 'जा रे जा रे ओ माखन चोर..' को गाया था मोहम्मद रफी और लता ने और तीन गीत थे सिर्फ लता की आवाज में, जिनके बोल थे 'ना जाने ये चंदा न जाने ये सितारे..', 'खुली हवा में डोले रे आज मेरा मन बोले रे..' और 'छुप गया कोई रे दूर से पुकार के दर्द अनोखे हाय दे गया प्यार के..'। खासकर 'छुप गया कोई रे..' तो लता मंगेशकर के गाये टॉप कुछ गीतों में शुमार है। यह आज भी सुना जाता है। इस गीत के लिए तब मैंने सात धुनें बनाई थीं, जिसमें से इस गीत की धुन को निर्देशक ने पसंद किया।
मैं अब यहां एक बात का जिक्र करना चाहूंगा। मैंने पिछली बातचीत में बताया था कि अपने संगीत निर्देशन में मैं आशा भोसले से अधिक गीत गवाता था। इसकी कई वजहें थीं और मैंने बताया भी था। आशा के बाद अगर मैंने किसी गायिका को पसंद किया, तो वे थीं गीता दत्त। मैं गीता दत्त को भी गीत गाने के अधिक अवसर देता था। आशा के बाद गीता दत्त ने मेरे संगीत निर्देशन में बहुत से गीत गाए। वैसे मेरी पसंद की गायिकाओं में सबसे ऊपर लता मंगेशकर रहीं और उन्हें मैं तब गीत गाने के लिए चुनता था, जब कोई गीत उनके लायक होता था। उन्होंने भी मेरे संगीत निर्देशन में काफी गीत गाए और उनके साथ युगल गीत गाने के लिए मैंने अधिकतर हेमंत दा और मोहम्मद रफी को चुना।
क्रमश:
इस अंक के सहयोगी : मुंबई से अजय ब्रह्मात्मज, अमित कर्ण, दुर्गेश सिंह, दिल्ली से रतन, स्मिता, पंजाब से वंदना वालिया बाली, पटना से संजीव कुमार आलोक
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