Happy Holi:बद्री और जॉली संग खेलिये होली,ऐसे शुरू हुई थी फिल्मों में होली
बॉलीवुड ने समय समय पर होली के रंगों से दर्शकों को सराबोर कर दिया है। अलग अलग तरह के होली गीत आये और गब्बर सिंह का सदाबहार डायलॉग भी - होली कब है?
मुंबई। हिंदी फिल्मों के अपने अलग अलग रंग होते हैं। हर तरह के रस होते हैं लेकिन ख़ुशी और उमंग के साथ मस्ती और अल्हड़पन की जब भी बात आती है, बिना होली के पूरी नहीं हो पाती।
बॉलीवुड ने समय समय पर होली के रंगों से दर्शकों को सराबोर कर दिया है। अलग अलग तरह के होली गीत आये और गब्बर सिंह का सदाबहार डायलॉग भी - होली कब है? दरअसल हिंदी फिल्मो में होली के गाने या सीन डालने की परम्परा साल 1944 में फिल्म 'ज्वार भाटा' के साथ शुरू हुई थी। ये दिलीप कुमार की पहली फिल्म थी और फिल्म में "गाओ कबीर उडाओ अबीर" नाम से होली सॉन्ग रखा गया था।
लेकिन 1959 में वी शांताराम ने ही अपनी फिल्म 'नवरंग' में होली के बहाने भक्ति परंपरा के एक रंग को दर्शको के सामने लाया था। " आया होली का त्योहार , उडे रंग की बौछार, .." ने रंगों की अलग बानगी पेश की।
ब्रज की होली भी हमेशा से ही बॉलीवुड की पसंद रही है। फागुन, होली आई रे और गोदान जैसी फिल्मों में होली के रंग दिखे थे। हिंदी फिल्मों में होली का बड़ा प्रचलन भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका की पौराणिक कहानी की देन रहा है। चालीस के दशक में भक्त प्रह्लाद पर बनी फिल्मों में होली के अच्छे तरीके से पेश किया गया । बाद के वर्षों में फिल्मों में कहानी को आगे बढ़ाने के लिए भी कई बार होली सीक्वेंस का इस्तेमाल किया गया जिसमे आमिर खान स्टारर मंगल पांडे और सनी देओल की दामिनी शामिल है। महबूब खान की 'मदर इंडिया' में भी नर्गिस का अपने दोनों बेटों संग होली खेलने का वो अंदाज तो आज भी लोगों को याद है। ' होली आई रे कन्हाई, रंग छलके ' गाना आज भी लोगों की जुबान से उतरता नहीं, खास कर होली के दिन।
फिल्म सिलसिला का गाना ' रंग बरसे भीगे चुनर वाली "तो जैसे होली का एंथम ही माना जाता है। लेकिन बच्चन ने सिलसिला के ठीक 32 साल बाद हेमा मालिनी के संग जब होली के एक लोकगीत ' होली खेले रघुबीरा, अवध में ' परदे पर पेश किया था , तो लोग झूमने पर मजबूर हो गए। हिंदी सिनेमा की सबसे लोकप्रिय फिल्म शोले ने भी होली के अलग रंग डाले थे जब रामगढ़ के गांववालों के साथ बसंती और वीरू की धमा चौकड़ी "होली के दिन , दिल खिल जाते हैं " में दिखी थी। फिल्म राजपूत में भी धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी ने 'कान्हा ने पकड़ा रंग डाला' गाने के साथ होली की हुल्लड़ दिखाई।
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बीते सात दशक में हिंदी सिनेमा में होली को सेलेब्रेशन के रंगों में लपेट कर भी पेश किया गया कभी होली के बहाने हमजोली से दूरी का दर्द सामने आया तो कभी बदले की टीस। होली के बहाने आप शाहरुख़ खान के उस बेपनाह मोहब्बत को कैसे भूल सकते हैं जो उन्होंने फिल्म डर के गाने 'अंग से अंग लगाना सजन, मोहे ऐसे रंग लगाना " में दिखाई थी। सिर्फ सिलसिला ही नहीं यश चोपड़ा तो जैसे होली का झंडा बुलंद करने वालों में सबसे आगे रहे। उनकी फिल्म ‘मशाल’ में ‘देखो होली आई' जैसा गाना दिया और फिर मोहब्बतें में ‘सोनी-सोनी अंखियों वाली ' जैसे गानों में होली के रंग दिखाए। कामचोर के गाने ' मल दे गुलाल मोहे ' ,आखिर क्यों के गाने ' सात रंग में...' , फिल्म धनवान में राजेश खन्ना- रीना राय पर फिल्माया गया ' मारो भर भर कर पिचकारी ' , फूल और पत्थर का ' लाई है हजारों रंग होगी ' और कटी पतंग का ' आज न छोड़ेंगे बस हमजोली ' को हमेशा होली लिस्ट में शामिल किया जाता रहा है।
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होली का सबसे ताज़ा रंग दो लोगों की वजह से आया है। एक बद्री दूसरा जॉली। शशांक खेतान डायरेक्टेड वरुण धवन- आलिया भट्ट स्टारर फिल्म बद्रीनाथ की दुल्हनिया ने होली को ध्यान में रखते हुए ही अपना गाना तैयार किया था। कभी "डू मी ए फेवर , लेट्स प्ले होली" कहने वाले अक्षय कुमार ने भी इस साल होली को अपनी फिल्म जॉली एलएलबी 2 में ' गो पागल ' गाने के जरिये दिखाया था। इस गाने में अक्षय ने हुमा कुरैशी के साथ जो रंगों वाली पागलपंती दिखाई वो जबरदस्त हिट रही।
हालांकि साल 2013 के बाद एक गाना जो होली के दिन का अनिवार्य हिस्सा बन गया वो रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण की देन है। फिल्म ये जवानी है दीवानी में उन पर फिल्माया गया 'बलम पिचकारी ' हाल के वर्षों के होली का सबसे बड़ा गाना माना गया।