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मेरे ज़माने का सेंसर बोर्ड आज की फिल्में देखता तो बेहोश हो जाता – वहीदा रहमान

वहीदा रहमान कहते हैं सचमुच आज की फिल्में देखती हूं तो लगता है, तब का सेंसर अब होता तो क्या होता।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Mon, 12 Mar 2018 05:23 PM (IST)Updated: Mon, 12 Mar 2018 05:23 PM (IST)
मेरे ज़माने का सेंसर बोर्ड आज की फिल्में देखता तो बेहोश हो जाता – वहीदा रहमान
मेरे ज़माने का सेंसर बोर्ड आज की फिल्में देखता तो बेहोश हो जाता – वहीदा रहमान

रुपेशकुमार गुप्ता, मुंबई। अपने ज़माने की बेहतरीन अभिनेत्री वहीदा रहमान ने कहा है कि अगर उनके समय का सेंसर बोर्ड और उसके लोग आज रहे होते तो इस दौर की फिल्में देख कर बेहोश हो जाते।

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वहीदा रहमान ने मुंबई में हुए एक कार्यक्रम में उनके जमाने के सेंसर बोर्ड से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए कहा कि एक बार की बात है उनकी एक फिल्म 'चौदहवी का चाँद' जब बनकर तैयार हुई तो फिल्म को लोगों ने बहुत पसंद किया। जिसके बाद सभी ने सोचा कि रंगीन फिल्मों का दौर अभी अभी शुरू हुआ है तो क्यों न फिल्म का टाइटल ट्रैक रंगीन में शूट किया जाये। जिसके बाद हमने उस गाने को ब्लैक और वाइट से एकदम हूबहू रंगीन में फिल्माया लेकिन जब फिल्म का गाना सेंसर बोर्ड में गया तो उन्होंने गाने के दो सीन काटने का सुझाव दिया। जब गुरुदत्त जी ने पूछा कि समस्या क्या है तो हमें बताया कि गाने में वहीदा जी की आखें बहुत लाल है। सेंसर को बताया गया कि उन दिनों लाइट ज्यादा होने के कारण हर शॉट से पहले बर्फ लगाने के कारण आंखें लाल हुई थी। हालांकि सेंसर बोर्ड ने ये दलील नहीं मानी और उसने एक सीन कट कर दिया। इसके पीछे सेंसर बोर्ड ने यह भी कहा था कि आंखें लाल होने से गाना सेक्सी लगता है। वहीदा रहमान कहते हैं सचमुच आज की फिल्में देखती हूं तो लगता है, तब का सेंसर अब होता तो क्या होता।

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