सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या पर बोलीं सुष्मिता सेन- 'मैंने भी झेला है डिप्रेशन'
जागरण साथ विशेष बातचीत में सुष्मिता सेन बताया कि जिंदगी में एक बार वह भी डिप्रेशन से गुजरी हैं।
मुंबई, (स्मिता श्रीवास्तव)। अच्छा दिखो। अच्छा दिखाओ और हर समय अच्छे रहो। यही रील और रियल लाइफ को एक जैसा बना देता है। बैंक बैलेंस और नाम बढ़ने के साथ असुरक्षा भी बढ़ती है। यह सभी एक अभिनेता की जिंदगी में ट्रिगर के रूप में काम करता है। यह बात पूर्व मिस यूनिवर्स और अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने सुशांत सिंह के निधन के बाद सोमवार को इंस्टाग्राम पर अपनी पोस्ट में लिखी। जागरण साथ विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि जिंदगी में एक बार वह भी डिप्रेशन से गुजरी हैं।
क्या कलाकार के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाना ज्यादा मुश्किल है सवाल के जवाब में सुष्मिता सेन ने कहा, 'सुशांत बहुत ही प्रतिभाशाली कलाकार थे। उन्होंने कम समय में शोहरत हासिल की थी। उनकी मौत की खबर सुनकर धक्का लगता है। मैं उन्हें निजी तौर पर नहीं जानती थी। काश मैं उनसे मिली होती। मैं उनके काम की मुरीद रही हूं। जब उनके निधन की खबर आई तो मुझसे रहा नहीं गया। यह सिर्फ एक सुशांत या एक कलाकार की सच्चाई नहीं है। बहुत सारे ऐसे लोग इन रास्तों से गुजर रहे हैं जिनकी आवाज हम तक पहुंच नहीं रही है। कलाकार के लिए अपनी बात को कहना और दिखाना काफी मुश्किल होता है अगर आप अपनी यह आवाज को दबाकर रखते हैं। यह भी सच है कि कई बार लोग आपकी कही बातों का मजाक उड़ाते हैं। मेरा मानना है कि तब भी आपको अपना सच बोलना चाहिए। आपको मेडिकल हो या इमोशनल मदद मांगनी चाहिए।'
उन्होंने आगे कहा, 'मैंने भी बहुत डिप्रेशन झेला है। मुझे पता है वह बहुत रियल इमोशन होता है। उस वक्त पर हंसना बहुत मुश्किल है फिर भी हमें जीवन चुनना पड़ता है। हमें चुनना भी चाहिए। प्रतिदिन उससे निकलने की कोशिश होनी चाहिए। यादें रखें कि आप अकेले नहीं हैं। हम सब के अंदर कोई न कोई दर्द है जिसमें डिप्रेशन है। चाहे क्लीनिकल हो या जिंदगी के रास्ते आपको उस मोड़ तक ले आते हैं। हर कोई उस दर्द को महसूस करता है। मैं उस दर्द को बांटना चाह रही थी। हम सब की जिंदगी में अलग-अलग तरह की समस्याएं हैं। हमें उससे हार नहीं माननी चाहिए।'
खुद को डिप्रेशन से निकलने के संबंध में सुष्मिता बताती हैं, 'हर इंसान अलग होता है। कुछ लोगों को दोस्तों और परिवार के सपोर्ट की जरुरत होती है। कुछ डॉक्टर या मानसिक चिकित्सक के पास जाते हैं। यह उनकी समस्या पर निर्भर करता है। मेरी जिंदगी के कई उद्देश्य हैं। मेरी दो बेटियां हैं। मैं अकेले उनका पालन पोषण कर रही हूं। मैं यह नहीं सोच सकती कि जिंदगी खत्म हो गई।'
उन्होंने आगे कहा, 'मुझे अगर लगता था कि थोड़ा भी मेरा डिप्रेशन बढ़ रहा है तो मैं सीधे डॉक्टर से मदद लेती थी। दवा मांगती थी। मैंने हमेशा इस बात को प्रमुखता से उठाया कि मेरा मन नहीं अच्छा है। रोना आ रहा है, मुझे तकलीफ हो रही है तो यह बता रहा है कि मुझे मेडिकल की जरुरत है। क्योंकि मैं खुश रहने वाली इंसान हूं। अगर मैं ऐसा महसूस कर रही हूं तो मुझे मदद की जरुरत है। कई बार मेडिटेशन या मनोचिकित्सक की जरुरत होती है। मैंने मदद मांगी और मुझे मिली क्योंकि मैं हाथ धोकर पीछे पड़ जाती थी। मुझे ठीक होना ही है। मुझे यह नहीं जम रहा है। मैं वैसी इंसान नहीं बन सकती। न हारने का विकल्प आपके पास होता है। मुझे जिंदगी में बहुत कुछ अकेले दम पर करना पड़ा है। मुझे अकेलेपन से डर नहीं लगता।' इससे पहले दीपिका पादुकोण ने भी अपने डिप्रेशन पर बात की थी।