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Holi 2023 Folk Songs: लोकगीतों से सजेगा रंगों का त्योहार, मैथिली ठाकुर के अलावा सुने जाएंगे इन गायकों के गीत

रंगों का त्योहार होली बिना गीतों के अधूरा है। इस खास दिन को रंगों के भाव को प्रस्तुत करते गीत और खास बनाते हैं। तो चलिए आज आरती तिवारी के लेख में जानते हैं किन गायकों और संगीतकारों के कौनसे गीत इस दिन को और खास बनाते हैं।

By Priyanka JoshiEdited By: Priyanka JoshiPublished: Mon, 06 Mar 2023 12:27 PM (IST)Updated: Mon, 06 Mar 2023 12:27 PM (IST)
Holi 2023 Folk Songs: लोकगीतों से सजेगा रंगों का त्योहार, मैथिली ठाकुर के अलावा सुने जाएंगे इन गायकों के गीत
Holi 2023: The festival of colors will be decorated with the folk songs of these singers, via instagram and IMBD

नई दिल्ली, जेएनएन। होली गायन की समृद्ध परंपरा है भारतीय शास्त्रीय संगीत में। इससे उपजे विविध रागों में पगे लोकगीतों के बिना फीका है रंगों का यह त्योहार। ब्रज से लेकर अवध और बनारस तक होली के ढेरों कलेवर हैं, मनोरम दृश्य हैं। होली की मस्ती में ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी के फगुआ समां बांधते हैं तो मसाने में होली के दृश्यों का रंग जमाते हैं पद्म विभूषण से सम्मानित छन्नूलाल मिश्र के सुर। होली संगीत की इसी परंपरा के अब नए उत्तराधिकारी चमक रहे हैं और आगे बढ़ा रहे हैं होली के लोकगीतों की परंपरा। आरती तिवारी का आलेख ...

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कौशिकी चक्रवर्ती

जब उनके कदमों की चाल डगमगाना आरंभ हुई थी, उनके सुरों की ताल सध चुकी थी। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकारी के विशिष्ट व्यक्तित्वों में से एक पंडित अजय चक्रवर्ती की बेटी कौशिकी चक्रवर्ती का दादरा रंग पिचकारी मत मारो कन्हाई' आंख मूंदकर इस गीत के रंगों में रंग जाने पर मजबूर करता है।

मैथिली ठाकुर

किराना घराना और बनारस गायकी के मुख्य गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र के प्रसिद्ध लोकगीत दिगंबर खेलें मसाने में होरी' का कोई सानी नहीं, मगर जब उन्हीं के इस गीत को मात्र 22 साल की मैथिली ठाकुर सुरों से सजाती हैं तो महसूस होता है कि युवा पीढ़ी संगीत की गहराई को समझ रही है।

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पारुल मिश्रा

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत से अपने सुर पक्के करने वाली पारुल मिश्रा सादगी और संगीत का खूबसूरत सामंजस्य बिठाती हैं। राग काफी में उनकी बंदिश आज खेलो श्याम संग होरी' सीधे बरसाना में ले जाती है। अब उनके सुर हिंदी सिनेमा में भी सुनाई दे रहे हैं।

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त्रिणा चटर्जी

हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत विधा, रवींद्र संगीत में पारंगत त्रिणा चटर्जी का राग बसंत में गाया पिया संग खेलूं होली' उस्तादों को भी आकर्षित करता है। 15 साल की उम्र में आल इंडिया रेडियो की आवाज रहीं त्रिणा चटर्जी राग भैरवी, राग यमन, राग पहाड़ी आदि रागों के इंद्रधनुष में पारंगत हैं।

यूट्यूब फॉलोअर्स: 3.98 लाख

रेशमा और राम्या

जिस प्रकार सुर बिना ताल अधूरा है, उसी प्रकार की जुगलबंदी है इन बहनों की। जब रेशमा और राम्या राग अडाना में अपने महान संगीतकार पिता पंडित बलवंत राय भट्ट की कृति भावरंग' का होरी खेलत नंदलाल' गाती हैं तो संगीत तरंगें झंकृत हो उठती हैं।

यूट्यूब फॉलोअर्स: 2.65 लाख

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