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Rocket Boys में दिखेगी भाभा- साराभाई के संघर्ष की झलक, अंतरिक्ष में भारत को सलाम करता सिनेमा

मंगलयान की सफलता पर अक्षय कुमार विद्या बालन अभिनीत फिल्म ‘मिशन मंगल’ बनी। आगामी दिनों में विक्रम साराभाई और होमी जहांगीर भाभा पर वेब शो ‘राकेट ब्वायज’ आने वाला है। राकेश शर्मा की बायोपिक बनाने की भी तैयारी है।

By Ruchi VajpayeeEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 02:45 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 02:45 PM (IST)
Rocket Boys में दिखेगी भाभा- साराभाई के संघर्ष की झलक, अंतरिक्ष में भारत को सलाम करता सिनेमा
Image Source: Film Rocket Boys Trailer Screenshot

स्मिता श्रीवास्तव,मुंबई।भारत की तरक्की की यात्रा आज अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को स्पर्श कर रही है। अंतरिक्ष विज्ञान में भारत एक बड़ी शक्ति है तो यह डा. विक्रम साराभाई की सोच का नतीजा है। उनके प्रयासों से वर्ष 1962 में इंडियन नेशनल कमेटी फार स्पेस रिसर्च की नींव पड़ी। राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय

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रहे। समय के साथ एक तरफ इसरो ने दुनियां में झंडा गाड़ा तो सिनेजगत ने भी भारत के अंतरिक्ष अभियान को हाथों हाथ लिया। मंगलयान की सफलता पर अक्षय कुमार, विद्या बालन अभिनीत फिल्म ‘मिशन मंगल’ बनी। आगामी दिनों में विक्रम साराभाई और होमी जहांगीर भाभा पर वेब शो ‘राकेट ब्वायज’ आएगा। राकेश शर्मा की बायोपिक बनाने की भी तैयारी है। 

अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए डा. विक्रम साराभाई के प्रयासों से वर्ष 1962 में इंडियन नेशनल कमेटी फार स्पेस रिसर्च का गठन किया गया, जिसे बाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में परिवर्तित किया गया। हमारे विज्ञानी पहले राकेट को साइकिल पर लादकर प्रक्षेपण स्थल पर ले गए थे। दूसरा राकेट काफी बड़ा और भारी था, जिसे बैलगाड़ी के सहारे प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया था। चुनौतियों के बावजूद काम जारी रहा। 8 जुलाई, 1980 को पहला स्वदेशी उपग्रह एसएलवी-3 लांच किया गया। इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम थे। वहां से जारी इस सफर में इसरो ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। इनमें भारतीय मंगलयान ने इसरो को दुनिया के नक्शे पर चमका दिया। मंगल तक पहुंचने के पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया का पहला देश बना। अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पर पहुंचने में सफलता मिली थी। चंद्रयान की सफलता के बाद ये दूसरी बड़ी सफलता थी।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में उपलब्धियों की फिल्मों में झलक:

अंतरिक्ष की ओर बढ़ते भारत के कदमों की ओर भारतीय फिल्मकारों का ध्यान भी गया। मंगलयान की कामयाबी पर बनी फिल्म ‘मिशन मंगल’ (2019) में उस अभियान की सफलता के पीछे महिला विज्ञानियों की जिजीविषा और समर्पण को दर्शाया गया। विद्या बालन व अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘मिशन मंगल’ के निर्देशक जगन शक्ति कहते हैं, ‘अमेरिकी कई वर्षों से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के बारे में बता रहे हैं। ऐसे में क्यों न हम अपनी उपलब्धियों की झांकी प्रस्तुत करें। एक निजी जेट प्लेन में यात्रा के दौरान अक्षय सर को हमने कहानी सुनाई थी, जैसे ही जेट प्लेन ने लैंड किया अक्षय सर ने स्क्रिप्ट के लिए हां कर दी थी।’

सीमित संसाधन भी पर्याप्त:

इस प्रकार की फिल्मों के लिए बड़े कलाकारों का सहयोग और बजट भी आवश्यक होता है। इस संदर्भ में ‘मिशन मंगल’ के निर्माता आर बाल्की के मुताबिक, ‘हमने मनोरंजक तरीके से यह दिखाने की कोशिश की थी कि कैसे एक टीम ने कम पैसे, कम तकनीकी सुविधा और कम समय में एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की। भारत बहुत कुछ कर सकता है। फिल्म निर्माण में हम बजट कम होने का बहाना नहीं बना सकते।’ हालीवुड में साइंस फिक्शन, अंतरिक्ष आधारित अनेक फिल्में बनी हैं। उनकी तुलना में भारत में इस जानर को कम एक्सप्लोर किया गया है। इस बाबत ‘एम. ओ. एम.- मिशन ओवर मार्स’ वेब शो के निर्देशक विनय वायकुल कहते हैं, ‘अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) काफी सालों से काम कर रही है। उनकी तुलना में हमारे पास संसाधन कम हैं। इसके बावजूद हम लगातार आगे बढ़ रहे हैं। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय उपलब्धियों की कहानियों को देखकर लोग प्रेरित होते हैं। आने वाले दिनों में सफलता की ऐसी बहुत सी कहानियां सामने आएंगी। नासा से तुलना करने के बजाय हम सीमित संसाधनों के साथ कितना बेहतर कर सकते हैं, उस ओर देखने की जरूरत है।’

भारतीय विज्ञानियों के संघर्ष की कहानियां:

अगले महीने सोनी लिव पर ‘राकेटब्वायज’ वेब शो आ रहा है। परमाणु कार्यक्रम के जनक होमी जहांगीर भाभा और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डा. विक्रम साराभाई कैसे मिलकर भारत को विज्ञान के क्षेत्र में आगे ले गए, यह शो इस पर आधारित होगा। ‘पद्मावत’ और ‘संजू’ सहित कई फिल्मों में काम कर चुके जिम सरभ इस शो में होमी जहांगीर भाभा का रोल निभा रहे हैं, जबकि विक्रम साराभाई की भूमिका निभाएंगे वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ फेम इश्वाक सिंह। उसके बाद आर माधवन इसरो के विज्ञानी नंबी नारायणन पर फिल्म ‘राकेट्री- द नंबी इफेक्ट’ लेकर आ रहे हैं। उसमें उन्होंने नंबी नारायणन की भूमिका निभाई है। तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले

एयरोस्पेस इंजीनियर नंबी नारायणन इसरो के क्रायोजेनिक्स विभाग के प्रमुख थे। उन पर भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं विदेशी एजेंटों से साझा करने का आरोप लगा था। नंबी नारायणन को वर्ष 1994 में केरल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बाद में सीबीआई जांच में पूरा मामला झूठा निकला। वर्ष 1998 में बेदाग साबित होने के बाद नारायणन ने उन्हें फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए लंबी लड़ाई लड़ी।

चुनौती है वैज्ञानिक सोच को पर्दे पर दर्शाना:

‘राकेट्री’ की शुरुआत में अनंत महादेवन इससे जुड़े थे। वह कहते हैं, ‘हालीवुड फिल्म ‘अपोलो 13’,

स्टेनले क्रूबिक निर्देशित फिल्म ‘2001- ए स्पेस ओडिसी’ मेरे खयाल से सबसे बेहतरीन स्पेस फिल्म है। अब वक्त बदल चुका है। हमारी आडियंस भी ऐसी कहानियां देखना चाहती है। नंबी नारायणन की कहानी मेरे सामने आई तो मैं उनसे मिला। तीन साल उनके संपर्क में रहा। जो स्पेस टेक्नोलाजी वो लाना चाहते थे, उसके बारे में जाना। दुर्भाग्य से यह फिल्म मैंने नहीं बनाई, लेकिन उनकी जिंदगी काफी आकर्षक, थ्रिलिंग, एक्साइटिंग और प्रेरक है। विज्ञानी जिस प्रकार से सोचते हैं और आम जिंदगी में स्वयं को कंडक्ट करते हैं, वे हमसे बहुत आगे हैं। उनकी सोच और इंटेलिजेंस को सम्मान देना चाहिए। इसरो ने काफी उपलब्धियां हासिल की हैं। स्पेस साइंटिस्ट का दिमाग अलग ही चलता है। फिल्ममेकर्स जब उनके दिमाग और कार्यशैली को पूरी तरह समझ कर पर्दे पर

उतारेंगे, तभी वे कहानियां असर छोड़ पाएंगी।’ सरल प्रस्तुतिकरण महत्वपूर्ण: विज्ञान को आम लोगों तक सरल भाषा में पहुंचाने को लेकर जगन शक्ति कहते हैं, ‘सामान्य दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए विज्ञान को सरल भाषा में समझाने और उम्दा स्क्रीनप्ले बनाने की चुनौतियां होती हैं, ताकि यह लोगों को भ्रमित न करे। अब तमाम तरह की तकनीकें आ गई हैं, जिनकी मदद से विज्ञान की दुनिया को दर्शाना आसान हो गया है, पर फिल्म में हर दृश्य और संवाद प्रामाणिक होना चाहिए।’

कतार में बायोपिक:

भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की बायोपिक ‘सारे जहां से अच्छा’ बनाने की वर्ष 2018 में घोषणा की गई थी। कुछ माह पहले इस फिल्म को ठंडे बस्ते में डाले जाने की खबरें आईं। हालांकि फिल्म के

निर्माता सिद्धार्थ राय कपूर ने ऐसी किसी बात से इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म जरूर बनेगी। ज्यादातर बड़ी फिल्में काफी उतार-चढ़ाव के बाद बनती हैं। यह प्रोजेक्ट हमारे दिल के बेहद करीब है। गौरतलब है कि वर्ष 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष यात्रा करने वाले पहले भारतीय बने थे। जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा कि दुनिया कैसी दिखती है तो उन्होंने कहा था कि सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।

नई उम्मीदें जगाती हैं कहानियां: विज्ञान से जुड़ी कहानी हो, खिलाड़ी की या जांबाज सैन्य अधिकारी की प्रेरक कहानियां, वे सभी बेहतर समाज बनाने में मदद करती हैं। विनय के मुताबिक, ‘अगर सकारात्मक चीजों को हाइलाइट करेंगे तो उनसे नई उम्मीदें जगती हैं। हम देश की उपलब्धियों को सिनेमा के माध्यम से बहुत सारे लोगों तक पहुंचा सकते हैं। इनसे बच्चे प्रेरित होते हैं। 


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