'प्रियंका निक वेडिंग': Master Class से कम नहीं इस Small Town Girl का सफ़रनामा
18 जुलाई, 1982 में प्रियंका का जन्म झारखंड के जमशेदपुर शहर में हुआ था। अपनी नानी के घर। सो, ज़ाहिर है कि ननिहाल परिवार की लाड़ली बनीं।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। 30 नवंबर 2000 को मिस वर्ल्ड बनीं प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस जोधपुर में शादी के बंधन में बंध गये हैं। प्रियंका अब ग्लोबल स्टार हैं। एक काले घोड़े की तरह प्रियंका ने धीरे-धीरे एक लंबा सफर तय किया है। स्मॉल टाउन गर्ल से ग्लोबल गर्ल बन कर पूरी दुनिया पर छाने का उनका यह सफ़र आसान नहीं रहा है।
अगर उनके पूरे सफ़र पर गौर करें तो यह हर उस स्मॉल टाउन गर्ल के लिए किसी मास्टर क्लास से कम नहीं है, जो अपने दम पर कोई मुकाम हासिल करना चाहती है। बॉलीवुड से हॉलीवुड तक के सफ़र के क्रम में ही उन्हें उनके जीवन साथी मिले हैं, लेकिन इससे पहले प्रियंका ने कई शहरोंं का सफ़र तय किया है। एक नज़र उन शहरों पर, जिनका प्रियंका की ज़िंदगी में अहम भूमिका रही। इन शहरों के सफ़र में प्रियंका, जहां मिस वर्ल्ड बनीं, फिर बॉलीवुड दीवा, फिर ग्लोबल स्टार और एक निर्माता के रूप में सफल एंटरप्रेनर भी। प्रियंका की बातचीत में इन शहरों की झलक साफ़ महसूस होती है।
नानी की मोरनी- जमशेदपुर, झारखंड
18 जुलाई, 1982 में प्रियंका का जन्म झारखंड के जमशेदपुर शहर में हुआ था। अपनी नानी के घर। सो, ज़ाहिर है कि ननिहाल परिवार की लाड़ली बनीं। प्रियंका के नाना डॉ. एमके अखौड़ी पेशे से डॉक्टर थे और कांग्रेस कमेटी के प्रमुख हुआ करते थे। ख़ास बात यह थी कि प्रियंका की नानी सोशल एक्टिविस्ट भी थीं और नर्स भी रहीं। ऐसे में गौर करें तो वुमेन अचीवर्स की संगत उन्हें बचपन में ही मिल गयी थी। प्रियंका का जन्म मधु चोपड़ा और अशोक चोपड़ा की पुत्री के रूप में जमशेदपुर के टाटा नगर अस्पताल में हुआ था। मधु और अशोक दोनों ही वहां इंडियन आर्मी मेडिकल कॉरपोरेशन में डॉक्टर थे। मधु ने प्रियंका के झारखंड के दिनों के बारे में बात करते हुए बताया था कि जब प्रियंका छोटी थीं और दोनों ही हॉस्पिटल में काम करने जाते थे, तो शुरुआती दौर में कभी-कभी प्रियंका भी उनके साथ होती थीं। प्रियंका को हॉस्पिटल का वातावरण और दवाइयों की महक से परेशानी होती थी और बहुत कम उम्र की थीं, तभी प्रियंका ने एलान कर दिया था कि वह कुछ भी बन जायें, मगर डॉक्टर कभी नहीं बनेंगी। प्रियंका अपने पैरेंट्स के साथ झारखंड में लगभग सात सालों तक रहीं।
लखनऊ का ला मार्टिनरी स्कूल
झारखंड के बाद प्रियंका की ज़िंदगी के कुछ अहम साल लखनऊ में भी बीते। प्रियंका ने लखनऊ के ला मार्टिनरी स्कूल में पढ़ाई की। पढ़ने में बचपन से ही होशियार प्रियंका की टीचरों ने कुछ सालों पहले हुई बातचीत में यह स्वीकारा था कि प्रियंका की सबसे बड़ी खूबी रही कि उन्हें किसी की टांग खिंचाई करना पसंद नहीं था। उनकी स्कूल टीचर के अनुसार प्रियंका हर दिन नये एस्पिरेशन के साथ आती थीं। उन्हें हर दिन कुछ नया बनना होता था। कभी पायलट तो कभी कुछ, यहां तक कि स्कूल में मेड को काम करते देख मेड बनने की भी इच्छा ज़ाहिर कर दी थी। प्रियंका ने खुद यह बात स्वीकारी है कि वह एरोनॉटिकल इंजीनियर बनने की भी चाहत रखती थीं।
लेह की घुमक्कड़ लड़की प्रियंका
प्रियंका ने लेह और लद्दाख में एक साल गुज़ारा था। यहां बिताए दिन उनकी ज़िंदगी के बेहद ख़ास दिन हैं। वहां वो आर्मी किड्स के साथ दिन भर तफरी करती थीं। वहां एक स्तूप हुआ करता था, काफी ऊंचाई पर। प्रियंका अपने दोस्तों के साथ वहीं जाया करती थीं, जहां वह बरेली को अपना होम टाउन कहती हैं। वहीं पहाड़ों से जुड़े अपने इस कनेक्शन को भी कभी नहीं भूलतीं।
बरेली की बर्फी रही स्वादिष्ट
लखनऊ के बाद प्रियंका की ज़िंदगी का सबसे अहम समय बरेली में बीता था। या यूं कहें कि प्रियंका के लिए बरेली की बर्फी स्वादिष्ट रही थी। चूंकि विदेश से पढ़ाई कर लौटने के बाद इसी शहर में उन्होंने पहला पोर्टफोलियो बनवाया। राज्य स्तरीय पर कई ब्यूटी पीजेंट जीते और उनकी मॉडलिंग की जर्नी शुरू हुई। वर्ष 1991-1992 के बीच पिता अशोक चोपड़ा का मिलिट्री अस्पताल में तबादला हुआ था। यहां के आर्मी पब्लिक स्कूल में प्रियंका ने पढ़ाई की। वर्ष 2000 में वह मिस वर्ल्ड इसी शहर में रहते हुए चुनी गयीं।
दिल्ली, चंडीगढ़, अंबाला, पुणे से भी रहा राब्ता
पिता के लगातार तबादलों की वजह से प्रियंका ने कम उम्र में ही कई शहर देख और घूम लिये थे। प्रियंका इसे अपनी पूंजी मानती हैं कि वह एक साथ कई शहरों के कल्चरल गतिविधियों से अवगत हो पायीं। इस क्रम में वह दिल्ली, चंडीगढ़, अंबाला और पुणे में भी रहीं।
पहले भी जा चुकी हैं अमेरिका
प्रियंका उस वक्त सिर्फ 13 साल की थीं, जब उन्होंने अपने पैरेंट्स से कहा कि वह अमेरिका में पढ़ाई करने जाना चाहती हैं। उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए न्यूयॉर्क भेज दिया गया। मासाचुसेट्स के न्यूटन में। ख़ास बात यह रही कि विदेश में रहते हुए उनका झुकाव थिएटर, वेस्टर्न क्लासिकल म्यूज़िक, सिंगिंग और कथक डांस की तरफ हुआ।
मुंबई की मायानगरी में एंट्री
मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने के प्रियंका का अगला कदम बॉलीवुड था। मगर इतने बड़े खिताब के बाद शुरुआती सफ़र आसान नहीं था। महेश मांजेरकर के निर्देशन में बॉबी देओल के साथ विजय गलानी ने प्रियंका को लांच करने का एलान किया। मगर अफ़सोस फ़िल्म डिब्बा बंद हो गयी। पहलाज निहलानी ने भी प्रियंका के साथ छह दिनों तक शूट किया, लेकिन वह फ़िल्म भी आगे नहीं बढ़ी। फिर हमराज़ में प्रियंका की लांचिंग की बात हुई। मगर तब भी बात नहीं बनी। प्रियंका ने तमिल फ़िल्म से डेब्यू किया था।
लौटने के बाद 2003 में सनी देओल की फिल्म हीरो में सनी के कहने पर उन्हें सेकेंड लीड में शिफ्ट किया गया, लेकिन उन्हें अंदाज़ से बड़ी सफलता मिली। अंदाज़ के बाद लगातार प्रियंका फ़िल्मों में काम करती रहीं, लेकिन फैशन फिल्म उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इस फ़िल्म ने उन्हें अलग लीग में शामिल कर दिया। कई सशक्त किरदार निभाये। धीरे-धीरे प्रियंका ने दायरा बढ़ाया।
अमेरिका चलीं प्रियंका
बॉलीवुड में बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद प्रियंका ने अपने प्यार सिंगिंग को प्राथमिकता दी। गर्ल इन द सिटी नाम से पहले इंटरनेशनल प्रोजेक्ट का वह हिस्सा बनीं। फिर क्वांटिको जैसे लोकप्रिय अमेरिकन टीवी शो से उनकी ग्लोबल पहचान बनी। बेवॉच उनकी पहली हॉलीवुड फ़िल्म है। यहां उन्हें अपने जीवन साथी निक जोनस मिले।