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The Disciple: मराठी फिल्म ‘द डिसाइपल’ ने जीता ये अवॉर्ड, जानें क्या है फिल्म की कहानी

बीते दिनों इटली में आयोजित वेनिस फिल्म फेस्टिवल में मराठी फिल्म ‘द डिसाइपल’ को फेडरेशन इंटरनेशनल डे ला प्रेस सिनेमैटोग्राफी और सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले का अवॉर्ड मिला। इसके लेखक और निर्देशक चैतन्य तम्हाणे हैं। 19 साल बाद किसी भारतीय फिल्म ने इस फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड जीता है।

By Nazneen AhmedEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 01:44 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 01:44 PM (IST)
The Disciple: मराठी फिल्म ‘द डिसाइपल’ ने जीता ये अवॉर्ड, जानें क्या है फिल्म की कहानी
मराठी फिल्म ‘द डिसाइपल’ ने जीता ये अवॉर्ड (फोटो सोशल मीडिया)

स्मिता श्रीवास्तव, जेएनएन। बीते दिनों इटली में आयोजित वेनिस फिल्म फेस्टिवल में मराठी फिल्म ‘द डिसाइपल’ को फेडरेशन इंटरनेशनल डे ला प्रेस सिनेमैटोग्राफी और सर्वश्रेष्ठ स्क्रीनप्ले का अवॉर्ड मिला। इसके लेखक और निर्देशक चैतन्य तम्हाणे हैं। ‘द डिसाइपल’ को अवॉर्ड मिलना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि 19 साल बाद किसी भारतीय फिल्म ने इस फिल्म फेस्टिवल में अवॉर्ड जीता है।  

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इससे पहले साल 2001 में मीरा नायर की फिल्म ‘मॉनसून वेडिंग’ को इस फेस्टिवल के पुरस्कार द गोल्डन लॉयन से सम्मानित किया गया था। ‘द डिसाइपल’ के कार्यकारी निर्माता (Executive Producer) अल्फांसो कुओरोन हैं, जो हॉलीवुड फिल्म ‘ग्रैविटी और रोमा’ के निर्देशक हैं। फिल्म की कहानी युवा गायक की है जिसे संगीत पिता से विरासत में मिला है। चैतन्य ने फिल्म से जुड़े मुद्दों पर की बात।

सवाल: वैश्विक स्तर पर सराहना मिलने से स्वतंत्र सिनेमा की राहें कितनी आसान हो गई हैं?

जवाब : मुझे लगता है कि यह भारतीय सिनेमा के लिए ऐतिहासिक पल है। इसे दो अवॉर्ड मिलना बहुत अच्छा संकेत है। लोग इस बात को जानें कि इस देश में अलग-अलग सिनेमा बन रहा है।

सवाल : आप इस फेस्टिवल में हिस्सा लेने गए थे?

जवाब : जब तक मुंबई से फ्लाइट टेकऑफ नहीं हुई यकीन नहीं हो रहा था कि वहां पहुंच पाएंगे। हमने फिल्म का प्रीमियर अटेंड किया।

सवाल: वहां सिनेमाघर खोलने को लेकर किस तरह सावधानी बरती गई?

जवाब : सबने मास्क पहन रखे थे। थर्मल स्क्रीनिंग हो रही थी और लोग एक सीट छोड़कर बैठ रहे थे।

सवाल : ‘द डिसाइपल’ का आइडिया कैसे आया?

जवाब : हमें शास्त्रीय संगीतकारों के किस्से सुनने को मिले। इन किस्सों ने काफी आर्किषत किया।

सवाल : आपके डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफर माइकल सोबोकिंसकी पोलैंड से हैं...

जवाब : मेरे गुरु अल्फांसो कुओरोन ने उनका नाम सुझाया। माइकल मुंबई में काफी विज्ञापनों की शूटिंग कर चुके थे और यहां के माहौल से अच्छी तरह परिचित थे।

सवाल : अल्फांसो आपके गुरु कैसे बने?

जवाब: रोलेक्स का मेंटोर प्रोटेजी आट्र्स इनिशिएटिव प्रोग्राम होता है। यह प्रोग्राम हर दो साल में आयोजित होता है। इसमें मास्टर अपने शिष्य खुद चुनता है। मैं इस कार्यक्रम से परिचित था। अल्फांसो उस साल के गुरु थे। मैं उनकी फिल्म ‘रोमा’ के सेट पर गया और उनकी कार्यशैली से परिचित हुआ। उन्होंने ‘द डिसाइपल’ की स्क्रिप्ट पढ़ी। उन्हेंं यह इतनी पसंद आई कि उन्होंने कहा कि तुम्हें सपोर्ट करने के लिए बतौर एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर जुड़ना चाहूंगा। प्रोग्राम तो दो साल पहले खत्म हो गया, लेकिन हमारी दोस्ती कायम रही।


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