Dhamaka की शूटिंग के बारे में ये बात किसी को नहीं बताना चाहते थे निर्देशक राम माधवानी, जानें क्यों?
फिल्म ‘नीरजा’ की सफलता के बाद निर्देशक राम माधवानी ने सुष्मिता सेन अभिनीत वेब सीरीज ‘आर्या’ का निर्देशन किया। अब वो लेकर आ रहे हैं कार्तिक आर्यन अभिनीत फिल्म ‘धमाका’ जो कि 19 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो रही है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। फिल्म ‘नीरजा’ की सफलता के बाद निर्देशक राम माधवानी ने सुष्मिता सेन अभिनीत वेब सीरीज ‘आर्या’ का निर्देशन किया। अब वो लेकर आ रहे हैं कार्तिक आर्यन अभिनीत फिल्म ‘धमाका’ जो कि 19 नवंबर को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो रही है। फिल्म, करियर और निर्देशन की तेज गति पर राम माधवानी से स्मिता श्रीवास्तव की बातचीत के अंश...
सवाल : प्रोजेक्ट लगातार सफल होने के बाद ‘धमाका’ की स्क्रिप्ट चुनते समय कितना दबाव था?
जवाब : सफलता का डर से कोई लेना-देना नहीं होता। हर बार कुछ नया करते वक्त डर तो लगता ही है। कार्तिक और मैं कई फिल्मों पर बात कर रहे थे। इस बीच एहसास हुआ कि हमारी सोच काफी समान है। उसके बाद हमने कुछ आइडियाज पर बात की, जिनमें से एक यह भी था।
सवाल: क्या आपको जमीन से जुड़े रहने में विज्ञापन के अनुभवों से मदद मिली?
जवाब : मुझे लगता है कि हम सभी अच्छा काम करने का प्रयास कर रहे हैं। नैतिक मूल्यों को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें कई तरह के बलिदान देने होते हैं। मैंने अपने अनुभवों से यही सीखा और अब भी सीख रहा हूं।
सवाल : इससे पहले आपने नीरजा भी 12 दिनों में खत्म की थी, अब यह फिल्म 10 दिन में पूरी की...
जवाब : ‘नीरजा’ में सिर्फ प्लेन सीक्वेंस 12 दिनों में शूट किया था, दूसरे सीन शूट करने में 16 दिन और लगे थे। कुल मिलाकर ‘नीरजा’ 28 दिनों में तैयार हुई थी। मैं लोगों को यह नहीं बताना चाहता था कि हमने ‘धमाका’ 10 दिनों में बनाई, क्योंकि फिल्म एक दिन में बने या 11 दिनों में इससे फर्क नहीं पड़ता है। इसका कहानी लेखन, पोस्ट प्रोडक्शन का काम लॉकडाउन के दौरान किया था, जिसमें मेरी पत्नी और फिल्म की सह निर्माता अमिता का भी खास योगदान रहा।
सवाल : क्या तकनीक की वजह से फिल्ममेकिंग आसान हो गई है?
जवाब : नहीं, फिल्ममेकिंग आसान चीज नहीं है। तकनीक जिंदगी को आसान नहीं बनाती, लोग बनाते हैं।
सवाल : ‘धमाका’ कोरियन फिल्म ‘द टेरर लाइफ’ की रीमेक है। मूल और रीमेक फिल्म की तुलना को बतौर निर्देशक कैसे देखते हैं?
जवाब : मेरे लिए यह चीजें मायने नहीं रखतीं। सबसे ज्यादा जो चीज मायने रखती है वह आपके दिल की आवाज है कि क्या आप इसे सही तरीके से प्रस्तुत कर पा रहे हैं। यह भी मायने रखता है कि आप जो प्रस्तुत कर रहे हैं, वह इस योग्य हो। क्योंकि मैं अपना और दूसरों का वक्त नहीं बर्बाद करना चाहता।
सवाल : आपके जीवन का सबसे बड़ा ‘धमाका’ क्या रहा?
जवाब : मैंने इस साल कोविड महामारी में मां को खो दिया। उनके जन्मदिन के मौके पर इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ। हालांकि, यह किसी योजना के तहत नहीं हुआ, बस अपने आप हो गया। अमिता और मेरे, हम दोनों के लिए यह बहुत ही इमोशनल पल है।