फ़िल्मकार अर्जुन हिंगोरानी के निधन से धर्मेंद्र सदमे में, ऋषि कपूर ने भी जताया अफ़सोस
डेब्यू फ़िल्म से धर्मेंद्र के साथ उनका जो रिश्ता जुड़ा, वो बाद में भी कायम रहा और धर्मेंद्र के साथ उन्होंने कई फ़िल्में बनायीं।
मुंबई। हिंदी सिनेमा को धर्मेंद्र जैसा वेटरन एक्टर देने वाले निर्माता-निर्देशक अर्जुन हिंगोरानी हमारे बीच नहीं रहे। 92 साल के हिंगोरानी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के वृंदावन में अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार भी वहीं किया गया। अर्जुन हिंगोरानी के निधन से फ़िल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर छा गयी है। ख़ुद धर्मेंद्र ने मृत्यु पर अफ़सोस ज़ाहिर किया है।
अर्जुन हिंगोरानी बॉलीवुड के जाने-माने फ़िल्मकार थे। कई दशकों तक उन्होंने हिंदी सिनेमा को बेहतरीन और कामयाब फ़िल्में दीं। 1960 में हिंगोरानी ने धर्मेंद्र को दिल भी तेरा हम भी तेरे फ़िल्म से लांच किया था। तब से उनके साथ धर्मेंद्र का रिश्ता बेहद क़रीबी रहा। अर्जुन हिंगोरानी के निधन से धर्मेंद्र को गहरा सदमा पहुंचा है। उन्होंने उनकी एक तस्वीर शेयर करके लिखा है- ''अर्जुन हिंगोरानी, वो शख्स जिसने मुंबई में इस अकेले व्यक्ति के कंधे पर अपना हाथ रखा, हमें हमेशा के लिए छोड़कर चला गया है। मैं बहुत दुखी हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।'' अर्जुन हिंगोरानी के निधन की वजह अभी साफ़ नहीं हो सकी है।
Arjun Hingorani, the man who put his hand around the shoulder of this loner in Mumbai, has left us forever ... I am extremely sad! May his soul rest in peace!! pic.twitter.com/KYnOTHZHBK— Dharmendra Deol (@aapkadharam) May 6, 2018
साठ से नब्बे के दशक के बीच अर्जुन हिंगोरानी ने कई फ़िल्मों का निर्माण और निर्देशन किया था। डेब्यू फ़िल्म से धर्मेंद्र के साथ उनका जो रिश्ता जुड़ा, वो बाद में भी कायम रहा और धर्मेंद्र के साथ उन्होंने कई फ़िल्में बनायीं। सिंध के जैकोबाबाद में जन्मे हिंगोरानी विभाजन के बाद 1947 में मुंबई आये थे। उन्होंने क़ानून की पढ़ाई की थी, मगर फ़िल्मों के जुनून ने उन्हें निर्देशक बना दिया। पहली सिंधी फ़िल्म 'अब्बाना' बनाने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है, जो बॉक्स ऑफ़िस पर कामयाब रही थी। उन्होंने जिन फ़िल्मों का निर्माण-निर्देशन किया, उनमें 'कब क्यों और कहां', 'कहानी क़िस्मत की', 'क़ातिलों के क़ातिल', 'कुदरत का करिश्मा', 'खेल खिलाड़ी का' और 'सल्तनत' जैसी फ़िल्में उल्लेखनीय हैं। इन सभी में धर्मेंद्र ने बतौर नायक काम किया।
ऋषि कपूर ने भी दिग्गज फ़िल्मकार को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है- जब कभी शॉट तैयार हो जाता था, वो कहते थे- ''ऋषि साहब को बुलाएं और धर्मेंद्र साहब के लिए चिल्लाकर बोलते थे- धर्मेन को बुलाओ, क्योंकि उन्होंने ही उन्हें फ़िल्मों में ब्रेक दिया था। धरम जी उनके सम्मान के लिए हमेशा उनका बात मानते थे। हम तीनों ने क़ातिलों के क़ातिल में काम किया था, जो सुपर हिट रही। अलविदा अर्जुन जी।''
R I P. Whenever the shot was ready,this man used to say “Rishi sahab ko bulaye”and shout “Dharmen ko bulao”for Dharmendra sahab - coz he gave him a break in films. Dharam ji out of sheer respect obeyed him. We all three did “Kaitlon Ke Kaatil” a super hit film. Adios Arjun ji! pic.twitter.com/O4vr5R7Are— Rishi Kapoor (@chintskap) May 6, 2018
हिंगोरानी अपनी फ़िल्मों के शीर्षकों में 3 क (K) रखने के लिए जाने जाते थे। '3 क' से उनका लगाव इतना ज़बर्दस्त था कि 'सल्तनत' के प्रमोशन के लिए उन्होंने इसके साथ 'कारनामे कमाल के...' टैगलाइन जोड़ दी। अर्जुन हिंगोरानी ने फ़िल्मों में एक्टिंग भी की। 'कहानी क़िस्मत की' में उनका तकियाकलाम क्या समझे... नहीं समझे? काफ़ी मशहूर हुआ था। हिंगोरानी ने हाउ टू बी हैप्पी एंड रियलाइज़ योर ड्रीम्स नाम से एक क़िताब भी लिखी थी।