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कोरियोग्राफर Karishma Chavan ने किया खुलासा, वजन ज्यादा होने पर लोग चिढ़ाते हैं, मजाक उड़ाते हैं, एहसास कराते हैं कि ...

कोरियोग्राफर करिश्मा चह्वाण ने सोनम कपूर की खूबसूरत फिल्म से अपनी इंडिपेंडेंट फिल्म कोरियोग्राफी की शुरुआत की। तुम्हारी सुलु वीरे दी वेडिंग में कोरियोग्राफी की और किक रेस 2 बैंग बैंग जैसी फिल्मों को असिस्ट किया। आज उन्‍होंने बॉलीवुड में अपना नाम बना लिया है।

By Priti KushwahaEdited By: Published: Tue, 02 Feb 2021 09:58 AM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2021 03:07 PM (IST)
कोरियोग्राफर Karishma Chavan ने किया खुलासा, वजन ज्यादा होने पर लोग चिढ़ाते हैं, मजाक उड़ाते हैं, एहसास कराते हैं कि ...
Choreographer Karishma Chavan Open Up About His Struggle And Weight Loss Journey

यशा माथुर, नई दिल्ली। वजन ज्यादा हो तो क्या महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं की जा सकतीं? सपने पूरे नहीं किए जा सकते? सवाल उठाती हैं कोरियोग्राफर करिश्मा चह्वाण। ज्यादा वजन के कारण कैसी मुश्किलें झेलीं उन्होंने, जानिए कहानी, उन्हीं की जुबानी...

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वजन कम करना ही था 

जब पंद्रह साल की थी तो मैंने श्यामक डावर की क्लासेज ज्वाइन की थी तभी मुझे लग गया था कि कोरियोग्राफर बनना है। मैंने उनसे ट्रेनिंग जरूर ली लेकिन उनके ऑडीशंस में मुझे कभी भी चुना नहीं गया क्योंकि मेरा वजन ज्यादा था और मैं उनके बॉडी टाइप में फिट नहीं होती थी। मैंने तीन बार ऑडीशंस दिए लेकिन मुझे स्टेज पर मौका नहीं मिला। मैंने समझ लिया कि अगर मुझे इंडस्ट्री में काम करना है या डांसर बनना है या कोरियोग्राफी के फील्ड में जाना है तो अपना वजन कम करना पड़ेगा। 

साढ़े चार साल में किए चौदह रियलिटी शोज 

18 साल की होते-होते मैंने अपना वजन 25 किलो घटा लिया और इंडस्ट्री में आने का इरादा कर लिया। इंडस्ट्री में मेरी शुरुआत बैकअप डांसर के रूप में हुई। मैंने शूट, इवेंट्स और अवार्ड नाइट्स में कोरियोग्राफर्स के साथ फ्रीलांस के तौर पर काम किया। लेकिन जल्दी ही कोरियोग्राफर्स ने मेरी प्रतिभा को देख कर मुझे असिस्टेंट कोरियोग्राफर बना लिया। 21 साल की उम्र में मैंने नच बलिए, झलक दिखला जा, जरा नच के दिखा जैसे डांस रियलिटी शोज में कोरियोग्राफर के रूप में काम किया। मैंने साढ़े चार साल में चौदह रियलिटी शोज किए। 

सोनम कपूर ने दिया पहला ब्रेक 

फिर मुझे लगा कि मुझे तो फिल्मों में जाना है। उसी समय मुझे जाने-माने कोरियोग्राफर अहमद खान के साथ असिस्टेंट के रूप में काम करने को मिला। 'किक', 'रेस 2',  'बैंग बैंग' जैसी फिल्मों में साढ़े पांच साल तक मैंने उनके साथ सहायक के तौर पर काम किया। फिर रेमो सर को असिस्ट किया। उनकी फिल्म 'एबीसीडी' में एक्टर के तौर पर भी काम किया। उसके बाद स्वतंत्र रूप से कोरियोग्राफी करना चाहती थी। अट्ठाइस साल की उम्र में मुझे सोनम कपूर ने पहला ब्रेक दिया। उनकी फिल्म 'खूबसूरत' में काम किया। तबसे फिल्मों में कोरियोग्राफर बन गई हूं। पिछले साल मैं डांस प्लस 5 में जज के तौर पर लोगों के सामने आई। यह मेरी कोरियोग्राफी की यात्रा है। 

वजन ज्यादा हो तो मजाक उड़ाते हैं लोग 

हमारे यहां नृत्य को लेकर आज भी लोगों की धारणाएं बहुत संकुचित होती हैं कि हम पतले हैं, कॉस्ट्यूम में फिट होते हैं तो ही डांसर हैं, भले ही डांस अच्छा न करें। अगर देखने में अच्छे लगते हैं तो इंडस्ट्री बहुत आसानी से स्वीकार कर लेती है लेकिन अगर आपका वजन ज्यादा होता है तो उसे अनदेखा नहीं कर पाते। लोग चिढ़ाते हैं, मजाक उड़ाते हैं। एहसास कराते हैं कि तुम्हारा वजन ज्यादा है। लेकिन यह सुपरफिशियल इंडस्ट्री है। अगर मुझे कुछ बनना था तो इसके योग्य बनना जरूरी था। लेकिन जब मैं असिस्टेंट कोरियोग्राफर बन गई और डांसर के तौर पर काम नहीं करती थी, तो इतनी जरूरत नहीं पड़ी कि अपने वजन के प्रति शर्मिंदगी महसूस करूं या पतले होने के लिए कड़ी डाइटिंग करूं। 

यह मेरा बॉडी टाइप है

दरअसल हमारी जीवनशैली इतनी अनियमित है कि हम खुद का ध्यान नहीं रख पाते। दिन-रात काम करते हैं। फिर मेरे शरीर का वजन तो बहुत जल्दी बढ़ता है। बचपन में स्किन ट्रीटमेंट के दौरान मुझे ऐसे स्टेरॉइड्स दिए गए कि मेरा वजन बढऩा शुरू हो गया। यह तो पूरे जीवन रहेगा, मैं कुछ भी नहीं कर सकती। यह मेरा बॉडी टाइप है। 

मजबूती से बढ़ी जिंदगी में आगे 

मुझे यह बात गलत साबित करनी थी कि मेरा वजन ज्यादा है तो मैं डांसर या कोरियोग्राफर नहीं बन सकती, इंडस्ट्री में काम नहीं कर सकती। मेरा दिमाग ज्यादा था, मैं इंटेलिजेंट थी और बहुत महत्वाकांक्षी थी। वजन ज्यादा होना मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता। इसके कारण मैं अपनी महत्वाकांक्षाएं नहीं छोड़ सकती थी। जितनी बार लोगों ने बोला तुम नहीं कर पाओगी, उतनी ही मजबूती से मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ी। 

सकारात्मक रूप में लेती हूं आलोचना को 

थोड़ी निराशा जरूर हुई लेकिन मैं हमेशा पानी के गिलास को आधा भरा हुआ देखती हूं। मैं हमेशा पॉजिटिव देखती हूं। अपनी आलोचना को सकारात्मक लेती हूं। मैंने सोचा थोड़ा वक्त दो, मैं खुद को साबित कर दूंगी। इस तरह से मैंने अपना करियर बनाया और थोड़ा मुश्किल था लेकिन मैंने किया। आज मुझे इंडस्ट्री में सोलह साल हो गए है काम करते। 

कोरियोग्राफर नाचते नहीं रहते 

लोगों को गलतफहमी होती है कि कोरियोग्राफर नाचते रहते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता। कोरियोग्राफर को कॉस्ट्यूम्स, सेट डायरेक्शन, कैमरा, लाइटिंग, यह सब भी कोरियोग्राफी में आता है। यह दिमाग का काम है, बदन का काम नहीं है। मुझे लगता है कि कोरियोग्राफर्स का वजन इसलिए बढ़ जाता है कि उनका नृत्य करना कम हो जाता है। उनके शरीर की एक्टिविटी कम हो जाती है। जब शरीर को बारह घंटे नाच की आदत होती हैं और डांस करने का काम एक या दो घंटे रह जाता है तो उससे फर्क पड़ जाता है। हमारी जीवन शैली भी हमें परेशान कर देती है। हम दिन-रात नहीं देखते, काम में मगन हो जाते हैं और खुद को अनदेखा कर देते हैं। तो लोग जो सोचते हैं कि कोरियोग्राफर्स इतना नाचते हैं तो उनका वजन क्यों बढ़ा होता है, वह गलत है। हम इतना नाचते नहीं हैं जितना डांसर्स नाचते हैं। मैं बहुत ध्यान से खाती हूं फिर भी वजन बढ़ता है क्योंकि मेरी एक्टिविटी अब कम हो गई है। 

शॉर्ट फिल्में बनाऊंगी 

मैं शॉर्ट फिल्म भी बनाने का विचार कर रही हूं। मुझे डायरेक्शन में बहुत रुचि है। अब म्यूजिक वीडियो बनाना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है। वह तो करना है लेकिन मुझे वह कहानी कहनी है जो औरत की सच्चाई बताती है। हमारे देश की महिलाएं जो अपना नाम बना रही हैं उनकी कहानी मैं कहना चाहती हूं। मैं महिला प्रधान फिल्म ही बनाऊंगी। 

'ब्रो' कोड से बॉन्डिंग 

इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि फिल्म इंडस्ट्री पुरुष प्रधान है। यहां लड़की के लिए आगे आना पुरुषों के मुकाबले तीन गुना मुश्किल है। पहले तो उनके कंफर्ट जोन यानी पुरुषों के बीच बॉन्डिंग को तोडऩा, फिर खुद की प्रतिभा साबित करना, उनको औरत के साथ काम करने के लिए मानसिक रूप से उन्हें तैयार कर पाना मुश्किल है। पुरुष 'ब्रो' का कोड लगाकर आपस में आसानी से बॉन्डिंग बना लेते हैं। जब महिलाओं की बात आती है तो वे ऐसा नहीं कर पाती। इंडस्ट्री में और अधिक महिलाओं को आना चाहिए और दूसरी महिलाओं को आगे बढ़ाने में सहयोग करना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि हमारी कोरियोग्राफर्स की यह पीढ़ी किसी लड़के से कम है। लोग हम पर भरोसा रखें तो हम भी चमक सकते हैं। बहुत मुश्किल है लेकिन हम कर सकते हैं। हम संघर्ष के लिए तैयार हैं। 

प्लस साइज ब्रांड लाना है 

मैं प्लस साइज ब्रांड ही लाना चाहती हूं। मेरा प्लस साइज खरीदारी का अनुभव बहुत ही घटिया रहा है। मुझे बहुत खराब लगाता है कि मैं अपनी फिटिंग और अपनी पसंद के कपड़े नहीं खरीद सकती। इस निराशा से जूझते हुए मैंने तीन साल सोचा और अब मुझे मौका मिला है कि मैं अपने देश की उन लड़कियों को फैशन दे सकूं जिनका वजन कुछ ज्यादा है ताकि वे अपने बारे में अच्छा महसूस कर सकें। यहां हम जो प्लस साइज देखते हैं तो लगता है कि बटाटे की गोली पर कुछ डेकोरेशन कर कपड़ा बना दिया है। मैं ट्रेंडी, फैशनेबल और कंफटेंबल कपड़े बनाऊंगी। 

बेटियों को दें समान अवसर 

युवा लड़कियों को कहूंगी कि आप जिस भी फील्ड में जाएं परफेक्ट बनें। अगर आप कोरियोग्राफर बनना चाहती हैं तो बेस्ट कोरियोग्राफर बनें। जैसे मेरे माता-पिता ने कभी लड़के और लड़की में भेद नहीं किया वैसे ही माता-पिता अपनी बेटियों को बराबर के अवसर दें। मुझे आधी लड़ाई लडऩी ही नहीं पड़ी क्योंकि पैरेंट्स का सपोर्ट था मेरे पास। अगर घर से ही शिक्षा और समान अवसर मिलें तो लड़कियां कमाल कर सकती हैं। सब कुछ संभव है अगर मन लगाकर मेहनत करें, धैर्य रखें तो आपको सब कुछ मिलेगा। 


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