गोल्ड जैसी फिल्म का भारत में ही बनना जरूरी था - अक्षय कुमार
अक्षय कहते हैं कि सिर्फ हिस्ट्री बुक में लिखने की बजाय अगर आप इसको फिल्म बना दें तो इससे लोगों के ज़हन में वह बात ज्यादा दिनों तक ज़िंदा रहती है.
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। अक्षय कुमार की फिल्म गोल्ड 15 अगस्त को रिलीज़ होने जा रही है. अक्षय एक के बाद एक ऐसी फिल्मों में काम कर रहे हैं, जो देश के सम्मान को दर्शाता हो.
ऐसे में जब अक्षय से पूछा गया कि लोग उन्हें आज का भारत कुमार कहते हैं तो अक्षय कहते हैं कि मैं इस तरह की किसी उपाधि पर विश्वास नहीं करता. अक्षय का कहना है कि गोल्ड की कहानी सच्ची कहानी है. साल 1948 में जब ओलंपिक हुआ था उस वक्त ये सारी कहानी अंदर ही अंदर रह गयी थी. चूंकि उस वक्त देश आजाद हुआ था तो काफी कुछ देश में हो रहा था. 1947 में आजादी मिली थी. इसका महत्व लोगों ने सुना था. मुझे भी इस बारे में नहीं पता था. कहानी 1936 से शुरू होती है, जब हम ब्रिटिश इंडिया के वक्त खेल रहे थे. जर्मनी के साथ फाइनल खेल रहे थे और हिटलर वह मैच देखने आये थे. तभी उन्होंने मैच देखा तो ब्रिटिश इंडिया जीत रहा था. वह दुखी हो गये थे और वहां से बाहर निकल गये थे. उन्होंने उस वक्त इंडिया के प्लेयर को कहा था, कि हमारी आर्मी को ज्वाइन कर लो.
अक्षय कहते हैं कि इसमें काफी दिलचस्प कहानी है लेकिन उस वक्त ब्रिटिश इंडिया का फ्लैग लहराया था और हमें उन्हें सैल्यूट करना पड़ा था.1947 में मिली आज़ादी के बाद 1948 में ओलंपिक इंग्लैंड में हो रहा था तो वहां हम जीत गये थे. तो 200 साल के बाद हम जीते थे. यह बहुत बड़ी जीत थी और मुझे लगा कि यह कहानी टेक्सट बुक में रह गयी. इसलिए मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि मैं इस कहानी का हिस्सा बन पाया. ठीक वैसे ही एयरलिफ्ट बनायी थी. उस वक्त भी लोगों को नहीं पता था कि भारतीय मूल के आदमी ने 1 लाख 70 हजार लोगों बचाया था . इसका गिनीस बुक में रिकॉर्ड दर्ज़ है। अक्षय कहते हैं कि सिर्फ हिस्ट्री बुक में लिखने की बजाय अगर आप इसको फिल्म बना दें तो इससे लोगों के ज़हन में वह बात ज्यादा दिनों तक ज़िंदा रहती है. बता दें कि गोल्ड फिल्म का निर्देशन रीमा कागती ने किया है. इसी फिल्म से टीवी की स्टार मौनी रॉय हिंदी फिल्मों में एंट्री कर रही हैं.
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