क्यों ''एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा'' को लेकर विधु चोपड़ा ने आर डी बर्मन को मुख बनाया था
फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा 1 फरवरी को रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म में अनिल कपूर और जूही चावला की अहम भूमिका है।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। विधु विनोद चोपड़ा द्वारा बनाई गई फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जल्द जी रिलीज होने वाली है। इस फिल्म का शीर्षक विधु की ही फिल्म 1942 लव स्टोरी का गाने का हिस्सा है। विधु विनोद से जब जागरण डॉट कॉम ने यह सवाल पूछा कि फिल्म में जब उन्होंने यह गाना रखा था तो उस दौर में आरडी बर्मन के म्यूजिकल दौर में उदासी चल रही थी। उन्हें फिल्में न के बराबर मिल रही थी। उस वक़्त यह निर्णय क्यों लिया कि फिल्म में आरडी को ही शामिल किया गया था।
जागरण डॉट कॉम के इस सवाल पर इस पर विधु ने यह राज खोला कि ओरिजिनल एक लड़की के ट्रैक की मेकिंग में उन्होंने आरडी बर्मन से एक झूठ बोला था। उन्होंने पूरी कहानी बताते हुए कहा कि, ' फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा गाने को जब हम दोबारा रीक्रिएट कर रहे थे, तब फिल्म के संगीत निर्देशक रोचक कोहली ने करीब 25 बार गाना बनाया, तब जाकर हम इसे नया रंग दे पाए। जब 27 साल पहले हमारी फिल्म 1942 ए लव स्टोरी के लिए इस गाने को बनाया जा रहा था, तब इस गाने को जावेद अख्तर ने लिखा था और आरडी बर्मन ने संगीत दिया था। जावेद ने इस गाने की सिर्फ एक लाइन लिखी थी और वह लाइन थी एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा। आगे वे बताते हैं कि, दरअसल यह गाना हमारी फिल्म में था ही नहीं। जावेद मुझसे बार-बार कहते कि वह गाना लिखेंगे, मैं उन्हें कहता कि आप लिख लो, लेकिन फिल्म में गाना नहीं रहेगा। जावेद इसी चक्कर उसी दिन फिल्म के संगीत और गीत की बातचीत के लिए आरडी बर्मन और मुझसे मिलने आ आ रहे थे। उन्होंने कोई गाना नहीं लिखा था, ऐसे में थोड़ा घबराए हुए भी थे। उन्होंने रास्ते में ही गाड़ी में बैठे-बैठे एक लाइन लिखी, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा।'
आगे बताया कि, 'जावेद आए तो मैंने उनसे पूछा, बताइए क्या लाइन है... जावेद बोले, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा... मैंने कहा यह तो ठीक है, लेकिन आगे क्या है? उनके पास कुछ नहीं था। उन्होंने वहीं तुरंत कहा जैसे खिलता गुलाब, जैसे शायर का ख्वाब, जैसे उजली किरण, जैसे वन में हिरण... वह बस ऐसे ही बोलते जा रहे थे... ऐसे में आरडी ने अपना हारमोनियम लिया और उन्हीं लाइनों को गाते हुए धुन के साथ बजाना शुरू कर दिया। इस गाने को बनाने में मात्र 5 से 6 मिनट लगे थे। इस गाने को नया रूप देते समय मैंने रोचक को कहा हम सिर्फ उस गाने की पहली लाइन को ले सकते हैं, गाने को हाथ नहीं लगा सकते हैं।'
वे आगे बताते हैं कि, एक महान आर्टिस्ट के अंदर जब असुरक्षा की भावना आ जाती है, तब वह खुद के काम में गलतियां करने लगता है। यह वह समय था, जब आर डी बर्मन के पास कोई काम नहीं था, उन्हें कोई छू नहीं रहा था। आर डी ने मुझसे कहा कि गाना तो बन गया, लेकिन आपने मुझे मेरे मन का संगीत डालने नहीं दिया, मैं उसमें वायलन और कोरस डालूंगा। मैं उनकी बात सुनकर घबरा गया था, मैंने उन्हें झूठ बोला कि मैं शूटिंग के दौरान कुछ चीजों का म्यूजिक डालूंगा, जैसे सायकल की घंटी, जो अनिल चलाएगा। ऐसा बोलकर मैंने उनको फूल बनाया था, ताकि वह संगीत में कोई फेर-बदल न करें। इस कहानी को बताने का मतलब है कि एक महान आर्टिस्ट को कभी भी असुरक्षित नहीं महसूस करना चाहिए।'
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