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Zoya Akhtar Boycotted Awards Show: जोया अख्तर पर 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' के लिए अवार्ड नहीं मिलने पर शो का बहिष्कार करने का लगा आरोप

Zoya Akhtar Boycotted Awards Show शेखर गुप्ता ने खुलासा किया कि फिल्म के निर्माता ने भी पुरस्कार लेने की हिम्मत नहीं दिखाई क्योंकि उन्हें उन सितारों के बहिष्कार करने की आशंका थी।

By Rupesh KumarEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 02:09 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 07:06 PM (IST)
Zoya Akhtar Boycotted Awards Show: जोया अख्तर पर 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' के लिए अवार्ड नहीं मिलने पर शो का बहिष्कार करने का लगा आरोप
Zoya Akhtar Boycotted Awards Show: जोया अख्तर पर 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' के लिए अवार्ड नहीं मिलने पर शो का बहिष्कार करने का लगा आरोप

नई दिल्ली, जेएनएनl पत्रकार शेखर गुप्ता ने बॉलीवुड को लेकर कई खुलासे किए हैl उन्होंने फिल्म निर्देशक और अभिनेता फरहान अख्तर की बहन ज़ोया अख्तर पर फिल्म 'ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा' के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार नहीं जीतने के लिए अवार्ड शो का बहिष्कार करने का आरोप लगाया है। पत्रकार शेखर गुप्ता की बॉलीवुड पुरस्कारों को लेकर उजागर किए सच ने इंटरनेट पर तूफान मचा दिया है। अपने लेखन में शेखर ने खुले तौर पर स्क्रीन अवार्ड्स के दौरान अपने कार्यकाल के दौरान नखरे दिखाने वाले कई बॉलीवुड हस्तियों का नाम लिया और उन्हें शर्मिंदा किया।

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शेखर ने कई उदाहरणों को याद किया, जिनमें से एक जोया अख्तर और उनकी फिल्म जिंदगी ना मिलेगी दोबारा के बारे में थी। उनके अनुसार ज़ोया को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार नहीं जीतने पर इतनी निराशा हुई कि उन्होंने फिल्म की पूरी टीम के साथ मिलकर इस शो का बहिष्कार करने का फैसला किया और सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के सम्मान को लेने से भी इनकार कर दिया।

 

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उन्होंने लिखा, 'साल 2012 मेरा आखिरी स्क्रीन अवार्ड्स का आयोजन था। विद्या बालन-स्टारर डर्टी पिक्चर और मल्टी-स्टारर ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा (ZNMD) को 'सबसे अच्छी फिल्म' चुना गया था। अब तक तो सब अच्छा था। लेकिन फिर जूरी ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए मिलन लुथरिया (डर्टी पिक्चर) को चुना, न कि जोया अख्तर (ZNMD) को। पुरस्कारों के दिन, प्रियंका (स्क्रीन के पूर्व संपादक) ने दहशत में कहा। ZNMD के कलाकारों और निर्देशक ने फिल्म का बहिष्कार किया था। अब यदि 'सर्वश्रेष्ठ फिल्म' को स्वीकार करने के लिए मंच पर कोई दिखाई नहीं देता हैं, तो आप आयोजन कैसे चला सकते हैं। हमने फिर से कूटनीति शुरू की। लेकिन यह काम नहीं कर रही थी। न केवल फिल्म ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा से कोई आया बल्कि वे अपने सभी दोस्तों को भी नहीं आने के लिए मना रहे थे।'

 

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वे आगे कहते है, 'उस शाम मैं काफी हताश हो गया था मैंने जावेद अख्तर को भी फोन कर उनसे विनती की। मुझे फरहान का फोन आया। वह चुप था, उनका मुंह फुला हुआ था। उसने कहा कि वह सम्मान में आया है। वह मंच पर पुरस्कार स्वीकार नहीं करेगा और वह कुछ ही मिनटों में चला गया।' अंत में शेखर ने खुलासा किया कि फिल्म के निर्माता ने भी पुरस्कार लेने की हिम्मत नहीं दिखाई क्योंकि उन्हें उन सितारों के बहिष्कार करने की आशंका थी। वे कहते है, 'मेरे सामने की पंक्ति में मैंने कृषिका लुल्ला को देखा, जिनकी कंपनी इरोस ने फिल्म को दुनिया भर में रिलीज करने के अधिकार लिए थे, उनसे अनुरोध किया कि वे फिल्म का पुरस्कार लेने और स्वीकार करने के लिए आगे आएं। वैसे ही उन्होंने यह सुना वह जम गईं। शेखर ने निष्कर्ष निकाला कि कई सितारों और एक बड़े समूह के सभी लोगों को एक साथ निराश करने का जोखिम उठाना पड़ता, इसलिए वह नहीं आई और आखिरकार हमें अपने स्टाफ में से एक को फिल्म की ओर से पुरस्कार लेने के लिए जाना पड़ा।'


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