बड़े पर्दे पर फिर दिखेंगी उर्मिला
नब्बे के दशक में 'रंगीला', 'जुदाई', 'सत्या' और 'एक हसीना थी' में अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत चुकीं उर्मिला मातोंडकर पिछले एक अर्से से कैमरे से दूर रही हैं। अब वे बड़े पर्दे पर फिर से दिखेंगी। इनसे अलग निर्देशक निखिल आडवाणी की पिछले दिनों रिलीज हुई एनिमेशन फिल्म 'ि
नब्बे के दशक में 'रंगीला', 'जुदाई', 'सत्या' और 'एक हसीना थी' में अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत चुकीं उर्मिला मातोंडकर पिछले एक अर्से से कैमरे से दूर रही हैं। अब वे बड़े पर्दे पर फिर से दिखेंगी। इनसे अलग निर्देशक निखिल आडवाणी की पिछले दिनों रिलीज हुई एनिमेशन फिल्म 'दिल्ली सफारी' में उन्होंने अपनी आवाज दी है। कुछ फिल्मों का नैरेशन भी ले रही हैं। वे कहती हैं, 'मैं फिल्मों से दूर नहीं हुई थी। कैमरे से दूर होने का मतलब यह नहीं मैं फिल्मों से दूर हो गई। मैं दूसरी चीजों में व्यस्त थी, इसलिए फिल्में साइन नहीं कर पा रही थी। फिल्मों से ब्रेक लेना मेरी रणनीति थी। मैंने उस समय का उपयोग यात्रा, किताबें पढ़ना और परिवार के साथ रहने में किया। जिंदगी के भरपूर मजे लिए।'
उर्मिला आगे कहती हैं, 'फिल्म 'दिल्ली सफारी' में मैंने एक सिंहनी को अपनी आवाज दी। यह फिल्म खालिस बच्चों के लिए नहीं थी। यह हमारी और आपकी फिल्म थी। यह पर्यावरण समस्या को काफी संजीदगी से लोगों के सामने रखती है। इसकी कहानी ने मुझे काफी अपील किया। इसलिए मैं इस फिल्म का हिस्सा बनी। दिखाया गया है कि बोरिवली नेशनल पार्क के जानवर हैं। उनके घर यानी जंगलों को बड़ी तेजी से साफ किया जा रहा है। ऐसे में जानवर मीटिंग बुलाते हैं कि इस तेजी से जंगल साफ होते रहे तो वे कहां जाएंगे?'
फिल्म 'दिल्ली सफारी' में सिर्फ आवाज देने के बारे में बात होने पर उर्मिला कहती हैं, 'एक कलाकार होने के कारण मैंने विभिन्न प्रकार के रोल किए थे। इस फिल्म में मेरा अलग किस्म का अवतार लोगों के सामने आना था। इसलिए मैंने इसे स्वीकार किया। मैं एक बात स्पष्ट कर दूं कि यह मेरी कमबैक फिल्म नहीं है। फिल्में हमेशा मेरी जिंदगी का हिस्सा रही हैं। खासकर मेरे लिए, क्योंकि मैंने अपना करियर बचपन से ही शुरू कर दिया था। बाल कलाकार के रूप में मैं कई फिल्में कर चुकी हूं। मेरी समझ में यह नहीं आता कि हिंदी फिल्म जगत थोड़े बहुत अंतराल को ही कमबैक क्यों कहने लगता है? श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, रानी मुखर्जी या फिर मैं कुछ सालों के लिए फिल्मों से दूर क्या हुई, सबने हमारा करियर समाप्त मान लिया। अब सब आ रही हैं, तो कमबैक का टर्म दिया जा रहा है, जो गलत है। हॉलीवुड में तो ऐसा नहीं होता। वहां की अभिनेत्रियां 60 साल में भी फिल्में कर रही हैं और वे भी विभिन्न अंतरालों पर फिल्मी दुनिया से गैप लेती रही हैं। वहां का मीडिया तो उनके लिए कमबैक शब्द इस्तेमाल नहीं करता, फिर यहां ऐसा क्यों हो रहा है?'
उर्मिला अपनी बात में आगे जोड़ती हैं, 'मैं ताउम्र कलाकार ही रहूंगी। मेरे जेहन में यह ख्याल कभी नहीं आया कि मुझे कभी अदाकारी के अलावा भी और कोई काम करना है। मैं अभिनेत्री हूं। इसी में मुझे खुशी मिलती है। मुझे सुर्खियों में रहने के लिए सब करना पसंद नहीं है कि चलो पेंटिंग कर लो या किताबें लिख लो। जो ऐसा करते हैं, वह उनकी मर्जी है। मुझे यह सब करने की जरूरत नहीं है। मुझे जनता ने स्टार बनाया। इसलिए उनके प्रति मेरी जिम्मेदारी बनती है कि क्वांटिटी के बजाय उन्हें क्वॉलिटी वाली फिल्म दे सकूं। इसके लिए ब्रेक लेना पड़े, तो भी कोई मलाल नहीं। मेरी जो स्थिति नौंवें दशक में थी, वह अब नहीं है, लेकिन मैं खुश हूं और आज भी ग्लैमरस दिखती हूं। मैंने अपने आपको बेहतर इंसान के तौर पर खुद को इवॉल्व किया है। मैं वैसी फिल्में करना चाहूंगी, जो मेरी काबिलियत को निखारे, न कि वह सब, जो मेरे रास्ते में आती जाए।'
उर्मिला आखिरी बार साल 2007 में 'कर्ज' फिल्म में नजर आई थीं। उनके मुताबिक, 'मैं मानती हूं कि फिल्मों में मेरे दो दशक का सफर बहुत बढि़या रहा है। मुझे किसी बात का कोई मलाल नहीं है। मैं अच्छी स्क्रिप्ट की तलाश में हूं। मुझे अच्छी स्क्रिप्ट नहीं मिल रही थी। जो मिल रही थीं, वे सब मैं पहले कर चुकी थी। इसलिए उसे नहीं दोहराना चाहती। मैं इंडस्ट्री के हर बड़े कलाकार के साथ काम कर चुकी हूं।
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