एड मामले में बच्चन परिवार के साथ ऐसा दूसरी बार हुआ, पहले इनके साथ
ब्रांड की तरफ़ से एक बयान जारी करते हुए कहा गया है कि उनके विज्ञापन से जो भावनाएं आहात हुई हैं उसके लिए वो खेद व्यक्त करते हैं और एड को वापस ले रहे हैं.
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई. अमिताभ बच्चन और उनकी बेटी श्वेता बच्चन नंदा पहली बार एक जूलरी ब्रांड के विज्ञापन में साथ नजर आये लेकिन बैंक कर्मियों के तीखे विरोध के कारण वो विज्ञापन वापस ले लिया गया. बच्चन परिवार के साथ ऐसा पहले भी हो चुका है और तब ऐश के एड लेकर विवाद हुआ था.
गौरतलब है कि अमिताभ बच्चन से पहले ऐश्वर्या राय बच्चन भी इसी ब्रांड के एक विज्ञापन को लेकर विवादों में फंसी थी. ऐश्वर्या की एक तस्वीर जो इस ब्रांड विज्ञापन के लिए इस्तेमाल की गई थी, उसे लेकर रंगभेद का मसला खड़ा हो गया था. फिर इस जूलरी ब्रांड ने तस्वीर को सुधार कर दोबारा जारी किया था. बच्चन और श्वेता के एड को ब्रांड ने वापस ले लिया और माफ़ी भी मांगी है. बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन ने इस ब्रांड के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी. बता दें कि शिकायत में यह बात कही गई थी कि विज्ञापन का मकसद सरकारी बैकिंग प्रणाली को लेकर लोगों और ग्राहकों के बीच अविश्वास की भावना पैदा करना है.
ब्रांड के कार्यकारी निदेशक ने इसे लेकर कहा है कि हमें खेद है कि भूलवश लोगों की भावना आहत हुई है और हमने इसलिए तत्काल प्रभाव से हर मीडिया से यह विज्ञापन हटा लिया है. बता दें कि यह पहली बार यह जब श्वेता अपने पिता के साथ स्क्रीन शेयर कर रही थीं. इससे पहले तक इसी ब्रांड के विज्ञापन में अमिताभ बच्चन अपनी पत्नी जया बच्चन के साथ नजर आते रहे हैं. ऐश्वर्य राय बच्चन भी इसी ब्रांड अम्बेसडर रही हैं.
ब्रांड की तरफ़ से एक बयान जारी करते हुए कहा गया है कि उनके विज्ञापन से जो भावनाएं आहात हुई हैं उसके लिए वो खेद व्यक्त करते हैं और एड को सभी तरह के प्लेटफॉर्म्स से तत्काल प्रभाव से वापस ले रहे हैं. बयान में कहा गया है कि हमें इस बात की जानकारी मिली है कि बैंक से जुड़े लोगों की भावना को इस विज्ञापन से ठेस पहुंची है. ये क्रिएटिव एड एक फिक्शन के तहत बनाया गया था न कि किसी बैंक कर्मचारी की कार्यप्रणाली को दिखाने के लिए। देश भर के करोड़ों लोगों सहित हम भी बैकों में काम करने वाले लोगों के इस क्षेत्र में दिए जा रहे योगदान से पूरी तरह परिचित हैं और उसका सम्मान करते हैं. विज्ञापन की वजह से अनजाने में कुछ लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचा है, उनके प्रति हमारी संवेदना है. हम इसे गंभीरता से लेते हैं.