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बॉलीवुड में एक साथ किया था डेब्यू, हीरोइन रहीं सुपर हिट, हीरो हो गये उड़नछू

ऐसे हीरोज़ के बारे में इस रिपोर्ट में बात करेंगे, जिनके साथ डेब्यू करने वाली हीरोइंस ने ख़ूब नाम और शोहरत कमायी, मगर ये हीरोज़ आज गुमनाम हो चुके हैं।

By मनोज वशिष्ठEdited By: Published: Tue, 08 Aug 2017 05:15 PM (IST)Updated: Sun, 13 Aug 2017 10:44 AM (IST)
बॉलीवुड में एक साथ किया था डेब्यू, हीरोइन रहीं सुपर हिट, हीरो हो गये उड़नछू
बॉलीवुड में एक साथ किया था डेब्यू, हीरोइन रहीं सुपर हिट, हीरो हो गये उड़नछू

मुंबई। बॉलीवुड में आम तौर पर माना जाता है कि हीरोइनों की ऑनस्क्रीन लाइफ़ कम होती है, मगर कुछ हीरो भी ऐसे होते हैं, जिनकी ऑनस्क्रीन लाइफ़ हीरोइंस से भी कम होती है। ऐसे हीरोज़ के बारे में इस रिपोर्ट में बात करेंगे, जिनके साथ डेब्यू करने वाली हीरोइंस ने ख़ूब नाम और शोहरत कमायी, मगर ये हीरोज़ आज गुमनाम हो चुके हैं।

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काजोल ने 1992 में राहुल रवैल की फ़िल्म 'बेख़ुदी' से बॉलीवुड में अपनी पारी शुरू की। इस फ़िल्म में उनके हीरो थे कमल सदाना। काजोल आज भी सक्रिय हैं और उनके साथ काम करने की चाह रखने वाले फ़िल्ममेकर्स की कमी नहीं है।

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काजोल आज कल 'वीआईपी 2' के लिए ख़बरों में हैं। इस फ़िल्म के ज़रिए उन्होंने पहली बार साउथ फ़िल्मों का रुख़ किया है। इस फ़िल्म में वो नेगेटिव रोल में हैं और धनुष के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर कर रही हैं। उधर, बतौर लीड एक्टर तो कमल की पारी नब्बे के दशक में ही ख़त्म हो गयी थी। 2014 में कमल कुछ समय के लिए अपनी डायरेक्टोरियल फ़िल्म 'रोर- टाइगर्स ऑफ़ द सुंदरबंस' के लिए चर्चा में आये थे।

 

ख़ूबसूरती का ताज पहनने के बाद ऐश्वर्या राय ने 1997 की फ़िल्म 'और प्यार हो गया' से बॉलीवुड में क़दम रखा। राहुल रवैल निर्देशित फ़िल्म में उनके हीरो बॉबी देओल थे। ऐश्वर्या के लिए ना तो दर्शकों और ना ही फ़िल्ममेकर्स की चाहत कम हुई है, मगर बॉबी अब लीड एक्टर की एक्सपायरी डेट खो चुके हैं। पिछले साल ऐश 'ऐ दिल है मुश्किल' में अपनी हॉटनेस के लिए ख़ूब खबरों में रही थीं। अब वो फ़न्ने ख़ान में अनिल कपूर के साथ दिखने वाली हैं। उधर, बॉबी एक लंबी गुमनामी के बाद अपने करियर को रिवाइव करने की कोशिशों में जुटे हैं। वो बड़े भैया सनी देओल के साथ 'पोस्टर बॉयज़' में नज़र आने वाले हैं।

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रानी मुखर्जी ने 1997 में अशोक गायकवाड़ डायरेक्टेड फ़िल्म 'राजा की आएगी' बारात से बॉलीवुड में एक्टिंग की ईनिंग शुरू की थी। सलीम ख़ान ने इस फ़िल्म को लिखा था। फ़िल्म में रानी के हीरो थे शादाब ख़ान, जो हिंदी सिनेमा के आइकॉनिक एक्टर अमजद ख़ान के बेटे हैं। रानी ने बाद में क्या मुकाम हासिल किया, ये किसी से छिपा नहीं है, मगर शादाब अब पूरी तरह भुला दिए जा चुके हैं। रानी अब 'हिचकी' में नज़र आने वाली हैं।

नब्बे के दशक की शुरुआत में ही करिश्मा कपूर ने बॉलीवुड में अपनी एक्टिंग पारी शुरू की थी। फ़िल्म का नाम था 'प्रेम क़ैदी', जिसे के मुरली मोहन राव ने डायरेक्ट किया था। ये इसी नाम से आयी तेलुगु फ़िल्म का रीमेक थी। 'प्रेम क़ैदी' में लोलो के हीरो हरीश कुमार थे। हरीश ने इसके बाद हिंदी फ़िल्मों में काम तो किया, मगर करिश्मा की सक्सेस के सामने वो फीके रहे। करिश्मा ने बाद में बॉलीवुड की ग्लैमरस और बेहतरीन अदाकाराओं में जगह बनायी, जबकि हरीश रीजनल फ़िल्मों में मसरूफ़ हो गये।

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मिस यूनिवर्स बनने के बाद सुष्मिता सेन ने 1996 की फ़िल्म 'दस्तक' से बॉलीवुड के दरवाज़े पर दस्तक दी। इस फ़िल्म को महेश भट्ट ने डायरेक्ट किया था, जबकि सुष्मिता के पहले हीरो मुकुल देव थे, जो राहुल देव के भाई हैं। सुष्मिता ने बाद में कई कामयाब फ़िल्मों में काम किया और ख़ुद एक्ट्रेस के साथ एक इंटेलेक्चुअल विमन के तौर पर स्थापित किया, मगर मुकुल देव की बतौर लीड एक्टर पारी लंबी नहीं चली। उन्हें बाद में साउथ सिनेमा का रुख़ करना पड़ा। मुकुल हिंदी फ़िल्मों में अब ज़्यादातर साइड करेक्टर्स निभाते हुए दिखते हैं।

 

मनीषा कोईराला ने 1991 की फ़िल्म 'सौदागर' से शानदार डेब्यू किया था। सुभाष घई डायरेक्टेड फ़िल्म में राज कुमार, दिलीप कुमार जैसे दिग्गज लीड रोल्स में थे, जबकि मनीषा की पेयरिंग विवेक मुशरान के साथ हुई थी। मनीषा बेहतरीन अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं। बाद में उन्होंने कई बेहतरीन और यादगार फ़िल्में दीं। कैंसर से लड़ाई जीतने के बाद मनीषा एक बार फिर फ़िल्मों में सक्रिय हो चुकी हैं। वहीं विवेक की एक्टिंग की पारी उतनी कामयाब नहीं रही। इसी साल रिलीज़ हुई 'बेगम जान' में विवेक नज़र आये थे।

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माधुरी दीक्षित ने 1984 में 'अबोध' से हिंदी सिनेमा में करियर शुरू किया, जिसे हीरेन नाग ने डायरेक्ट किया था। इस फ़िल्म में तपस पॉल माधुरी के पहले को-एक्टर थे। माधुरी हिंदी सिनेमा की सबसे कामयाब एक्ट्रेसेज़ में शामिल हैं, वहीं तपस को हिंदी सिनेमा में सफलता नहीं मिली। तपस मूल रूप से बंगाली एक्टर हैं। माधुरी जहां एंटरटेनमेंट की दुनिया में लगातार सक्रिय हैं, वहीं तपस राजनीति में शिफ़्ट हो चुके हैं।

जूही चावला की डेब्यू फ़िल्म पूछी जाए, तो ज़्यादातर के ज़हन में 'क़यामत से क़यामत तक' आती है, मगर जूही की पहली फ़िल्म 1986 में आयी 'सल्तनत' है, जिसे मुकुल आनंद ने डायरेक्ट किया था। इस फ़िल्म में वो करन कपूर के ऑपोज़िट थीं, जो शशि कपूर के बेटे हैं। जूही बाद में हिंदी सिनेमा की बेहतरीन और कामयाब एक्ट्रेस बनीं, मगर फॉरेन लुक्स की वजह से करन को हिंदी सिनेमा ने स्वीकार नहीं किया।

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कंगना रनौत आज के दौर की बेहतरीन एक्ट्रेसेज़ में शामिल हैं। कंगना ने 2006 में आयी अनुराग बसु की फ़िल्म 'गैंगस्टर' से बॉलीवुड में बतौर एक्ट्रेस करियर शुरू किया था। इस फ़िल्म में उनके हीरो शाइनी आहूजा थे, जबकि इमरान हाशमी पेरेलल लीड रोल में नज़र आये थे। शाइनी आज सीन से पूरी तरह ग़ायब हो चुके हैं, जबकि कंगना की कामयाबी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। उनकी फ़िल्म 'सिमरन' रिलीज़ के लिए तैयार है।


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